थी इसी जणु कती सुधी गाँ
प्यार करया करै थी बेशुमां
रोटी खवाया करै थी नरे घी मै जमां
लकडन नही दिया करै थी सौड मै तै पाँ
बुखार के तपते शरीर नै भी ला कै दे थी सुवां
रातु उठ उठ देखती कदे मैं उठ ना जां
गई छोड कै तगाजे तै भगवान नै ली थी बुलां
थी वा सबतै प्यारी मेरी माँ