ravinderjeet (December 11th, 2011)
" If the loser keeps his smile........
Then the winner will loose the thrill of the victory.......
Attitude make the difference......"
ravinderjeet (December 11th, 2011)
ravinderjeet (December 12th, 2011)
Lost my cell..All are requested to send your contact details with name pls...
Happiness is not something you find, It's something you create.
urmiladuhan (December 12th, 2011)
बात राजस्थान की | १९९७ मे मैं लखनऊ से सथान्त्रित हो कर जोधपुर आया था | सकंध मे परिवार के लिए आवास उपलब्ध न होने के कारण मुझे सकंध से बाहर रहने की अनुमति मिल गयी | मैंने रतनाडा के पास ही एक मकान का उपरी तल किराये पर ले लिया | मकान मालिक नीचे ही रहते थे | मकान मालिक थे चोधरी मांगी लाल जी ये उर्जा विभाग मे ऊँचे स्थान पर कार्यरत थे | पेशे से इंजिनियर और एम् टेक किया हुवा था | परिवार मे माता पिता पत्नी और दो बच्चे थे | बच्चे बढ़िया सकूल मे पढ़ते थे | उन की धर्मपत्नी भी अछे घर से थी और शिक्षित थी | वे गृहणी का काम संभालती थी |मूलतः नागौर जिले के निवासी, गाँव मे अछी खासी उपजाऊ जमीन, और ज्यादातर मिर्च की खेती होती थी उन के यहाँ | ये हर रविवार को गाँव जाया करते थे और उस समय मे फसल पर चार से पांच लाख रूपये की मिर्च होती थी उन के यहाँ |
ईतना सब होते हुए भी रहन सहन बिलकुल सीधा सादा | साथ वाला प्लाट भी उन का ही था उस मैं गाय पाल राखी थी और कुछ जगह मे भूतल निर्मित किया हुवा था जिस मे चारा वगेराह भण्डारण किया हुवा था | खाना पीना बिलकुल मोटा राजस्थानी | पहरावा भी बिलकुल राजस्थानी और आपस मे भाषा का इस्तेमाल भी बागड़ी या मारवाड़ी | तीज त्यौहार पर पूरा उत्सव होता था | गाँव से मेहमानों का भी ताँता लगा रहता था | माता पिता भी अपना हक समझ कर आराम से रहते थे | चौधरी साहब बड़े सुलझे हुए, अनुशाषित व सभ्य प्राणी हैं | हम उन के साथ तकरीबन एक साल तक रहे और उस बीच हमने एक बार भी किसी तरह की बीमारी, क्लेश या मन मुटाव नहीं देखा या सुना और तरक्की पूरी पूरी |
धन्यवाद् सहित |
Remember, we all stumble, every one of us.
That's why it's a comfort to go hand in hand.:D