काल दिल्ली मैं जन्तर मंतर पै अन्ना का अनशन था और खूब सारी पुलिस यातायात नियंत्रण ताहीं ला राखी थी |
मैं बच्चों के साथ चिड़ियाघर चला गया | चिड़ियाघर के मोड़ पर वाहनों की आछी भीड़ होरी थी | एक यातायात पुलिस का सिपाही यातायात तो नियंत्रित करने की चेस्ठा कर रहा था पर भीड़ काबू ही नहीं आ रही थी | जाम जैसी स्थिति उत्पन्न हो चुकी थी | जब बहूत देर हो गयी तो मैं गाड़ी से उतर कर देखने गया की क्या बात है | मैंने उस सिपाही से पूछा की भाई क्या मसला है |
उस का जवाब था - जी आड़े दिल्ली म अन्ना की छोड़ क कोए किसे की ना सुनता लाग्गे सै आड़े भी अन्ना ऐ बुलाना पड़ेगा |