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Thread: Reservation is our constitutional right

  1. #1181
    Quote Originally Posted by Samarkadian View Post
    खोज करके बात करना अच्छी बात है ! अतिरिक्त का मतलब अगर आप नयी सीटों से लगा रहे हो तो गलत है ! एस ओ बी सी आरक्षण की वजह से साधरण मेरिट के अलावा अतिरिक्त जाट बच्चे दाखिल हुए हैं ! जाट बच्चों का दाखिला प्रतिशत बढ़ा है ! और अकेले इस एस ओ बी सी में अगर आप बच्चों के नाम के हिसाब से जाओ तो पच्चीस से तीस बच्चे जाट ही है !
    My point was that your statement has factual error. You have just counted number of Jats in SBC and claimed that to be the additional representation of Jats in overall. What we need to understand that these are not additional seats. These seats have reduced the number of seats available in open category. Jats have high percentage of medical students so quite obvious there would be some who would have missed admission. We need to factor that as well. I had gone through the list and there are lot of students whose surname or got isn't listed and there are some who has kumar/kumari so their caste cannot be identified. I personally believe that if we were included in OBC it would be better.

    I do however agree that overall Jat students % is probably increased but not that much as you were saying. Unless we see the previous years trend we cannot say for sure.
    जागरूक ती अज्ञानी नहीं बनाया जा सके, स्वाभिमानी का अपमान नहीं करा जा सके , निडर ती दबाया नहीं जा सके भाई नुए सामाजिक क्रांति एक बार आ जे तो उसती बदला नहीं जा सके ---ज्याणी जाट।

    दोस्त हो या दुश्मन, जाट दोनुआ ने १०० साल ताईं याद राखा करे

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    cooljat (September 1st, 2013)

  3. #1182
    चेतावनी-पत्र
    सेवा में,
    आदरणीय श्री मुदित चतुर्वेदी जी,
    मुख्य प्रबंधक,
    दैनिक जागरण,
    हिसार(हरियाणा)
    विषय : आपका समाचार पत्र पत्रकारिता धर्म से हटकर भेदभाव करने में जुटा है।
    श्रीमान जी,
    मैं आपका ध्यान सबसे पहले हमारी विज्ञप्ति, जो हमारी संघर्ष समिति की हिसार में 25 अगस्त, 2013 को जाट धर्मशाला, हिसार में संपन्न हुई बैठक के बारे में थी, की ओर दिलाना चाहता हूं। हमने इस विज्ञप्ति में साफ-साफ लिखा था कि यदि खापें 13 सितंबर से दिल्ली में आंदोलन करती हैं, तो हमारा संगठन उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ देगा और इस विज्ञप्ति की नकल यहां नीचे संलग्र की जा रही है। लेकिन आपके अखबार ने इसे तोड़-मरोडक़र 26 अगस्त को पेज नंबर तीन पर छापा कि खापें साथ देंगी तो ठीक है, वरना अकेले लड़ेंगे। ऐसा छापने का आपका सीधा-सीधा तात्पर्य था कि जाट कौम भ्रमित हो जाए और वह इक_ा न हो सके। इसकी शिकायत करने के लिए आपके कार्यालय में हमने हिसार से अपने आदमी भेजे और वहां पर ये भरोसा दिलाया गया कि आप इसे 28 अगस्त, 2013 के अंक में दुरुस्त करके छाप देंगे, लेकिन इसके बावजूद आपने नहीं छापा, जिससे मेरी इस शिकायत की सच्चाई को पूरी तरह बल मिलता है। इसके अतिरिक्त 16 अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर हमारी दिल्ली पुलिस के साथ भिडंत हुई और दिल्ली पुलिस ने हमारे निहत्थे लोगों पर लाठियां बरसाईं तो हरियाणा में छपने वाले लगभग सभी समाचार पत्रों ने इसे प्रमुखता से छापा, लेकिन आपके अखबार पर इसका किसी
    भी प्रकार का कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि आप जानते थे कि इस प्रकार की खबर छपने से जाट समाज एकजुट होकर खड़ा हो जाएगा, इसलिए आपने इस खबर को बड़ी सोची-समझी नीति के तहत नजरदांज कर दिया और इस पर एक शब्द भी छापना आपको गवारा नहीं हुआ। इससे स्पष्ट है कि आपका समाचार पत्र जाट समाज के विरोध में है। आपके समाचार पत्र का शुरू से ही ये मकसद रहा है कि जाटों में किसी तरह एकता न हो पाए और जाटों को आरक्षण का सवैंधनिक अधिकार न मिले। इसी कारण आप जब भी जाटों में कोई दूसरा संगठन खड़ा होता है तो उस बात को आप बहुत ही प्रमुखता से छापते रहे हैं और बार-बार इस बात को प्रमुखता से छापते रहे कि जाटों में दो फाड़ हैं। ये कार्य आपका समाचार पत्र बहुत ही चतुराई और भेदभाव से करता रहा है, जिसको हम अच्छी तरह से समझते आए हैं तथा ऐसा छापने का आपका तात्पर्य होता है कि आप कह सकें कि आप जाटों की खबर छापते रहे हैं। इसी कारण मैं आपके कार्यालय में अपने व्यक्तियों के साथ दो बार गया, लेकिन आपने हमारी बात पर कभी कोई ध्यान नहीं दिया। बीच-बीच में जो भी हमारी खबरें आपके समाचार पत्र ने छापी हैं, वे केवल आपने जाट कौम पर एक एहसान के तौर पर छापी हैं।
    पिछले दिनों हरीराम दीक्षित का हरियाणा में गैर जाट मंच बनाने का समाचार आपके पत्र के माध्यम से मुख्य पृष्ठ में प्रकाशित हुआ तो उसके उत्तर में मैंने कहा कि यदि ऐसा किया जाता है तो हमें विवश होकर गैर ब्राह्मणवादी बिग्रेड का गठन करना पड़ेगा। इसके बाद यह साफ देखने में आया कि मेरे संगठन की प्रेस विज्ञप्तियों को लगभग छापना बंद कर दिया या उन्हें उचित स्थान नहीं दिया गया, जबकि वहीं दूसरी ओर एक कमांडेंट रामपाल सिंह ने रेवाड़ी से एक बयान दिया कि रेवाड़ी में नरेंद्र मोदी की एक बड़ी रैली की जाएगी, जिसमें सेवानिवृत सैनिक और अर्धसैनिक सम्मिलित होंगे और ये खबर आपके समाचार पत्र ने 24 जुलाई को मुख्य पृष्ट पर छापी जबकि 30 जुलाई को हमारी संघर्ष समिति की भिवानी जिले की कार्यकारिणी की हुई मीटिंग में हमने जाट आरक्षण के प्रचार अभियान के अलावा कमांडेंट रामपाल के बयान की निंदा की तथा सर्वसम्मति से यह फैसला लिया था कि सेवानिवृत सैनिक व अर्धसैनिक कोई भी संगठन के तौर पर इस प्रकार की राजनीतिक रैलियों में शािमल नहीं होगा क्योंकि हमारे संगठन में लगभग 50 प्रतिशत लोग सेवानिवृत सैनिक व अर्धसैनिक बलों के लोग हैं। लेकिन आपके समाचार पत्र ने हमारी इस बैठक की विज्ञप्ति को कहीं भी स्थान नहीं दिया, जबकि यह समाचार अन्य कई अखबारों में मुख्य पृष्ठों पर छपा है। इससे स्पष्ट है कि आपका समाचार पत्र सरासर भेदभाव और पक्षपात का पक्षधर है। हमें यह बहाना कतई स्वीकार नहीं है कि हमारी विज्ञप्तियां समय पर नहीं मिलतीं, इसलिए प्रकाशित नहीं होतीं। हमने अपनी लगभग सभी विज्ञप्तियां दोपहर दो बजे से भी पहले भेजी हैं, लेकिन वे प्रकाशित नहीं हुईं। आप यह बहाना भी करते रहे हैं कि हमारे समाचारों के लिए जगह नहीं थी, जो सरासर असत्य है।
    अक्सर ये माना जाता है कि मीडिया भारतवर्ष के लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, लेकिन आपके समाचार पत्र ने इस धर्म को कभी नहीं निभाया और अपने पत्र के माध्यम से आस्था के नाम पर पूरे समाज में अंधविश्वास फैलाने में अहम भूमिका निभाई है। इसके अतिरिक्त हमारा मानना है कि आपका समाचार पत्र नैगेटिव रिपोर्टिंग में सर्वोपरि रहा है, जिसके प्रमाण हमारे पास उपलब्ध हैं। इस बात में सच्चाई है कि बुराई का प्रचार अच्छाई से अधिक जल्दी से फैलता है और इन्हीं बुराईयों के कारण आपके समाचार पत्र ने हरियाणा के भोले भाले समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है और अपने समाचार पत्र को एक व्यापार बनाकर इसकी वार्षिक टर्न ओवर को 330 करोड़ से भी ऊपर पहुंचा दिया है। हम ये भी जानते हैं कि जाटों के विरोध में जो आपने सोच बनाई है, उसको आपने अपने मालिक को भी जरूर विश्वास में ले लिया होगा।
    श्रीमान जी, मैं यह भी आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि जिन लोगों ने जात-पात बनाई, वही लोग जब आज दलित और पिछड़ा वर्ग जागरूक होने लगा तो जात-पात की बुराई करने लगे। हम सभी जानते हैं कि हमारा भारतीय समाज जात-पात में सदियों से बंटा हुआ था और उनके साथ भयंकर भेदभाव किया गया। दलितों को तो एक जानवर से भी बदतर बना दिया गया था। इसी कारण ये देश हजारों साल गुलाम रहा और उस गुलामी और फूट का कारण यही भेदभाव था। इस सबंध में अंग्रेजों को आवश्यकता से अधिक बदनाम किया जाता रहा है कि उन्होंने फूट डाली और राज किया। ये काम तो हमारे देश में मुगल आने से पहले ही शुरू हो चुका था और आज भी ये काम जारी है। लेकिन इस काम को करने वाले बहुत ही चालाक और शातिर हैं। अंतर केवल इतना आ गया है कि पहले जाति-पाति के नाम से फूट डाली गई। वर्तमान में धर्म के नाम पर फूट डाली जा रही है। हमने यह संकल्प ले लिया है कि आने वाले समय में हम अपनी पूरी ताकत लगाकर इन छिपी हुई शक्तियों के विरोध में एक जबरदस्त लड़ाई लड़ेंगे।
    इसीलिए हमने फैसला लिया है कि हमें मजबूर होकर निम्रलिखित कदम उठाने होंगे। इसे एक धमकी न समझा जाए, बल्कि चेतावनी समझा जाए। और इसके बाद हम आपसे निजी तौर पर किसी भी विज्ञप्ति को छापने के लिए अनुरोध नहीं करेंगे तथा जिस प्रकार आपको अपना मनमर्जी से अखबार छापने का अधिकार है, उसी प्रकार हम सवैंधानिक तरीके से आपके पत्र का विरोध करेंगे।
    1. हमारे पास पक्षपात के अनेकों प्रमाण उपलब्ध हैं, इसलिए हम इस बारे में न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
    2. किसी एक दिन हमारी प्रदेश कार्यकारिणी आपके समाचार पत्र के मुख्यालय, हिसार और पानीपत दोनों जगह पूरा स्थानीय मीडिया बुलाकर आपके समाचार पत्र की प्रतियां फूंकी जाएंगी तथा आपके पत्र की भत्र्सना की जाएगी।
    3. उससे अगले सप्ताह आपके समाचार पत्र के जिला कार्यालयों के समक्ष आपके समाचार पत्र की प्रतियां जलाकर हमारे हर जिले की कार्यकारिणी विरोध प्रदर्शन करेगी।
    4. हमारे सभी जिलों की कार्यकारिणी ब्लॉक स्तर तक यह प्रचार करेगी कि आपका समाचार पत्र पक्षपाती है और विशेष कुछ जातियों का पक्षधर है, इसीलिए जाट समाज इस समाचार पत्र को किसी भी स्तर पर न खरीदे।
    5. आपका समाचार पत्र छपने के बाद जहां-जहां गाडिय़ां इसे लेकर जाएंगी, पूरे मीडिया के सामने हम सवैंधानिक तरीके से विरोध करेंगे।
    6. जाट बाहुल्य क्षेत्रों में जहां-जहां भी दैनिक जागरण समाचार पत्र का होर्डिंग होगा, उसके बराबर में हमारे होर्डिंग लगाए जाएंगे, जिस पर लिखा जाएगा कि यह समाचार पत्र पूर्णतया जाट विरोधी है और चंद जातियों व राजनीतिक पार्टियों का एक मुखौटा है।
    अंत में कहना चाहूंगा कि जो भी समाचार पत्र अपने प्रकाशन में निष्पक्षता नहीं बरतता, हमारी नजर में वह देशद्रोही है और देशद्रोही के लिए इस देश में कोई स्थान नहीं होना चाहिए।

    भिवानी (हवासिंह सांगवान)
    28.08.2013 पूर्व कमांडेंट,
    अध्यक्ष, अखिल भारतीय जाट आरक्षण
    संघर्ष समिति, हरियाणा यूनिट
    मो. नंबर : 94160-56145

    प्रेस विज्ञप्ति, जो प्रकाशन हेतु भेजी गई थी, उसकी प्रति निम्रलिखित है :
    हिसार, 25 अगस्त। अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति हरियाणा की प्रदेश कार्यकारिणी की मीटिंग आज जाट धर्मशाला, हिसार में चौ. कै० प्रताप सिंह सिवानी की अध्यक्षता में हुई, जिसमें प्रदेशाध्यक्ष पूर्व कमांडेंट हवासिंह सांगवान ने इस बात को दोहराया कि जब तक केंद्र सरकार राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त नहीं करती है, तब तक हम जमानत नहीं लेंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. भगतसिंह दलाल ने कार्यकारिणी के समक्ष खापों की तरफ से आया यह प्रस्ताव प्रस्तुत किया कि यदि खापें 13 सितंबर को दिल्ली में आंदोलन करती हैं और शहीदी दिवस मनाती है, तो हमारी संघर्ष समिति का क्या रूख रहेगा, इस पर सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया कि यदि खापें आंदोलन करती हैं तो यह एक अत्यंत सराहनीय कदम होगा और हमारी संघर्ष समिति खापों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करेगी। यदि खापों ऐसा कदम नहीं उठाती हैं, तो हमारी संघर्ष समिति पहले से लिए गए फैसले पर अडिग रहेंगी, जैसे की दिल्ली का बार्डर सील करना, अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बाधा डालना, किसी एक रात को हवाई अड्डे पर जाकर विदेशी उड़ानों को निलंबित करना और यदि केंद्र सरकार हमारी मांग पूरी नहीं करती है, तो 2 अक्टूबर को दिल्ली के राजघाट या विजय चौक या नई दिल्ली के अन्य किसी महत्वपूणर्् चौक पर यूपीए सरकार का पुतला जलाया जाएगा। इस अवसर पर यहां पर हिसार जिलाध्यक्ष चौ. दलजीत सिंह पंघाल, प्रदेश उपाध्यक्ष राजवीर सहरावत, प्रदेश युवाध्यक्ष जयवीर हुड्डा, जिला युवाध्यक्ष अनिल सहरावत, जिला उपप्रधान महेंद्र भगाणा, जींद जिलाध्यक्ष चंद्र सिंह चहल, झज्जर जिलाध्यक्ष मा. ताराचंद, भिवानी से रघुबीर सिंह बूरा, जगत सिंह मिताथल, रामपाल मिर्जापुर, राजसिंह धनाना, सूबेदार कलीराम, प्रताप सिंह सिंह सिहाग, रणसिंह श्योराण, सूरजभान मतलोडा, जोगेंद्र सरपंच, हवासिंह भकलाना, अनिल रोहज प्रदेश युवा महासचिव, कुलदीप खरड़, प्रवक्ता समेर सिंह गहलोत, भूपसिंह रिटायर थानेदार, राजेश झामरी जिला युवा अध्यक्ष झज्जर, जिला सोनीपत अध्यक्ष महेंद्र सिंह मोर, युवा उपप्रधान हिसार जयसिंह रायपुर, पूर्व सरपंच सिवानी रामकुमार, जोगेंद्र सिंह तालू, प्रताप सिंह सुहरा, हरफूल सिंह पूर्व बीडीओ, रणसिंह बलहारा, उमेदसिंह बलहारा, कृष्ण, फतेहसिंह, सुमेरसिंह लांबा, वेदपाल धनाना आदि उपस्थित थे।
    महज हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं ,
    मेरी कोशिश हैं की यह सुरत बदलनी चाहिए |
    मेरे सिने में नहीं तो तेरे सिने में सही ,
    हो कहीं भी , लेकिन आग लगनी चाहिए ||

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    ssgoyat (September 1st, 2013)

  5. #1183
    बामसेफ राज्य स्तरीय सम्मेलन 14 सितंबर को भिवानी में : सांगवान
    अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष पूर्व कमांडेंट हवासिंह सांगवान ने एक विज्ञप्ति में बतलाया कि बामसेफ (बैकवर्ड एंंड मायनरटीज कम्युनिटीज इम्पलाईज फेडरेशन) का राज्य स्तरीय सम्मेलन 14 सितंबर को भिवानी की जाट धर्मशाला में होगा, जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष मा० वामन मेश्राम करेंगे। यह सम्मेलन दो सत्रों में संपन्न होगा, जिसमें अखिल भारतीय जाट संघर्ष समिति भी बढ़-चढक़र भाग लेगी और जाट समाज को हर हालत में अपने को मानसिक तौर पर पिछड़ा स्वीकार करना होगा। इसी सम्मेलन में कुछ महत्वपूर्ण फैसले भी सुनाए जाएंगे।
    सांगवान ने आगे बतलाया कि दलित और पिछड़े वर्गों को चौ. छोटूराम व डॉ. भीमराव अंबेडकर तथा बाबा ज्योतिबा फूले जैसे महापुरुषों के आदर्शों का अनुसरण करते हुए ही धार्मिक शोषण से बचाया जा सकता है। दलितों और पिछड़ों का सदियों से धर्म के नाम पर राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक शोषण होता रहा है और इसी कारण इन वर्गों के इतिहास के साथ भी भयंकर भेदभाव किया गया। यहां तक कि अपने समय के महान योद्धा और राजपुरुष शिवाजी महाराज का राजतिलक लाखों रूपए की रिश्वत लेने के बावजूद भी पैर के अंगूठे से किया था। हिंदुत्व किसी का निजी मामला हो सकता है, लेकिन किसी जाति, वर्ग, समाज और देश का मामला नहीं है। भारतवर्ष में पहले जातियों के नाम पर फूट डाली गई और इसी फूट के कारण हमारा देश हजारों साल गुलाम रहा। ये कहना न्यायोचित्त नहीं होगा कि अंग्रेजों ने हमारे देश में फूट डाली और राज किया। ये फूट तो मुगल आने से पहले ही डली हुई थी। अंग्रेजों ने तो केवल इस फूट का फायदा उठाया, जिस प्रकार मुगलों ने उठाया था। वर्तमान में फिर से देश को धर्म के नाम पर बांटने का षड्यंंत्र हो रहा है, जिसका आने वाले समय में हम डटकर मुकाबला करेंगे और जाट समाज ने देश के प्रति हमेशा से ही अपना कर्तव्य निभाया और भविष्य में भी निभाता रहेगा।
    महज हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं ,
    मेरी कोशिश हैं की यह सुरत बदलनी चाहिए |
    मेरे सिने में नहीं तो तेरे सिने में सही ,
    हो कहीं भी , लेकिन आग लगनी चाहिए ||

  6. #1184
    जाट समाज के एक होने का समय आ गया है : सांगवान
    अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने आज नई दिल्ली में मीडिया के सामने बताया कि 16 अगस्त को जंतर-मंतर पर किए गए आंदोलन के संदर्भ में उन्हें व अन्य को आज न्यायालय में पेश होने के लिए बुलाया गया था। न्यायालय ने आदेश दिया है कि जब तक दिल्ली पुलिस न्यायालय में अपनी चार्ज शीट पेश नहीं करती है, उन्हें तब तक दिल्ली नहीं बुलाया जाएगा।
    सांगवान ने आगे बतलाया कि जब तक पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष की केंद्र सरकार नियुक्ति नहीं करती है, तब तक हम न्यायालय से जमानत नहीं करवाएंगे, चाहे न्यायालय हमें कितनी बार भी दिल्ली क्यों न बुलाता रहे। चाहे कुछ भी हो जाए, लेकिन हम अपने समाज के अधिकार के लिए कोई भी कठिनाई उठाने के लिए तथा किसी भी जेल में जाने के लिए हर समय तैयार हैं। अभी जाट कौम का केंद्र में आरक्षण लेने के लिए समय आ गया है। इसलिए जाट कौम बगैर किसी देरी के एकजुट हो जाए और खापों के बैनर तले 13 दिसंबर को अपने अधिकार के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहुंचकर अपनी आवाज को बुलंद करे। उन्होंने बताया कि हमने यह भी फैसला लिया है कि 9 सितंबर से लेकर 13 सितंबर तक दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना भी जारी रहेगा क्योंकि अभी नहीं तो फिर कभी नहीं।
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

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    ravinderjeet (August 30th, 2013), ssgoyat (August 30th, 2013)

  8. #1185
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

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    rskankara (September 2nd, 2013), ssgoyat (September 1st, 2013)

  10. #1186
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

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    rskankara (September 2nd, 2013), ssgoyat (September 1st, 2013)

  12. #1187
    16 अगस्त के आंदोलन के सकारात्मक परिणाम आने शुरू : सांगवान
    अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष पूर्व कमांडेंट हवासिंह सांगवान ने एक बयान में बताया कि 16 अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर जाटों ने अपनी मांग को लेकर श्रीमति सोनिया गांधी को ज्ञापन देने के लिए मार्च किया तो दोपहर दो बजे से लेकर सायं साढ़े छह बजे तक दिल्ली पुलिस के साथ लगातार टकराव होता रहा और अंत में सीआरपीएफ की दो कंपनियां बुलवाकर जाटों पर बगैर चेतावनी के लाठीचार्ज किया गया और वही दिल्ली पुलिस ने जाटों के खिलाफ न्यायालय में यह आरोप लगाया कि जाटों ने दिल्ली पुलिस को पीटा और कनाट प्लेस में डकैती डाली। इस दौरान 87 जाटों को हिरासत में लिया गया तथा 17 अगस्त को सायं तिहाड़ जेल भेजा गया और अचानक उसी रात बारह बजे जेल से जबरदस्ती बाहर निकाल दिया गया। आज तक मुझ सहित 75 जाटों ने न्यायालय से कोई जमानत नहीं ली है। इस बात को केंद्र सरकार अच्छी तरह जानती है कि जब तक राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त नहीं होता, हम जमानत लेने वाले नहीं हैं।
    सांगवान ने आगे बतलाया कि माननीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने जाट आरक्षण की गंभीरता को देखते हुए और सकारात्मक रूख अपनाते हुए 31 अगस्त को चार केंद्रीय मंत्रियों का एक समूह केंद्रीय वित्त मंत्री श्री पी. चिदंबरम की अध्यक्षता में जाट आरक्षण पर कार्रवाई करने के लिए नियुक्त किया है और हमें उम्मीद है कि जल्दी ही मंत्री समूह अपनी कार्रवाई करेगा। यदि आगे इसके बावजूद भी जल्दी कार्रवाई नहीं होती है, तो हमारा संगठन फिर से जंतर-मंतर पर 9 सितंबर से धरना शुरू करने जा रहा है तथा 13 सितंबर को खापों के साथ मिलकर वहीं पर एक जाट महारैली होगी, जिसमें जाट शहीदी दिवस भी मनाया जाएगा। हमें पूरा-पूरा अंदेशा है कि केंद्र सरकार जल्द ही जाट आरक्षण पर सकारात्मक कार्रवाई नहीं करती है, तो जाटों का फिर से दिल्ली पुलिस के साथ टकराव होना निश्चित है और इस महारैली के लिए चुनाव प्रचार शुरू हो चुका है। इसीलिए केंद्र सरकार को बगैर किसी देरी के जाटों को पिछड़ा मान लेना चाहिए, इसी में जाट समाज और देश की भलाई है क्योंकि जाट समाज किसी भी हालत में भविष्य में चुप रहने वाला नहीं।
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

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    rskankara (September 2nd, 2013)

  14. #1188

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