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Thread: Yashpaal Malik ko rashtirya adhyaksh pad se hatane ki kya majburi thi ?

  1. #1

    Yashpaal Malik ko rashtirya adhyaksh pad se hatane ki kya majburi thi ?

    यशपाल मलिक को राष्ट्रिय अध्यक्ष पद से हटाने की क्या मजबूरी थी ?
    संक्षेप में कारण इस प्रकार हैं :-
    मय्यड़ कांड से ही यशपाल मलिक गलती पर गलती किये जा रहा था | लेकिन जाट एकता को बनाये रखना एक बड़ी मजबूरी थी | यशपाल मलिक की गलती से हम बरवाला में 14 सितम्बर 2010 को बुरी तरह फंसे और गाड़िया जली , वह तो इश्वर की कृप्या थी की हमारी जान बची | क्योंकि 14 सितम्बर को मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार प्रो.वीरेंदर सिंह के साथ बातचीत के लिए हांसी में गेस्ट हाउस को निर्धारित किया गया था लेकिन वो हाँसी पहुचने पर पुरे delegation को मूर्खतावश बरवाला ले गया | उसके बाद 13 सितम्बर के कांड पर गिरफ्तारियों की बात आई तो SP हिसार के सामने हमारे लड़को को गिरफ्तार करवाने के लिए मलिक ने सहमती जता दी | इस पर हिसार के जिला अध्यक्ष दलजीत पंघाल ने कड़ा विरोध किया परिणामस्वरुप जाट कौम की इज्जत बची वरना मलिक ने तो अपनी कायरता वही दर्शा दी थी | उसके बाद 13 सितम्बर 2010 को हमारा बच्चा सुनील श्योरान जो की पुलिस की गोली लगने से शहीद हुआ जिसके विरोध में हिसार SP पर 302 का परचा दर्ज हुआ | लेकिन सरकार ने इससे आगे कोई कार्यवाही नहीं की तो इस बात के लिए हिसार में मीटिंग हुई जिसमे यशपाल मलिक ने कहा की उसने पंजाब के अध्यक्ष करनैल सिंह भावडा के एक रिश्तेदार वकील को यह काम सौप दिया हैं | लेकिन कुछ ही महीनो के बाद वही आरोपी SP DIG के पद पर उन्नति पा गया | यह यशपाल मलिक का हमारी कौम ही नहीं शहीद सुनील श्योरान के साथ भी एक धोखा था |

    यशपाल मलिक ने उत्तर प्रदेश में जितनी भी रैलिया की वह पैसे के दम पर भाड़े की भीड़ थी और भाड़े की भीड़ कभी भी आन्दोलन नहीं कर सकती और इसका प्रमाण मुरादनगर में जब दिल्ली का पानी रोका तो जो भीड़ इकठ्ठा हुई थी वह उसी समय चली गई और दुसरे दिन प्रात: केवल हरियाणा के लोग ही शेष बचे | इस कारण बहुत कम लोग रहने की वजह से दिल्ली का पानी छोड़ना पड़ा और हमे हार माननी पड़ी |

    ज्यो ज्यो समय बीतता गया यशपाल मलिक अपने आप को बड़ा नेता समझते हुए जिस भी व्यक्ति ने इसकी नीतियों पर सवाल उठाया उसको मनमर्जी से एक एक करके संगठन से बाहर निकालता चला गया | जिसमे उत्तर प्रदेश से चौ.एच.पि.सिंह परिहार, चौ.ब्रहमपाल , चौ.अमन सिंह, चौ.ज्ञानेंद्र सिंह चौ.शूरवीर सिंह , चौ.अली अमास और चौ.सुमन आदि अनेको संगठन के पदाधिकारी थे | इसी प्रकार दिल्ली से चौ.रन सिंह शौकीन व कर्नल हाजी मोहमद यामिन आदि शामिल हैं |

    इस कौम का यह इतिहास रहा हैं की इस कौम के किसी भी यौद्धा ने कभी मैदान नहीं छोड़ा इसी कारण हम जाट ऊँचा सर करके चलने का अधिकार रखते हैं | जब इसी साल मार्च में रेल रोको आन्दोलन चला तो यशपाल मलिक ने मीटिंग में स्वयं यह फैसला लिया था की 5 -6 मार्च से उत्तर प्रदेश में दो जगह मथुरा और काफुरपुर ( अमरोहा) तथा हरियाणा में एक ही जगह मय्यड़ (हिसार) रेलवे ट्रैक जाम कर दिए जाएंगे साथ साथ यह भी फैसला लिया था की सड़क को जाम नहीं किया जाएगा हिंसा नहीं की जाएगी | जबकि की उत्तर प्रदेश में केवल एक ही जगह रेलवे ट्रैक जाम हो पाया उसको भी कुछ ही दिन के बाद पुलिस के डर से हटा लिया गया और न्यायलय के नाम पर बहाना किया गए जबकि ऐसे न्यायलय के आदेश तो हरियाणा के जाटों के लिए भी हुए थे | इस प्रकार डर से मैदान छोड़ना जाट कौम के माथे पर कलंक हैं | वहीँ दूसरी ओर हरियाणा में एक रेलवे ट्रैक को बंद करके इसे 14 ट्रैक तक पंहुचा दिया और हमे भी पुलिस और कोर्ट का पूरा पूरा डर दिखाया गया | लेकिन हरियाणा के जाट व जाटनियो के पक्के इरादे तथा उनकी हिम्मत की हमे दाद देनी होगी और इसे मैं निजी रूप से सलाम करता हु स्लुट करता हु की इन बहादुरों ने सुनील श्योरान और विजय सिंह की शहादत को कलंकित नहीं किया और दुनियाभर में जाट कौम की इज्जत के चार चाँद लगाए | वरना हरियाणा का जाट भी मैदान छोड़ देता तो मेरे भाइयों सोचो आज हम कहा होते ? जाटों व जाटनियो , इस देश में लगभग 14 लाख लोग रोजाना रेल पटरियो के साथ सोच के लिए जाते हैं | क्या कभी किसी ने इस पर रेल को रुकते हुए देखा हैं ? रेल पटरी के किनारे बैठने से कभी रेल नहीं रूकती रेल तो हमेशा भीड़ के रेल पटरी के बीच में आने से ही रूकती हैं | यशपाल मलिक ने मेरे पर तथा कुछ अन्य जगह ट्रैक पर बैठे हमारे इन्चार्जो पर भी बार बार रेलवे ट्रैक से हटने का दबाव बनाया | लेकिन हमने साफ़ कह दिया की अब ट्रैक से हटना हमारे वश से बाहर हैं यह अपराध तो हरियाणा का जाट समाज करने वाला नहीं | इस घटना के बाद मेरा विश्वास यशपाल मलिक के नेत्रत्व से पूरी तरह उठ चूका था | इसी कारण मैंने उसको 25 मार्च 2011 की शाम को हरियाणा के मुख्यमंत्री के साथ मीटिंग में नहीं बुलाया | जब रात में मुख्यमंत्री के साथ समझोता हुआ तो एक औप्चारिक्ता के तौर पर मैंने उसको फैसले के बारे में बतलाया और मैंने उससे कहा की हम दुसरे दिन सुबह 26 मार्च को हरियाणा के सभी ट्रैक खली कर देंगे | इस पर उसने मय्यड़ आने की इच्छा प्रकट की तो मैंने कहा सुबह 10 -11 बजे तक मय्यड़ पहुच जाए | इस आन्दोलन में यही मेरी सबसे बड़ी भूल थी जिसका मुझे आज भी अफ़सोस हैं क्योंकि मैंने यशपाल मलिक को एक भगोड़ा होने के बावजूद हरियाणा में जाट समाज के सामने एक विजय यौद्धा की तरह खड़ा कर दिया वरना वह तो स्वयं ही ख़त्म हो चूका था | मलिक 26 मार्च 2011 को प्रात: 6 बजे मय्यड़ पहुच गया जबकि वह कभी भी समय पर नहीं आया और उसने आते ही 4 -5 लोगो की उपस्थिति में मुझे कहा की मैंने पुरे आन्दोलन को divert (मोड़ दिया) तथा distort (तोड़ दिया) कर दिया | इस बात पर मुझे बहुत गुस्सा आया लेकिन मैंने उसे चुप रहने के लिए कहा क्योंकि वह हालात की मांग थी | इसी हालात का फायदा उठाते हुए उसने अपने कुछ लोगो से कहकर मय्यड़ में 12 बजे के अंतिम समारोह में खुद के नाम पर नारे लगवाए और अपने आप को हीरो घोषित करके दुबारा से शेर कहलाने लगा | साथ साथ कुछ लोगो को नीचे नीचे यह भी कहता रहा की सांगवान ने मुख्यमंत्री से सौदेबाजी करके हरियाणा को बेच दिया |

    contd....
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

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    deshi-jat (December 27th, 2011)

  3. #2
    मुझे शुरू से ही यह खबर मिल रही थी के यशपाल मलिक मायावती का एजेंट हैं लेकिन इन बातो पर मैंने पहले कभी ध्यान नहीं दिया |लेकिन मई 2011 में दिल्ली i.b के एक मेरे मित्र अधिकारी ने इस बारे में विस्तार से बतलाया और उसने यहाँ तक कहा की यशपाल मलिक को आन्दोलन के बहाने चौ.अजीत सिंह का विरोध करने के लिए पैसा भी दिया जा रहा हैं तो फिर मैंने इस बात पर गहराई से सोचना शुरू किया और पिछली घटनाओ का विश्लेषण किया तो पाया की उसने मायावती के इशारे पर मुरादनगर में दिल्ली का पानी रोका और जब मायावती पर केंद्र का दबाव पड़ा तो उसने बैगर किसी समझोते के दिल्ली का पानी छोड़ दिया | और इसी प्रकार बाद में मायावती के इशारे से ही काफुरपुर का रेलवे ट्रैक खाली कर दिया | उसी दिन मुरादनगर में यशपाल मलिक ने स्टेज से चौ.अजीत सिंह के विरुद्ध कुछ शब्द बोले तो वहा हंगामा भी खडा हो गया था |

    यशपाल मलिक आज तक यह कहता रहा और हम मानते रहे की वह आन्दोलन में पूरा पैसे अपनी जेब से खर्च कर रहा हैं और इसके लिए उसने हमारे लिए भी हरियाणा में पैसा खर्च किया लेकिन अब यह सपष्ट हो गया की यह पैसे हमारे ही कुछ जाट भाइयों से धोखाधड़ी करके ऐंठा गया था जिसका प्रमाण हैं हमारे संगठन के पूर्व महासचिव पुष्पेन्द्र सिंह का 13 लाख रुपया जो यशपाल मलिक से लेना था मांगने पर उसे संगठन से बाहर कर दिया | इसी प्रकार मुझे कुछ और लोग भी मिले हैं जिनकी यह शिकायत रही की मलिक उनका पैसा नहीं दे रहा लेकिन उनके नाम यहाँ लिखना मैं उचित नहीं समझता | लेकिन इसके सबसे बड़े प्रमाण हैं की मुज्जफरनगर जिले में न्यायलय के आदेश से इसी नवंबर में यशपाल मलिक के विरुद्ध थाने में धोखाधड़ी की f .i .r दर्ज हुई हैं | इसके अतिरिक्त हमारे संगठन का शुरू से ही यह फैसला था की चंदे के लिए रसीदे नहीं काटी जाएगी | लेकिन यशपाल मलिक ने इसका भी उल्लंघन करते हुए लाखो की रसीदे काटी हैं जिनकी फोटोस्टेट कापिया उपलब्द हैं | इसी प्रकार यशपाल मलिक ने अपने साप्ताहिकी अखबार ''एक कदम'' आगे का जनवरी 2011 में दफ्तर का उदघाटन करवाया जिसके लिए हमने सैंकड़ो सदस्य भी बनाए | लेकिन 2 महीने बाद अखबार भेजना बंद कर दिया | फिर भी नवम्बर 2011 तक दफ्तर का किराया देकर ब्यूरो चीफ जे.के.वर्मा का वेतन नहीं दिया | जिसको यशपाल मलिक ने स्वयं गाजियाबाद बुलाकर नियुक्त किया था | अभी वर्मा जी भी न्यायलय जाने के तैयारी कर रहे हैं | जबकि मेरे विरुद्ध प्रचार किया जा रहा हें की मैं किताब बेचता फिर रहा हु यदि किताब लिखना और बेचना अपराध हैं तो मैं मेरी कौम के लिए जरूर करता रहूँगा |

    आज तक हमारे संगठन के सफलता का रहस्य केवल दो ही बातो पर रहा की हम रसीदों के तहत चंदा नहीं बटोरेंगे और उसका किसी भी राजनीतिक पार्टी का समर्थन और विरोध नहीं करेंगे | केवल सरकारों के विरुद्ध आन्दोलन करेंगे | लेकिन इस शर्त का भी यशपाल मलिक ने उल्लंघन करते हुए 16 दिसंबर 2011 को चंडीगढ़ में ब्यान दिया की वह आने वाले 5 राज्यों के चुनाव में कांग्रेस पार्टी का विरोध करेंगे | हमने 13 सितम्बर 2011 से फैसला ले रखा हैं की हमे 18 फ़रवरी 2012 तक जाट आरक्षण की घोषणा नहीं होती हैं तो 19 फरवरी 2012 से ''करो या मरो '' का आन्दोलन करेंगे | लेकिन यशपाल मलिक ने इसका भी उल्लंघन करते हुए चंडीगढ़ में कह दिया की वो 15 फरवरी 2012 से आन्दोलन करेंगे | इससे बढ़कर यहीं यशपाल मलिक जिसने 24 नवम्बर 2011 को गढ़ी सांपला में चौ.छोटूराम के जन्मदिवस समारोह में बोलते हुए जाट समाज के सामने साफ़ साफ़ कहा था की हिरयाणा में जाट आरक्षण आन्दोलन के लिए हवा सिंह सांगवान जो भी फैसला लेगा हम सभी उसके पीछे हैं | लेकिन उसने इसका भी उल्लंघन करते हुए 16 दिसंबर 2011 को चंडीगढ़ में मुझे हरियाणा के अध्यक्ष पद से हटाकर धर्मपाल छोत को लगाया | यह उसकी घृणित सोच के तहत ही हैं | उसे इस प्रकार की गोटिया खेलने की आदत हैं | इस सभी बातों को देखते हुए हरियाणा के जाट समाज को मैंने अप्रैल 2011 से ही जगह जगह मीटिंगों में बतलाता रहा और एक बार गढ़ी सांपला में ही उसको राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाने का प्रस्ताव भी लाया गया | लेकिन हरियाणा के जाट समाज के कौमी एकता के दबाव में मैं उसे उपरी मन से अध्यक्ष मानता रहा | लेकिन समाज में यह सभी बाते उजागर हो गई तो उसे 18 दिसंबर 2011 में नरवाना में समाज की सहमति से उसे पद से हटा दिया गया | इससे पहले मैंने उसे 10 दिसंबर को साफ़ साफ़ बता दिया था की वह मेहरबानी करके हरियाणा में संगठन की तोड़ फोड़ ना करे लेकिन उसने मेरी बात की कोई परवाह नहीं की | मैं जानता हु की कुछ लोग पदों के लालच में तथा उसकी चिकनी चुपड़ी बातो में आकर के उसका हरियाणा में सहयोग कर रहे हैं समय आने पर यह लोग भी एक दिन समझ जाएंगे | यशपाल मलिक को जाट आरक्षण से कोई लेना देना नहीं हैं उसका मकसद केवल अपने नाम को चमकाना तथा u.p में चौ.अजीत सिंह का विरोध करके अपनी राजनीति को चमकाना हैं तथा जाट समाज को मुर्ख बनाना हैं | मलिक कहता फिर रहा हैं की प्रदेश अध्यश राष्ट्रिय अध्यक्ष को नहीं हट सकता तो उसे बता देता हु की उसे हरियाणा के जाट समाज ने हटाया हैं ना के हवा सिंह सांगवान ने | जाट कौम की भलाई के लिए यशपाल मलिक को उसके पद से हटाना सही समय पर एक सही फैसला हें क्योंकि केंद्र में भी मीटिंगों में मुकुल वासनिक आदि से पहले ही बदतमीजी कर चूका था इसलिए उसे कोई देखना नहीं चाहता | अब पुरे भारत के जाट समाज के आरक्षण का रास्ता साफ़ हो चूका हें समय कितना भी लगे |
    ऊपर लिखित बातो से यह सपष्ट हैं की यशपाल मलिक एक डरपोक किस्म का व्यक्ति हैं जो झूठ बोलने में माहिर और लोगो को बरगलाना जानता हैं | हमारे समाज के लोगो से मोटि मोटि रकम ऐठने में निपुण हैं | जो पैसे के बल से जाट समाज को खरीदना चाहता हैं और हम हरियाणा के जाट बिकनेवाले नहीं हैं | यशपाल मलिक को उत्तर प्रदेश का जाट पहले ही नकार चुका हैं अब हमारी बारी हैं | आरक्षण जाटों का सैवधानिक अधिकार हैं और इसे हम हर कीमत पर लेकर रहेंगे | मैं इस बात का मेरे समाज से सरे आम वादा करता हु लेकिन मुझे केवल आपसे सहयोग चाहिए |
    जय जाट

    आपका अपना
    हवा सिंह सांगवान (पूर्व कमांडेंट )
    प्रदेश अध्यक्ष (हरियाणा)
    अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

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    deshi-jat (December 27th, 2011)

  5. #3
    कुछ नहीं होना जाना ,म्हारा काम स खोंस्ड़ा बजाना ,,

    चोधरी हामने कोए जो ना बनावे तो शर्म तार के रोड प जाना /


    तयार स हाम लड़न न लड़ाई ,


    जाट कोम गई भाड़ म हामने अपनी रोटी खाई सिकी सिकाई - जाट कोम का ''लीडर''



    दिखे या ए हालत होली इनकी ,,लोगा न फद्दु बनाते हांडे स ,आये दिन खोंस्ड़ा बजाये जावे स ,

    ये चाहवे स न्यू - मूढे प बैठ के होका पीवे आर फेर कोए इनका एंट्रू लेवे ,,आर पूछे इनपे अक ताऊ जाटा न आरक्षण मिलेगा ?
    Last edited by kuldeeppunia25; December 24th, 2011 at 11:00 AM.
    चालना राही का, चाहे फेर क्यूं ना हो । बैठना भाइयाँ का, चाहे बैर क्यूं ना हो ।।




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    Dagar25 (December 24th, 2011), deshi-jat (December 24th, 2011), JSRana (December 24th, 2011), vijaykajla1 (December 24th, 2011)

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