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Thread: राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन, २६ फ़रवरी, जींद, 

  1. #1

    राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन, २६ फ़रवरी, जींद, 

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    युवाओं, बहनों, सज्जनों;
    आज हम आर्यवंशियों की परम्परा सभ्यता एवं संस्कृति पर कुठाराघात किया जा रहा है. एक ही गोत्र, ग्राम में विवाह न करने हरी वैज्ञानिक आर्य परंपरा को भी धत्ता बताया जाता है और पंचायतें शास्त्र प्रमाण के अभाव में कुछ विशेष कर पाने में सक्षम नही है. ऐसे हालात में हम और आप इन आर्य परम्पराओं को कब तक संभल पाएंगे. ये आकरमन गुलामी कल में तो लगातार जारी ही थे, पर अब भी रुके नही हैं. सभ्यता और संस्कृति को रोंदा जा रहा है.
    इन सब परिस्थितियों को देखते हुए हम आर्यवंशियों को एकता और भाईचारे की अति आवश्यकता है. और इसके साथ साथ शास्त्र प्रमाण हेतु विद्या का होना भी जरूरी है. चौ. छोटूराम भी कहा करते थे- "ए भोले किसान दो बात मेरी मान ले, एक बोलना ले सिख और दुश्मन पहचान ले" हमे अपनी परम्परा की रक्षा हेतु बोलना सीखना होगा, परम्परा के पक्ष में बोलना, परंपरा की रक्षा के लिए बोलना, परंपरा की बढ़ोतरी के लिए बोलना. और हमें अपनी सभ्यता, संस्कृति के दुश्मनों की पहचान करनी होगी.
    इस कार्य में राष्ट्रीय आर्य निर्मात्री सभा पिछले ७ वर्षों से लगातार अनथक प्रयास कर रही है. और क्षेत्र के हज़ारों युवाओं, युवतियों को आर्य सभ्यता संस्कृति से औत प्रोत किया है और अब भी यह अभियान लगातार जारी है. अधिक जानकारी के लिए www.aryanirmatrisabha.com पर क्लिक करें.

    अब २६ फ़रवरी को जींद में राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. जिसमे देश भर से आर्य सभ्यता एवं परंपरा के लगभग 15000 वाहक जन पहुँच रहे हैं. आप भी इस सभ्यता संस्कृति की रक्षा के अभियान में सहयोगी बने. और २६ फ़रवरी को जींद पहुंचे. अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें आ. अशोक पाल-+919541305138. or mail at aryarashtra@gmail.com
    ए भोले इन्सान दो बात मेरी मान ले|
    एक बोलना ले सीख और शत्रु पहचान ले|

  2. The Following 6 Users Say Thank You to ashokpaul For This Useful Post:

    amankadian (January 1st, 2012), JSRana (January 2nd, 2012), navdeepkhatkar (January 2nd, 2012), sukhbirhooda (December 31st, 2011), thukrela (January 1st, 2012), vishalsunsunwal (January 2nd, 2012)

  3. #2
    Friends

    Congts to organisers. It is great opportunity to learn the basic teachings of the Vedas and understanding how far the ancient ideals and ideas enshrined in the Vedas can be applied in the modern age.

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