भाईसाब में हिसार केंट से हु.. और आपके धनखड़ मित्र ने धाऊ जाणू सू.. पप्पू कह्या करते छोटे आले ने.. बड़े आले का नाम ध्यान नहीं आ रहा अभी…
.
.
भाई कोई यहाँ हिसार के गवर्नमेंट कालेज का भी पढ़ा है क्या.. में वहां एक साल था.
सन 2001-02 की बात है.. वहां नयी प्रिंसिपल आई थी ...और उसने छोरे छोरी के पार्क न्यारे न्यारे कर दिए... अक वें उन्हें में इ बैठेंगे...बड़ा ही तुगलकी फरमान था..बेतुका
हमारा केंट के बालको का ग्रुप होया करता था छोरे छोरियां का..जो कठे बरम्ही कर के ए थे.. और वहां का माहौल बड़ा ही अलग था.. छोरे छोरी का apas में खड़े हो के बात करना taboo था.. क्लास के मोल्लाड बालक कमेन्ट मर्या करदे धोरे के लिकड़ते हुए...अक कर्र गया बात आज तो...म्हारी भी करवा दिया कर कड़े...हा हा हा हा ..
अर्र कोए हो छोर्री बदल रोल्ले माच जाया करदे अप्पस में.... अर्र छोरी उनमे ते दोनुआ ने नहीं जाना करती ...बाद में बेर लगता .. अक तेरे बदल सर फुडाये बैट्ठे सें...हा हा
.
.
.
खैर वक़्त बदला... और ऐसे भी कालेज में पढ़ा .. जहाँ छोरे छोरी आपस में ... सुट्टा, दारू, पब, डिस्क, farmhouse वीकेंड nite पार्टी, gym , स्विम्मिंग, हॉस्टल आम बात थी ..और ऐसे खुलेपन में कोई आपस में छेड़ खान्नी, बदतमीजी, ओछा पण वाली कोई बात नहीं थी... और सभी अपने कोम्फोर्ट लेवल व ग्रुप के हिसाब से तालमेल था अप्पस में.