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Thread: S. Swami: One man demolition army

  1. #1

    S. Swami: One man demolition army

    सुब्रमण्यन स्वामी पर नवभारत में छपा एक लेख:

    मीडिया और राजनीति में वन-मैन-डिमोलिशन-आर्मी जैसी ख्याति वाले सुब्रमण्यन स्वामी पिछले हफ्ते हैट्रिक लेते-लेते रह गए। सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने दो बड़े विकेट उखाड़े। इतने बड़े कि उनके दुश्मनों के मुंह से भी उनके लिए वाह निकल गई। लेकिन तीसरा विकेट न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में बल्कि ट्रायल कोर्ट में भी जमा रहा। हो सकता है, उसने स्वामी को गहरी मनोवैज्ञानिक चोट पहुंचाई हो। पहले दोनों गिरे हुए विकेटों के बारे में बात करें।

    सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रमण्यन स्वामी की इस दलील को ज्यों का त्यों स्वीकार कर लिया कि वे (और वे ही नहीं, देश का कोई भी नागरिक, जिसके पास इस काम के लिए जरूरी समझ और सबूत हों) एक केंद्रीय मंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने के हकदार हैं। साथ ही यह निर्देश भी जारी किया कि पीएमओ या किसी अन्य अथॉरिटी के यहां अगर किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने की अर्जी लगाई जाए तो वह अधिकतम तीन (कुछ खास मामलों में चार) महीने में इस पर हां या ना बोल दे। दूसरा विकेट 2 जी स्पेक्ट्रम का सौदा रद्द हो जाने के फैसले के रूप में गिरा, जिससे देश-दुनिया में यूपीए सरकार की जबर्दस्त किरकिरी हुई।

    लेकिन इन दोनों फैसलों के विजय गर्व के बावजूद सुब्रमण्यन स्वामी को वह खुशी नहीं मिली, जिसके लिए वे 73 साल की उम्र में इतने उत्साह से दिन-रात एक किए हुए थे। 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में स्वामी की असली लड़ाई न ए. राजा से है, न उनके संरक्षक एम. करुणानिधि से। वे असल में केंद्रीय गृहमंत्री केंद्रीय गृहमंत्री और हार्वर्ड युनिवर्सिटी के अपने जूनियर पी. चिदंबरम को उनकी औकात बताने की लड़ाई लड़ रहे हैं, जिनके खिलाफ सीबीआई जांच बिठाने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया और बाद में दिल्ली की स्पेशल ट्रायल कोर्ट ने भी जिन्हें अपनी तरफ से बेदाग बता दिया।

    चिदंबरम के खिलाफ स्वामी की मुख्य दलीलें दो थीं। एक, बतौर वित्तमंत्री उन्होंने 2001 की दरों पर स्पेक्ट्रम की नीलामी करने के राजा के फैसले को 'क्लोज्ड केस' करार दिया था, और दो, स्पेक्ट्रम खरीदने वाली कुछ टेलिकॉम कंपनियों द्वारा अपने शेयर बेचने के फैसले पर मोहर लगाई थी। ट्रायल कोर्ट में फैसले के दिन जस्टिस सैनी ने स्वामी को अपनी दलीलें और ज्यादा पुख्तगी के साथ पेश करने के लिए अकेले में करीब एक घंटे का समय भी दिया। लेकिन इस समय के भरपूर सदुपयोग के बावजूद स्वामी अदालत को चिदंबरम के दोनों फैसलों में किसी गैरकानूनी हरकत या भ्रष्ट इरादे की झलक नहीं दिखला पाए।

    जाहिर है , अपनी पूर्व घोषणा के अनुसार स्वामी और ज्यादा दलीलों के साथ ऊंची अदालतों में इस फैसले के खिलाफ अर्जी लगाएंगे। अतीत में असंभव सी लगने वाली जगहों से वे अपने मुकदमे खींच कर बाहर लाए हैं और जीत भी हासिल की है। ऐसे में अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि अपने फैसले के जरिये जस्टिस सैनी ने सुब्रमण्यन स्वामी की चिदंबरम विरोधी दलीलों की धार कुंद कर दी है। यहां एक और बात साफ कर देना जरूरी है। अगर कोई सोचता है कि स्वामी चिदंबरम को अपने जोड़ का मान कर अपनी लड़ाई उन्हीं तक सीमित रखे हुए हैं , तो यह उसकी भूल है। निजी बातचीत में वे चिदंबरम को अपने एक नाकारा चेले से ज्यादा महत्व नहीं देते। उनकी चोटी की लड़ाई सोनिया गांधी के खिलाफ है , जिनके कथित ' भारत विरोधी षड्यंत्रों ' के खिलाफ उन्होंने बाकायदा एक किताब लिख छोड़ी है। प्रधानमंत्री के पास ए . राजा पर मुकदमा चलाने की इजाजत मांगने वाली चिट्ठी उन्होंने 2008 में लिखी थी , लेकिन दो साल बाद उससे कहीं ज्यादा लंबी चिट्ठी उन्होंने सोनिया गांधी पर मुकदमा चलाने के संबंध में लिखी। चिदंबरम का मोर्चा फतह हो जाने के बाद वे शायद इसी तरफ कदम बढ़ाते , लेकिन अभी यात्रा में कुछ व्यवधान आ गया है।

    सुब्रमण्यन स्वामी भारतीय राजनीति के कुछ सबसे दिलचस्प चरित्रों में से हैं। इतने दिलचस्प कि फैसले से एक दिन पहले टेलिकॉम राज्यमंत्री सचिन पायलट ने एक अनौपचारिक मुलाकात में यों ही मुझसे पूछा , ' भाई , ये स्वामी जी आखिर किस चक्की का आटा खाते हैं ?' मैंने कहा , शायद उसी चक्की का , जहां से चाणक्य और मैकियावेली के घर सप्लाई जाती होगी ।
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    नवभारत टाइम्स में श्री चंद्रभूषण का लेख.
    जाट महान
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    बेगानों में वफ़ा की तलाश ना कर ‘साहिल’,
    तेरे तो अपने भी अक्सर बेवफा निकलते हैं l

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  3. #2
    इसमें कोई शक नहीं है.......कसूता निर्भीक आदमी है......अच्छे अछ्याँ का बक्कल तार दे है.......बाकी कुछ और दिलचस्प बातें Wiki से पता लगी......जितने जाट दबंग बने हांडे हैं उनने कुछ inspiration लेनी चाहिए इस्ते......

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  5. #3
    Quote Originally Posted by vikda View Post
    इसमें कोई शक नहीं है.......कसूता निर्भीक आदमी है......अच्छे अछ्याँ का बक्कल तार दे है.......बाकी कुछ और दिलचस्प बातें Wiki से पता लगी......जितने जाट दबंग बने हांडे हैं उनने कुछ inspiration लेनी चाहिए इस्ते......
    कती आंडी बात ,आपणे घरां ते दुनिया थूक बिलोवे स ,आंडी ते जब माने जावेंगे जब बाहर लिकड़ के ने समाज , देश हित में दबंगागीरी दीखावेंगे |इस्से साईट पे एक बावली बूच स नरेश कादयान ,वो आपणे जाट भाइयां-ए के खिलाफ रिट पेटीशन गेरदा हंडे जावे स खाम खा की | अर आपणे आप ने आंडी समझे स,एक आध नेता के तलवे चाट के ने |
    :rockwhen you found a key to success,some ideot change the lock,*******BREAK THE DOOR.
    हक़ मांगने से नहीं मिलता , छिना जाता हे |
    अहिंसा कमजोरों का हथियार हे |
    पगड़ी संभाल जट्टा |
    मौत नु आंगालियाँ पे नचांदे , ते आपां जाट कुहांदे |

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  7. #4
    जाट महान
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    बेगानों में वफ़ा की तलाश ना कर ‘साहिल’,
    तेरे तो अपने भी अक्सर बेवफा निकलते हैं l

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    ravinderjeet (February 12th, 2012)

  9. #5
    जाट महान
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    बेगानों में वफ़ा की तलाश ना कर ‘साहिल’,
    तेरे तो अपने भी अक्सर बेवफा निकलते हैं l

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    ravinderjeet (February 12th, 2012)

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