बदल गयी देखो वो रस्मे .............. बदल गयी हैं वो कसमें
ना अब वो अल्फाज़ रहे ........... ... ना दिल के वो जज़्बात रहे
ना आँखों की वो शर्म रही ............. ना मन में अब वो मर्म रही
रोज़ बदल रही हैं बाहें गोरी ........... रोज़ हो रही है सीना ज़ोरी
रोज़ अब लग रहा बाज़ार है भइया .......रोज़ बिक रहा सामान है भइया
खेल है यह सब पैसों का ...............मोल नही यहाँ अब मेरे जैसे प्रेमी का
अकेला था ,अकेला ही रह जाऊँगा, तनिक भी नही गम इस बात का……….. क्या होगा मेरे बाद तेरा, मुझे तो डर है बस इस बात का
दिल तोड़कर जाने वाले सुन ले बस मेरी इतनी सी बात .....
हर कोई नही यहाँ मेरी तरह प्रेम का पुजारी ......
प्यार पर है आज "लोभ", "धन" और "वासना" भारी.......... आज ‘ मेरी’ है तो कल ‘तेरी’ भी बारी !!