Dear JLs
मुझे लगता है इस विषय पर बहुत बहस हो सकती है। इसलिए मैं आपके ईमानदार तर्कों के इंतज़ार में हूँ। मेरे सवालों से पहले एक शेर अर्ज़ है
"मेरी जिंदगी तो मेरे गमों का लिबास है,
पर जमाना कहाँ इतना गम शनास है
जब दुनिया थी मुतमइन तो मैं था कुछ उदास
अब मैं हूँ मुतमइन तो जमाना उदास है"
गम शनास - दुखों को पहचानने वाला
मुतमइन - संतुष्ट
अब सवालों पर आइये ...
माफ कीजिएगा क्योंकि कुछ सवाल आपको भी मेरी तरह खल सकते हैं। All the questions given here are in general context, plz. don't take them personal.
1. क्या हमें System की पूरी जानकारी है इसलिए नाराज हैं?
2. क्या हमें System की कुछ जानकारी नहीं, इसलिए नाराज हैं?
3. क्या हम तब तक नाराज हैं, जब तक हमारा काम नहीं होता?
4. क्या System में हर काम Merit से संभव है?
5. Merit में हमारी(Jat) जगह कहाँ मानते हैं?
6. Merit के लिए जरूरतमन्द को बाहर करना चाहिए या जरूरतमन्द के लिए Merit को तोड़ना जायज है?
Thanx.