पिनाहट के पूर्व ब्लाक प्रमुख देवगढ़ गांव के रामस्वरूप सिंह की 1975 में आगरा के पंचकुइयां तिराहे पर राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के चलते हत्या कर दी गई। रामस्वरूप का पुनर्जन्म रतन बसई, मुरैना के जगदीश उपाध्याय के घर हुआ। भागवताचार्य बने बेटे विनोद कृष्ण शास्त्री श्रीमद्भागवत बांचने 1998 में जरार गए। यहां गिर्राज जी मंदिर पर जाते वक्त पिनाहट कस्बे के देवगढ़ के रामसनेही को उन्होंने पूर्वजन्म के परिचित के रूप में पहचान लिया। बात गांव तक पहुंची तो परिजन जरार पहुंच गए। विनोद कृष्ण शास्त्री ने जरार में अपने पूर्वजन्म की दोनों पत्नियों सुलोचना, माया के नाम बताए तो लोग अवाक रह गये। एक-एक कर उन्होंने गांव के सभी लोगों के नाम बताए और अपने मर्डर का राज खोला।
पूर्व जन्म की पत्नियों का कर्ज चुकाने को नहीं किया विवाह
पूर्व जन्म की दो पत्नियों का कर्ज चुकाने के लिए विनोद कृष्ण शास्त्री ने इस जन्म में विवाह नहीं किया। एक बार बारिश के लिए तपस्या के बाद जब धर्मस्थलों की सात दिन की परिक्रमा की बात आई तो उन्होंने शुभारंभ के लिए देवगढ़ को ही चुना। गत वर्ष सुलोचना की मौत पर पूर्वजन्म का यह पति अंतिम संस्कार में भागीदार बना। रतन बसई और देवगढ़ के बीच दोनों जन्मों के रिश्तों को भागवताचार्य बखूबी निभा रहे हैं। [Source-Amar ujala]
Hindustan mae aisi kafi ghatnaye dekhne ko ati hae.
*It is true that energy cannot be created or destroyed.but stephen hawking says that there is nothing after life.