|| जाट सोना उगाता हे ||
=== २२ ===
बड़ी मेहनत कमा करके जाट सोना उगाता हे |
कलेजा उट्ठ जाता हे ,जब वो कस्सी बैठाता हे ||
सदा ऊंचे व् नीचे खेत को, करता रहे समतल -२
दिन में जोत - बो कर , रात पानी लगाता हे ||
खरीदा खाद था महंगा ,बीज बाजार से लाया -२
नकली हे, नहीं उगता ,हाथ माथे लगाता हे ||
किया जो खेत में पैदा ,ढेर मंडी में लग जाता -२
सेठ मुट्ठी में भर-भर कर ,खड़ी बोली लगता हे ||
उठा खेत से गन्ना मीलों में पहुंचा देता -२
पसीना छुट जाता, की वो पर्ची थमाता हे |
"ओमपाल" ऐसा हाल जट्टों का दीवानों सा-२
पंडा घुस के घर अन्दर ,सेठ बाहर से खाता हे ||
निरंतर जारी .........................,