उपेंद्र का rss वालों ने कबूतर बना रखा हैं , जो बिल्ली न आती देख आँख मींच लिया करे न्यू ए यो कोणी देखना चाहवे के हक़ीक़त के स ....
उपेंद्र का rss वालों ने कबूतर बना रखा हैं , जो बिल्ली न आती देख आँख मींच लिया करे न्यू ए यो कोणी देखना चाहवे के हक़ीक़त के स ....
" जाट हारा नहीं कभी रण में तीर तोप तलवारों से ,
जाट तो हारा हैं , गद्दारों से दरबारों से |"
" इस कौम का ईलाही दुखड़ा किसे सुनाऊ ?
डर हैं के इसके गम में घुल घुल के न मर जाऊँ || "
...........................चौ.छोटूराम ओहल्याण
Raghbirdeol (April 13th, 2012), vicky84 (April 13th, 2012)
Dear Mr. Singh,
First of all very good afternoon to you. i have read your post on Hindu Sikh jat..I couldn't understand that are we people are trying to fillup the gap or trying to creat more gap in between hindu sikh jat...There is nothing like that Sikh jat think themselves superior then hindu jats...i studied in kurukhetra University and in Punjab uni chandigarh..please do visit that part ..we never feel that we have ny diff..m from panipat and if i have 100 jat frndz 90% of them are hindu jat..I dont know why u said that hindu jat were like that and now dayz you have your own icons to cheer....i do cheer sehwag .sania nehawal or every one related to jat community...I am here to support jatt community and trying to help whatever in my reach to ny jat from ny relagion...so please support entire jatt community or else we would not be able to stand unite...I request to every on to put their ego aside and think global in terms of jat welfair..If you hev any other doubt please feel free to contact me or write to me..
Regards
raghbir Singh Deol
You cannot change the circumstances, the seasons, or the wind, but you can change yourself"
dangi (April 15th, 2012), JSRana (April 13th, 2012), Moar (April 13th, 2012), prashantacmet (April 13th, 2012), Rajkamal (April 13th, 2012), reenu (April 13th, 2012), vicky84 (April 13th, 2012), vijaykajla1 (April 14th, 2012)
I can understand and m agree too that some time it happens that some people have these thing in mind that Sikh jat n hindu jat are diff...but its our responsibility to correct that thing...And i total support you on this that we need to change this line "For now, membership to the site is generally limited to Hindu Jats".. I hope young jat generation will not get into this Hindu sikh jat diff and our bhaichara will grow day by day,,,...all are educated now days and can easily understand that y this diff was created by some politicians and sick people for their own benefit and we were fool who been fighting and still in ego ..They were well aware of this fact that if hindu n sikh jat became unite their empire will b in danger..So lets be only jat...no Hidu jat no sikh jat..Just Jat..
You cannot change the circumstances, the seasons, or the wind, but you can change yourself"
जाति अपनी जगह हैं और धर्म अपनी जगह | धर्म के नाम से जाति को बांटना गलत हैं , हमे धर्म से पहले अपनी जाति को देखना चाहिए | जो लोग जाति से पहले धर्म को देखते हैं वो लोग अंधे हैं बहके हुए हैं | धर्म या मजहब तो एक आस्था और आस्था कभी भी कितनी ही बार बदली जा सकती हैं पर जाति नहीं |
मेरी 12vi तक की स्कूली शिक्षा चंडीगढ़ की हैं | मेरी 12 वि की क्लास में हम 14 जाट थे , 13 सिख जाट और एक मैं मोना जाट | पंजाब के जाट में जातिवाद हमसे कहीं ज्यादा हैं , उस वक़्त वे पंजाब के लड़के क्लास में जाटों की गिनती करते तो 14 गिनते , मैं पूछता के 14 वा कौन हैं , तो वे मेरा नाम लेते | मैं उपेंदर वाली करता के मैं तो मोना हु तो वो कहते के क्या बात हुई हैं तो जाट |
ऐसा ही एक वाक्या भिवानी का हैं | एक बार गली में एक पंजाब का सरदार जी चावल बेचता घूम रहा था | मैंने उसको बुला लिया , पूछा किथो आया , उनसे कहा पटियाले तो | मैंने उसकी जाति पूछी बोला के चौहान जट्ट तो मैंने जाण के कहा के जट्ट हैं के जाट हैं , उसने कहा वीरजी एको ही गल हैं बस बोलन दा फर्क हैं | मैंने उसको चाय पानी पिलाया के परदेशी भाई स बैठ | इतने में गली की सारी पंजाबन (भापन) इकैट्ठी हो गई सारी माच के उस गैल पंजाबी में बोले दीखान ताहि के हाम भी पंजाबी सा ....चावल लेने के बाद उस भाई ने उनके 21 रूपये के भाव से लगाये , मेरे ता वो बोला के भाई जी आप 19 के हिसाब से दे दो ...तो इतने में एक पंजाबन बोली के इसके एन्ना कम क्यों लाया , तो वो भाई उसते बोल्या के ''बीबी साढ़ी गल होर हैं ''
हरियाणा के चौटाला परिवार और पंजाब के बादल परिवार का याराना तो किसे से नहीं छुपा , कोई नहीं कह सकता के ये दोनों अलग अलग परिवार हैं | जब भाजपा की सरकार थी तब एक विज्ञान भवन में कोई प्रोग्राम चल रहा था वाजपई के एक तरफ चौटाला साहब बैठे थे और दूसरी तरफ बादल साहब | भाजपा की सरकार एक बार 13 दिन में गिर गई थी और दूसरी बार 13 महीने में | जब चौटाला साहब के भाषण की बारी आई तो , चौटाला साहब ने कहा के वाजपई जी अब आपकी सरकार को कोई ख़तरा नहीं हैं अब आपके आजू बाजू दो जाट बैठे हैं एक तरफ चौटाला तो दूसरी तरफ बादल .......अगर कोई फर्क होता तो चौटाला साहब सरे आम अपने भाषण में यह नहीं कहते ....
तो भाइयो यो तो आपना आपना नजरिया स , जिसा बर्ताव थामने करा हो उसा ऐ आगला करेगा , इब उपेंदर बर्गा जाति त पहले धर्म के बाथ बरेगा तो हाम के घाट घालांगे
" जाट हारा नहीं कभी रण में तीर तोप तलवारों से ,
जाट तो हारा हैं , गद्दारों से दरबारों से |"
" इस कौम का ईलाही दुखड़ा किसे सुनाऊ ?
डर हैं के इसके गम में घुल घुल के न मर जाऊँ || "
...........................चौ.छोटूराम ओहल्याण
dangi (April 15th, 2012), dndeswal (April 14th, 2012), Moar (April 14th, 2012), prashantacmet (April 16th, 2012), Raghbirdeol (April 14th, 2012), ravinderjeet (April 15th, 2012), reenu (April 14th, 2012), satyenderdeswal (April 14th, 2012), ssgoyat (April 14th, 2012), vicky84 (April 14th, 2012), vijaykajla1 (April 14th, 2012), vishalsunsunwal (April 14th, 2012)
हकीकत आप बता दो जनाब, लेकिन किसी ठोस प्रमाण के साथ बताना...
मेरी ये समझ में नहीं आता लोग हिंदुओं के इतने दुश्मन क्यों हो जाते हैं...लगभग 1000 साल पहले भारत में सब हिंदू ही थे...इसके बाद जयचंद ने गद्दारी की तो यहां मुसलमान पैठ बना गए...इसके बाद यहां हिंदुओं को मिटाने की खूब कोशिश हुई...क्यों??? क्या कसूर था हिंदुओं का? क्या यह कसूर था कि उन्होंने कड़ी मेहनत से बेशुमार धन जोड़ा था और भारत को दुनिया का सबसे अमीर देश बनाया था? क्या यह कसूर था की सदियों पुरानी अपनी संस्कृति को संभाला था? एक जयचंद ने गद्दारी की तो देश के लिए बलिदान भी तो अनेकों हिंदुओं ने दिया...इसके बाद अंग्रेज आ गए...मुसलमानों का पतन हो गया, लेकिन अंग्रेज हावी हो गए...इस बीच लगभग 300 साल पहले गुरु गोबिंद सिंह के नेतृत्व में सिखों का उदय हुआ...1947 में किसी तरह देश आजाद हुआ...देश का बटवारा हुआ...भारी खून-खराबा हुआ...जैसे ही कोई नया धर्म वजूद में आता है तो उसे मानने वाले खुद की अपनी अलग पहचान बनाना चाहते हैं...मुसलमान, जिनमें से अधिकतर कभी हिंदू ही थे, वे हमारे दुश्मन बन गए और हमें मिटाने में लग गए...वे तो बंगाली मुसलमानों को भी कुचलने में लग गए, जिसके चलते 1971 में उन्हें सबक सिखाया गया...जो सिख धर्म कभी भारत की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हुआ था, उसमें से एक धड़ा खालिस्तान की मांग करने लगा...पंजाब में हिंदुओं पर जुल्म ढहाने लगा...क्यों??? क्या कसूर था हिंदुओं का??? ...इसके बाद ऑपरेशन ब्लू स्टार हुआ, इतनी अच्छी नेता इंदिरा गांधी को मार दिया गया...फिर सिखों का कत्ले-आम हुआ...इसमें कोई मुझे बताए कि हिंदुओं की कहां गलती है? पहले हिंदुओं को सताया गया...तब हिंदुओं को सख्ती दिखानी पड़ी...
बिना धर्म के कोई नहीं जी सकता...यही कारण है कि इस दुनिया में अधिकतर लोगों का कोई न कोई धर्म है. आखिर कोई तो वजह होगी जो अमेरिका और यूरोप के 'बेहद बुद्धिमान' एवं तथाकथित अत्याधुनिक विचारों के लोगों ने भी किसी न किसी धर्म को अपनाया हुआ है...जो ये समझता हो कि ये धर्म वगैरह सब फिजूल की बातें हैं तो फिर वो बिना धर्म के जीकर दिखाए, तब मानेंगे...इसके लिए ऐसा नाम रखना होगा, ऐसी वेशभूषा, ऐसा रहन-सहन अपनाना होगा, जो किसी भी धर्म से ताल्लुक न रखता हो...खुद के, बच्चों के शादी-ब्याह के समय, कोई नौकरी हासिल करते समय, कहीं दाखिला लेते समय भी ये कहना होगा कि मेरा कोई धर्म नहीं है...पता चल जाएगा कि बिना धर्म के जीना क्या होता है...कोई भले ही कितनी ही डींगें हांकता रहे कि वो तो धर्म में यकीन ही नहीं करता, इसके बावजूद वो किसी न किसी रूप में धर्म से जुड़ा होता है...जब हम किसी को अपना नाम बताते हैं तो बस वहीं हम धर्म का फायदा उठा लेते हैं...ऐसे तथाकथित 'नास्तिक' व्यापार में, ऑफिस में, नौकरी में कुछ ऐसा नाम बताकर दिखाएं, जिसका किसी धर्म से ताल्लुक न हो...तब चलेगा असली पता कि धर्म का क्या फायदा मिल रहा होता है उन्हें...बिना धर्म के इंसान पशु समान है...अगर हमें किसी धर्म का लाभ मिल रहा है तो ये हमारा फर्ज बनता है कि हम उस धर्म का अहसान मानें और उसकी भलाई सोचें...ये ठीक वैसे ही है, जैसे कि कोई पेड़ हमें छाया का सुख दे रहा है तो हमारा फर्ज बनता है कि उस पेड़ की जड़ें न काटें, बल्कि उसका कुछ भला सोचें...जाट सदियों से हिंदू धर्म की छात्र-छाया में जी रहे हैं, बल्कि यूं कहना चाहिए कि जाट हिंदू धर्म का एक बेहद अहम हिस्सा हैं...ऐसे में हिंदू धर्म की रक्षा करना सभी जाटों का फर्ज बनता है और अधिकतर जाट ऐसा कर भी रहे हैं. जाट हिंदू धर्म की बहुत शान बढ़ा रहे हैं और आशा की जानी चाहिए कि आगे भी बढ़ाते रहेंगे. यह कहना कोई अतिशयोक्ति न होगा कि यह हिंदू धर्म की, भारत देश की महानता ही है कि जाट जैसी महान जाति उसके पास है...
अब जनाब आप बताओ अपनी...इस हिंदू धर्म ने आपके साथ या आपके हिसाब से अन्य जाटों के साथ ऐसा क्या बुरा कर दिया, जो आपको हिंदू धर्म छोड़कर सिख धर्म अपनाना पड़ा...? मजे की बात यह है कि आप सिख भी पूरी तरह से नहीं बने...न आप दिखने में, न बोल-चाल में कहीं से सिख लगते हो...न ही आपका नाम सिखों वाला है...मुझे तो ऐसा लगता है कि यदि कोई सिख आपसे कहेगा कि देखा सिख धर्म कितना महान है, तुम्हें सिख बनने पर विवश कर दिया तो आप उसे कहोगे कि आप तो सिख बने ही नहीं हो और यदि कोई आपको हिंदू कहेगा तो आप कहोगे कि नहीं आप तो सिख हो...ये आपका बढ़िया तरीका है...
दरअसल जनाब, धर्म बदलने से दूसरे लोगों को मौका मिल जाता है ये कहने का कि नहीं तुम कुछ और हो और वे कुछ और...मैं बहुत साल पहले जब भी गैर-जाटों के सामने ये कहता था कि दारा सिंह और धर्मेन्द्र भी तो जाट हैं तो वे फट से कहते थे कि नहीं वे तो जट्ट हैं, सरदार हैं...ऐसे में मुझे बहुत ही गुस्सा आता था...हालांकि सभी नहीं, लेकिन अधिकतर ऐसा कहते थे...तो आप ये मत बताओ कि हिंदू और सिख जाट आपस में कितना एक-दूसरे को एक मानते हैं...बल्कि ये बताओ कि गैर-जाट इन्हें कितना एक मानते हैं...?
आप मानो या न मानो, लेकिन ये हकीकत है कि हिंदू जाट और सिख जाट आपस में वैवाहिक रिश्ते बनाते हुए झिझकते हैं...बल्कि यह कहना गलत नहीं होगा कि करते ही नहीं हैं...हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के जाटों में आपस में खूब रिश्ते होते हैं, लेकिन पंजाब के जाटों से ना के बराबर ही होते हैं, भले ही वे एक ही शहर में क्यों न रहते हों...पंजाब के जाटों के विवाह होते हैं गुरुद्वारे में या सिख पद्धति से, जबकि बाकी जाटों के होते हैं हिंदू विधि-विधान से...
मुझे भी हमेशा बहुत सम्मान दिया है मेरे सिख जट दोस्तों ने | हिन्दू जट होते हुए, मेरा तो नाम भी पिता जी ने सिख जटों वाला रखा है | ये हमारे भाचारे का प्रतिक है |
dangi (April 15th, 2012), prashantacmet (April 16th, 2012), Raghbirdeol (April 14th, 2012), ravinderjeet (April 15th, 2012), reenu (April 14th, 2012), vijaykajla1 (April 15th, 2012)
पंजाबी जट्टो में एक जीवना मोर का किस्सा बहुत मशहूर हैं , मैं भी बहुत सुनता था सुरेंदर शिंदा का गाया हुआ | जब मैंने हरियाणा में रहना शुरू किया तो देखा के यहाँ जीवना मोर ज्यानी चोर हो गया | एक पण्डे ने जीवना मोर को ज्यानी चोर बना दिया और हमारे देशवाली जाट भाई उसको सुन कर खुश हो रहे हैं तालिया बजा रहे हैं , कबूतर की तरह गर्दन हिला रहे हैं , यह हिसाब नहीं लगाते की वो थारे मुह पर ही थारे बुजुर्ग ने चोर कहन लाग रया स ....यह फर्क हैं पंजाबी जट्ट (सिक्ख जट्ट ) और हिन्दू जाट में , सिक्ख जट्टो ने जीवना मोर को चोर नहीं बनाने दिया | हिन्दू जाट को इस ब्राह्मणवाद ने इस कद्र जकड़ रखा हैं के उसको पता ही नहीं की ये लोग उनके बुजर्गो को क्या मान सम्मान देते हैं | सुते चाले स किम्मे नहीं बेरा अक कुण के कह स ......इनने भगवान् की फ़िक्र ज्यादा स खुद के मान सम्मान की कम .....
" जाट हारा नहीं कभी रण में तीर तोप तलवारों से ,
जाट तो हारा हैं , गद्दारों से दरबारों से |"
" इस कौम का ईलाही दुखड़ा किसे सुनाऊ ?
डर हैं के इसके गम में घुल घुल के न मर जाऊँ || "
...........................चौ.छोटूराम ओहल्याण
prashantacmet (April 16th, 2012), Raghbirdeol (April 14th, 2012), ravinderjeet (April 15th, 2012), vijaykajla1 (April 14th, 2012), vishalsunsunwal (April 14th, 2012)
Raghbirdeol (April 14th, 2012), vijaykajla1 (April 14th, 2012)
" जाट हारा नहीं कभी रण में तीर तोप तलवारों से ,
जाट तो हारा हैं , गद्दारों से दरबारों से |"
" इस कौम का ईलाही दुखड़ा किसे सुनाऊ ?
डर हैं के इसके गम में घुल घुल के न मर जाऊँ || "
...........................चौ.छोटूराम ओहल्याण
" जाट हारा नहीं कभी रण में तीर तोप तलवारों से ,
जाट तो हारा हैं , गद्दारों से दरबारों से |"
" इस कौम का ईलाही दुखड़ा किसे सुनाऊ ?
डर हैं के इसके गम में घुल घुल के न मर जाऊँ || "
...........................चौ.छोटूराम ओहल्याण
Qissa Jeona Morh — Surinder Shinda
http://folkpunjab.com/surinder-shinda/kissa-jeona-morh/
Only a biker knows why a dog sticks his head out of a car window.
ravinderjeet (April 15th, 2012)
duplicate post....
Last edited by vijaykajla1; April 14th, 2012 at 05:22 PM.
Only a biker knows why a dog sticks his head out of a car window.
देवीलाल, शेर सिंह, इत्यादि के बावळी-बूच थे जो अलग हरयाणा की मांग करणी पड़ी..अपणे सिख भाईयां के साथ पंजाब मै ए ना रह लेते, इतणा हेज़ था तो ?????????????
" जाट हारा नहीं कभी रण में तीर तोप तलवारों से ,
जाट तो हारा हैं , गद्दारों से दरबारों से |"
" इस कौम का ईलाही दुखड़ा किसे सुनाऊ ?
डर हैं के इसके गम में घुल घुल के न मर जाऊँ || "
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prashantacmet (April 16th, 2012), Raghbirdeol (April 15th, 2012)
DeStInY LiE$ iN tHe $tReNgTh oF uR dReAm$...!!
JAT ----------> JUSTICE AND TRUTH