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ravinderjeet
सुरदीप भाई , जाट कदे सिख धर्म में कन्वर्ट कोणी होए | क्योंकि आज भी सिख धर्म हे ही नहीं | जिनको आज सिख कह रहे हैं ये तो सब नानक पंथी हैं | भारतीय संस्क्रती में अनेकों पंथ हैं , नानक पंथीओं ने भी आजकल १५-२० अलग-अलग पंथ बना लिए हैं | कई सारे अलग अलग डेरों के भगत बन गए हैं | जिस प्रकार हिन्दू कोई धर्म नहीं हे ,उस्सी प्रकार सिख भी कोई धर्म नहीं हे , हिन्दू एक संस्क्रती हे, विचारधारा हे , समाज के जीने का एक ढंग हे | सिख पंथ ( नानक पंथ का एक्सटेंसन ) को मोजुदा रूप गुरु गोविन्द सिंह जी ने दिया था | ये अलग धर्म का रूप तो इन् धार्मिक और राजनेतिक दुष्ट नेताओं ने अपनी रोटियाँ सेंकने के लिए किया और जनता बिना सोचे समझे उनकी बात मानने लगी | जिस प्रकार पंजाब के छः सात टुकड़े किये गए ,जाट से जाट को भिड़ा कर ( धार्मिक और भाषाई रेखाओं द्वरा विभाजन कर के ) ये जाट शक्ति को विभाजन करने की राजनेतिक कुटिल चाल थी( नेहरु और कर्षण मेनन की ) ,जिस को आज तक जाट समझ नहीं पाए | जाट स्वभाव से अंधविश्वासों और आडम्बरवाद का विरोधी रहा हे | इस्सी लिए आज जिस पूजा पद्धति को हिन्दू धर्म कहते हैं ( मूर्ति पूजा ,भूत-प्रेत ,जादू-टोना , जात-पांत और अनेकों भगवान् और देवी देवता ) ,जाट सदिओं से उसका विरोधी रहा हे | इसीलिए जब भी इन् सभी बीमारीओं के विरोध में जिस ने भी आवाज उठाई जाट उसके हो लिए | इस लिए हिन्दू कोई धर्म नहीं , ये तो ब्राह्मणों द्वरा बिना मेहनत किये अपना पेट भरने का जुगाड़ मात्र हे | इस्सी प्रकार सिख एक सेना थी जो तथाकथित हिन्दू धरम को मुसलामानों से बचाने के लिए खड़ी की गई थी , जिसमे उस समय नानक पंथीओं की संख्या अधिक थी | जाट, नानक पंथ से, गुरु गोबिंद सिंह जी के समय से जुड़े हैं | बाद में इस्सी सिख फौज ने सिख पंथ का रूप धारण कर लिया | भारतीय उप महाद्वीप में इतनी बड़ी एक रक्त से सम्बन्ध रखने वाली क्षत्रिय कौम और कोई नहीं हे | पर इनका अपना कोई लिखित धर्म ग्रन्थ नहीं हे | हाँ ये जरूर ह , की अगर किसी भी पंथ में विस्वास करने वाले जाट से पूछा जाए तो उनकी विचार धारा समान मिलेगी | पर जाट आज तक ना तो एक पंथ , और ना ही एक नेता पर सहमत हो पाए हैं | ये व्यक्तिगत स्वतंतरता का चरम रूप हे |----- सद--भावनाओं सहित |
(which cause labour crisis in punjab............................................ ....most of jatt sikhs has great respect for jat.....99.99% of jat sikh converted from hinduism only....even inbetween 1875-1900 70% of jatt in punjab follow both hindu and sikh customs but after partition of 1947, political situation in punjab,punjabi suba movement,singh sabha movement,1984 roits,division of punjab and conflict with arya samaj tighten sikh identity among jatt of punjab.......jat clans in punjab like grewal,dhaliwal,bains,jakhar,mann,punia,dhami,takh ar,pannu,dullat and chahal recently converted to sikhism in end of the 18th century only even clans like )