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Thread: Jat Sikh and Hindu JAT are same = JAT ..!!!!!!

  1. #81
    ( और भाई, इस थ्रेड में इस विषय को छेड़ने की मेरी कोई इच्छा नहीं थी, लेकिन राका ने ऐसा करने के लिए उकसाया..)

    अब ये बताये की आप उम्मर और तजुर्बे मैं
    humse बड़े है पर आप किसी की बात से गुसा हो गए...आप बच्चे तो हैं नहीं की आपको किसी ne uksaya और आपने इस tarah से उकास भी गए ...भाई जी हर इंसान अपनी बात कहता है..उनके कहने का तरीका अगर आपको पसंद नहीं है तो आप उनसे बात कर सकते है की आपको ऐसी बात पसंद नहीं है या ऐसी बात न की जाये ..... न की आप किसी की भाईचारे को बढाने वाली कोशिश की ऐसी तैसी कर देने पे उत्तारु हो जाये ...उम्मीद karta हूँ की aage से आप शांति से काम लेंगे गुस्से से नहीं....और भाईचारे को बढाने मैं मदद करेंगे...

    Quote Originally Posted by upendersingh View Post

    पढ़े-लिखे होकर ये फिजूल की बातें क्यों करते हो??? मेरी पोस्ट तो दिख गई, लेकिन राका की वो पोस्ट नहीं दिखी, जिसके जवाब में मुझे इतिहास में जाना पड़ा... राका ने कहा था "उपेंद्र का rss वालों ने कबूतर बना रखा हैं , जो बिल्ली न आती देख आँख मींच लिया करे न्यू ए यो कोणी देखना चाहवे के हक़ीक़त के स ...." अब हकीकत देखने के लिए मैं इतिहास में चला गया तो क्या गलत किया?
    भाई, मुझे हिंदू होने का कोई दुःख नहीं है...हां, इस बात का बहुत दुःख है कि हमारे कुछ भाई दूसरे धर्मों से जुड़ गए...उन्हें दिग्भ्रमित किया जा रहा है...उन्हें अपने ही भाईयों से अलग होने के लिए उकसाया जा रहा है...पाकिस्तानी जाट तो एक तरह से अलग हो ही गए हैं, सिख धर्म के नाम पर पंजाब के जाटों को भी बराबर अलगाव के लिए भड़काया जा रहा है...
    मुझे कोई बस ये बताए कि जब सिख धर्म के 10 के 10 गुरुओं में से कोई भी जाट नहीं है तो फिर जाटों के सिख होने का मतलब क्या है? अगर ये बात सबको पता चल जाए तो हमारे सिख जाट भाईयों का जीना मुश्किल हो जाएगा...ये निर्दयी दुनिया उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करेगी...अभी अधिकतर दुनिया को ये बात पता नहीं है कि कोई भी सिख गुरु जाट नहीं था...जिन्हें पता है, वे जाटों का मजाक उड़ाने से बाज नहीं आते...मैंने ये बात खुद नोट की है...मैंने खुद इस बाबत गैर-जाट सिखों को जाटों की मजाक उड़ाते देखा है...एक मौके पर कुछ गैर-जाट सिख यह कहकर जाटों की बेइज्जती कर रहे थे कि अधिकतर सिख गुरु गैर-जाट थे...तब मैंने समझा था कि हो सकता है कोई एकाध गुरु तो जाट होगा, लेकिन बाद में पता चला कि कोई भी नहीं है...कोई मुझे बताए कि यदि हमारा कोई पढने-लिखने वाला या कोई काम-धंधा करने वाला, खुद पर गर्व करने वाला सिख जाट भाई गैर-जाट सिखों में बैठा हो और उसे यह कहा जाए कि "ओए जट्ट, तू है की?...जिन गुरुआं मोड़े तू शीश झुकान्ना ए उन्ना विच कोई वी जट्ट नि ए, सब दे सब खत्री पंजाबी ने..." तो उस जाट भाई के पास क्या जवाब होगा? और भाई, इस थ्रेड में इस विषय को छेड़ने की मेरी कोई इच्छा नहीं थी, लेकिन राका ने ऐसा करने के लिए उकसाया...तुम हिंदू और सिख जाटों को एक करना चाहते हो, तो तुम्हारी कोशिश का स्वागत है...
    You cannot change the circumstances, the seasons, or the wind, but you can change yourself"

  2. #82
    भाई रघबीर , यो तो उप्पू का अंदाज स इसने घुसा मत समझ .....एक दिन उपेन्द्र ने अपने मुह त या बात कही थी के राका भाई मैं क्या करू मेरे त rss आल्ला ने इसा बना दिया ....तो गलती भाई की कोणी संगत की स ...... इस्ते कई बार बता बी दी अर्र बुज बी ली के हिन्दू धर्म में तेरी जाति कुनसे वर्ण में आवे स या बता दे ? हिन्दू धर्म ने तेरी जाति के इतिहास को मान्यता क्यों नहीं दी ? सिख के गुरु चाहे किसे जाति के हो उन्होंने कम त कम माहरी जाति की कद्र तो जाणी ........और आज सिख धर्म में जाटा का बोल बाला स या हकीक़त स , चौधर जाटा के हाथ में स ना के पंडो के ...जाट चौधर का भूखा हो स आर व इस सिख धर्म में जाटा ने मिलरी स .....जिनने यो भगवान् मान रया स उनका धर्म कौनसा स इसका जवाब इसके धोरे ने , किसे और न पूछोगे तो सनातन धर्म की बात करण लाग जांगे.....
    इसकी बावली बावली बाता का जवाब के द्यु ..इसके सवाल बी इसे ऐ स अक बोली सिखा जैसी कोणी ....नाम सिखा जिस कोणी ....मैंने तो बेरा कोणी सिखा की किसी बोली हो स किसे नाम हो स ....माहरे खातिर चिड़िया की आँख जाति स ..इस खातिर धर्म .....इसे इसे लिंक टोहे जागा जिनका कोई सर पैर नहीं , हकीक़त सबने बेरा स , गाँव में समाज में जो रह स उनने बेरा स के हिन्दू धर्म के ठेकेदार उनकी कितनी इज्जत करे स के मान सम्मान दे स ....यो बात करे स भगवान् की इज्जत की हाम बात करा सा जाट की इज्जत की मान सम्मान की .....
    " जाट हारा नहीं कभी रण में तीर तोप तलवारों से ,
    जाट तो हारा हैं , गद्दारों से दरबारों से
    |"

    " इस कौम का ईलाही दुखड़ा किसे सुनाऊ ?
    डर हैं के इसके गम में घुल घुल के न मर जाऊँ || "
    ...........................चौ.छोटूराम ओहल्याण

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  4. #83
    Quote Originally Posted by Raghbirdeol View Post
    पहले तो उपेंदर भाई को नमस्कार...
    नमस्कार भाई.

    Quote Originally Posted by Raghbirdeol View Post
    ab thodi si is pade likhe ki fijool baate aur sun lo... ...भाई जान अगर इतिहास की बात कर रहे है तो चलो शुरू से शुरू करते हैं...हिन्दू धरम क हिसाब से दुनिया दो लोगो से शुरू हुई थी ..मनु और शकुन्तला..मुस्लिम धरम के हिसाब से आदम और हब्बा ..और इसाई धरम क हिसाब से एडम और हीव ...यानि इसका मतलब है क इस हिसाब से सब भाई बहिन हुए कही न कही...और उन लोगो का कोई धरम नहीं था..न vo जाट थे न ब्रहमिन न राजपूत na कोई और..vo siraf इंसान थे...
    भाई, हिंदू धर्म के हिसाब से ऐसी कोई बात नहीं है कि मनु और शकुंतला से दुनिया शुरू हुई थी. शकुंतला तो खुद ऋषि विश्वामित्र और मेनका की पुत्री थी...( Link ). हां, जो तुम कहना चाहते हो, वो मैं समझ गया. इस दुनिया की शुरुआत एक ऐसे स्त्री-पुरुष के जोड़े से हुई थी, जिसका कोई धर्म नहीं था, जिसकी कोई जाति नहीं थी.



    Quote Originally Posted by Raghbirdeol View Post
    चलो अब बात करते है गुरु लोगो की या हमारे भगवानो की....आपने कहा क कोई बी सिख गुरु जाट नहीं था हो सिख जाट कैसे हो गए...हिन्दू धरम क आनुसार और हमारी कायनात क रचियता ब्रम्हा विष्णु और महेश हैं...अब ये बताऊ इनमे से जाट कौन था?? या आपका कोई जात गुरु अलग से हो तो बता दो..
    भाई, अब मैं कहूंगा कि तुम्हारी उम्र, तुम्हारा अनुभव, तुम्हारा ज्ञान कम है, तो हो सकता है तुम्हें बुरा लग जाए, लेकिन किसी पब्लिक फोरम पर भूलवश कुछ गलत लिखोगे तो दूसरों का फर्ज है कि गलती सुधार किया जाए. ये जो आपने ब्रह्मा-विष्णु-महेश गिनवाए, पहली बात तो यह कि यह एक धार्मिक मत है, जबकि हकीकत से इसका कुछ लेना-देना नहीं है. ऐसे मत सभी धर्मों में मिलेंगे. रही बात ये कि इनमें जाट कौन था तो इसका जवाब है मेरे पास. महेश शिवजी को कहा जाता है. शिवजी जाट थे, इसका सबूत पौराणिक ग्रंथों में भी मिलता है. इस त्रिमूर्ति में एक ब्राह्मण है, जबकि 2 क्षत्रिय. इसके बावजूद मैं कहूंगा कि मैं इस त्रिमूर्ति की अवधारणा को महज एक धार्मिक मत मानता हूं. अब अगर महेश (शिवजी) के जाट होने पर आपको कोई संदेह है तो मैं वो संदेह दूर कर देता हूं. Link


    Quote Originally Posted by Raghbirdeol View Post
    भाई साब ये जाती पति इंसान क अपने कर्मो से बननी है और इंसान ही है जिसने अपने अपने धरम बनाये और उन्ही के पीछे चलते रहे..उनेंदर भाई बाते बहुत है ..आपके हर सवाल का जवाब भी है..पर मुझे लगता है क आप समझने की बजाये आपको ये फील होता है की आपकी बात कम कैसे राह गयी..
    भाई, आपकी बात ठीक है कि इंसान ने धर्म बनाए, लेकिन जब इंसान को उन धर्मों से कुछ हासिल हो रहा हो तो यह उनका फर्ज बनता है कि धर्म की रक्षा की जाए. आपके पास अगर बातें बहुत हैं और मेरे हर सवाल का जवाब भी है तो आपसे निवेदन है कि आप अपनी सारी बातें यहां कह दो. मुझे ये हर्गिज फील नहीं होता कि मेरी बात कम कैसे रह गई, बल्कि मुझे यह फील होता है कि गलत बात कहकर मुझे चुप कराने का प्रयास किया जा रहा है, तब मुझे सही बात यहां लिखनी पड़ती है और चूंकि मैं अपनी जगह बिलकुल ठीक होता हूं तो सामने वाला निरुत्तर हो जाता है. अगर मैं कोई गलत बात यहां लिखूंगा तो लोग यहां सही बात का लिंक चेपकर मुझे चुप होने के लिए मजबूर करने में बस कुछ ही क्षण लगाएंगे.

    Quote Originally Posted by Raghbirdeol View Post
    मैंन मंदिर बी चला जाता हूँ..मैं church बी जाता हूँ..मैं पीर पे या दरगाह पे भी चला जाता हूँ और गुरूद्वारे भी ..क्युकी सब धरम लोगो को एक ही बात बताते है की भाईचारा..सच्च और आचे काम करो...बस नाम अलग अलग है...फिर भी जम कौम बन ही गयी है तो कौम क लिए बी जिम्मेवारी बनती है..तो भाई जान पहले तो एक बात साफ़ कर दू क हर धरम एक विश्वास है एक धारणा है जिसे हम मानते है...इसका किसी भी तरीके से ये मतलब नहीं होना कहिये की किस धरम का गुरु जाट था या राजपूत या ब्रहमिन होना कहिये तभी उसे माना जायेगा ...धरम या धरना किसी गुरु की जात को देख कर नहीं बनती बल्कि उनके द्वारा किये हुए दुनिया क भलई क कामो के लिए बनती है..

    आप मंदिर भी चले जाते हो, चर्च भी चले जाते हो, पीर या दरगाह पर भी चले जाते हो और गुरद्वारे भी चले जाते हो...बहुत अच्छी बात है. हर धर्म एक विश्वास है, एक धारणा है, ये सब बातें भी ठीक हैं...लेकिन आप ऐसा सोचो, मैं ऐसा सोचूं, इतना ही पर्याप्त नहीं है...सभी ऐसा सोचें तब कुछ बात बनेगी. अब इस जालिम दुनिया का क्या करें? उनमें से अधिकतर ऐसा नहीं सोचते. जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ेगी, तब आपको पता चलेगा कि ये दुनिया कैसे एक-दूसरे को बात-बात में अपने से छोटा साबित करना चाहती है. तो मेरा कहने का मतलब बस यही था
    कि हम ऐसा धर्म क्यों अपनाएं, जिससे हमारे जाट भाई दूसरों के सामने सिर झुकाकर बैठने के लिए मजबूर हो जाएं? (राका भाई का कहना है कि सभी जाटों को सिख धर्म अपना लेना चाहिए). अगर आप कहो तो मैं इस बात का सबूत दे सकता हूं कि जो हमारे जाट भाई सिख धर्म को मानते हैं, उन्हें इस बाबत मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है कि सभी 10 सिख गुरुओं में कोई भी जाट नहीं था. ये केवल मेरी ही सोच नहीं है. मैंने कई मौकों पर ऐसा होते देखा है.

    Quote Originally Posted by Raghbirdeol View Post
    मेरी कोशिश सिर्फ मिलाने की है न की तोड़ने की ..अगर आप बी इसमें सहायता करे तो बहुत ख़ुशी होगी...उम्मीद है की मेरी ये थोड़े से शब्दों मैं कही गयी बात आपको समझ आ गयी होगी..
    आपकी कोशिश बहुत बढ़िया है, मैं तो पहले ही कह चुका हूं...

    Quote Originally Posted by Raghbirdeol View Post
    अब ये बताये की आप उम्मर और तजुर्बे मैं humse बड़े है पर आप किसी की बात से गुसा हो गए...आप बच्चे तो हैं नहीं की आपको किसी ne uksaya और आपने इस tarah से उकास भी गए ...भाई जी हर इंसान अपनी बात कहता है..उनके कहने का तरीका अगर आपको पसंद नहीं है तो आप उनसे बात कर सकते है की आपको ऐसी बात पसंद नहीं है या ऐसी बात न की जाये ..... न की आप किसी की भाईचारे को बढाने वाली कोशिश की ऐसी तैसी कर देने पे उत्तारु हो जाये ...उम्मीद karta हूँ की aage से आप शांति से काम लेंगे गुस्से से नहीं....और भाईचारे को बढाने मैं मदद करेंगे...
    भाई, आप इस साइट के हाल ही में सदस्य बने हो, इसलिए आपको ऐसा लगता है कि मुझे गुस्सा आ गया. ऐसे विषयों पर मेरी और राका की पहले भी चर्चा होती रही है. मेरी संबद्ध पोस्ट भी राका के लिए थी...आप तो बिना मतलब के बीच में आ गए. खैर, जब आ ही गए तो कोई बात नहीं. गुस्से में आने जैसी कोई बात नहीं है, न ही गुस्से में आने से कोई फायदा है...आखिर में तर्कों, सबूतों के मायने होते हैं. रही बात उकसाने की तो ये धर्म-जाति जैसे विषय ऐसे हैं, जिनसे बच्चों को नहीं, बड़ों को ही आवेश आता है. भाईचारा बढ़े, इससे बढ़िया और क्या बात होगी.

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    Arveend (April 18th, 2012), cutejaatsandeep (April 17th, 2012), deshi-jat (April 18th, 2012), vicky84 (April 18th, 2012)

  6. #84
    Quote Originally Posted by raka View Post
    भाई रघबीर , यो तो उप्पू का अंदाज स इसने घुसा मत समझ .....एक दिन उपेन्द्र ने अपने मुह त या बात कही थी के राका भाई मैं क्या करू मेरे त rss आल्ला ने इसा बना दिया ....तो गलती भाई की कोणी संगत की स ......
    जनाब वो 24-25 साल पहले बचपन की बात है, जब मैं बमुश्किल 40-50 बार आर.एस.एस. की शाखाओं में गया था और मुझे इस बात की बहुत ख़ुशी है. आर.एस.एस. एक राष्ट्रवादी संगठन है.

    Quote Originally Posted by raka View Post
    इस्ते कई बार बता बी दी अर्र बुज बी ली के हिन्दू धर्म में तेरी जाति कुनसे वर्ण में आवे स या बता दे ? हिन्दू धर्म ने तेरी जाति के इतिहास को मान्यता क्यों नहीं दी ?
    जाट जाति खूबियों के हिसाब से वैसे तो क्षत्रिय और ब्राह्मण वर्ण से भी ऊपर है, लेकिन चूंकि इसके ऊपर कोई वर्ण नहीं है तो जाट क्षत्रिय ( Link ) में ही आते हैं. यही कारण है कि राजपूत जाटों से वैवाहिक संबंध जोड़ने में अपनी शान समझते हैं, बल्कि बहुत से लोग तो जाटों और राजपूतों को एक समान ही मानते हैं...कई ऐसे उदाहरण हैं, जबकि जाटों और राजपूतों के शाही परिवारों में वैवाहिक संबंध स्थापित हुए...

    Quote Originally Posted by raka View Post
    सिख के गुरु चाहे किसे जाति के हो उन्होंने कम त कम माहरी जाति की कद्र तो जाणी ........और आज सिख धर्म में जाटा का बोल बाला स या हकीक़त स , चौधर जाटा के हाथ में स ना के पंडो के ...जाट चौधर का भूखा हो स आर व इस सिख धर्म में जाटा ने मिलरी स .....जिनने यो भगवान् मान रया स उनका धर्म कौनसा स इसका जवाब इसके धोरे ने , किसे और न पूछोगे तो सनातन धर्म की बात करण लाग जांगे.....
    सिख धर्म है ही कितना बड़ा, जो उसमें जाटों का बोलबाला है? ये तो वो ही बात हो गई कि छोरा बोल्या बाबू तै अक बाबू आज तै मैं रेस मैं दूसरे नंबर पै आया. बाबू नै पूछ्या अक कितने छोरे दौड़े थे रेस मैं...छोरा बोल्या अक 2...एक मैं अर एक फर्स्ट आवणिया...
    जिन्हें मैं भगवान मान रहा हूं उनका आपके हिसाब से क्या धर्म था, जनाब? क्या इस्लाम, सिख या ईसाई? हिंदू धर्म की सबसे शानदार खूबी यही है कि यह इतना पुराना है कि कोई भी हमारे भगवानों के हिंदू के अलावा किसी अन्य धर्म या जाति से जुड़ा होने की बाबत हमें मानसिक रूप से प्रताड़ित नहीं कर सकता.

    Quote Originally Posted by raka View Post
    इसकी बावली बावली बाता का जवाब के द्यु ..इसके सवाल बी इसे ऐ स अक बोली सिखा जैसी कोणी ....नाम सिखा जिस कोणी ....मैंने तो बेरा कोणी सिखा की किसी बोली हो स किसे नाम हो स ....माहरे खातिर चिड़िया की आँख जाति स ..इस खातिर धर्म .....इसे इसे लिंक टोहे जागा जिनका कोई सर पैर नहीं , हकीक़त सबने बेरा स , गाँव में समाज में जो रह स उनने बेरा स के हिन्दू धर्म के ठेकेदार उनकी कितनी इज्जत करे स के मान सम्मान दे स ....यो बात करे स भगवान् की इज्जत की हाम बात करा सा जाट की इज्जत की मान सम्मान की .....

    जनाब, आप कहना क्या चाहते हो कि हिंदू जाटों की समाज में कोई इज्जत नहीं है? राजाओं के परिवार जाटों के परिवारों को अपनी कन्या दे रहे हैं, इससे बड़ा और क्या सबूत होगा कि जाट हिंदू धर्म में बहुत सम्मानित हैं?
    (वसुंधरा राजे सिंधिया धौलपुर के जाट राजा की पत्नी हैं)...
    ऐसे तो बिहार के लोगों को बिहारी, पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों को पूरबिया, बंगाल के लोगों को गरीब, राजपूतों को ऐयाश, ब्राह्मणों को मंगता और दक्षिण भारत के लोगों को काला-कलूटा कहकर परेशान किया जाता है...और तो और, घर के घर में इस तरह की बातें होती है...पंजाब में भी आपस में जाटों में मतभेद हैं...तो क्या सबको दूसरा धर्म अपना लेना चाहिए...? जाटों को तो फिर भी बहुत सम्मान हासिल है. इन्हें खुश करने के लिए इनके इलाकों को बार-बार जाटलैंड कहा जाता है, जबकि और किसी भी जाति को यह सम्मान हासिल नहीं है, यहां तक कि राजपूतों को भी नहीं...और भी हर तरह से खुश रखा जाता है जाटों को...खाप वगैरह का जिक्र तो एक तरह से इनको धाकड़ कौम के रूप में दिखाना ही है, जो सम्मान के लिए कुछ भी कर सकते हैं. अब कोई उसे दूसरे रूप में ले तो क्या किया जा सकता है?

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    Arveend (April 18th, 2012), cutejaatsandeep (April 17th, 2012), deshi-jat (April 18th, 2012), vicky84 (April 18th, 2012)

  8. #85
    Quote Originally Posted by raka View Post
    भाई रघबीर , यो तो उप्पू का अंदाज स इसने घुसा मत समझ .....एक दिन उपेन्द्र ने अपने मुह त या बात कही थी के राका भाई मैं क्या करू मेरे त rss आल्ला ने इसा बना दिया ....तो गलती भाई की कोणी संगत की स ...... इस्ते कई बार बता बी दी अर्र बुज बी ली के हिन्दू धर्म में तेरी जाति कुनसे वर्ण में आवे स या बता दे ? हिन्दू धर्म ने तेरी जाति के इतिहास को मान्यता क्यों नहीं दी ? सिख के गुरु चाहे किसे जाति के हो उन्होंने कम त कम माहरी जाति की कद्र तो जाणी ........और आज सिख धर्म में जाटा का बोल बाला स या हकीक़त स , चौधर जाटा के हाथ में स ना के पंडो के ...जाट चौधर का भूखा हो स आर व इस सिख धर्म में जाटा ने मिलरी स .....जिनने यो भगवान् मान रया स उनका धर्म कौनसा स इसका जवाब इसके धोरे ने , किसे और न पूछोगे तो सनातन धर्म की बात करण लाग जांगे.....
    इसकी बावली बावली बाता का जवाब के द्यु ..इसके सवाल बी इसे ऐ स अक बोली सिखा जैसी कोणी ....नाम सिखा जिस कोणी ....मैंने तो बेरा कोणी सिखा की किसी बोली हो स किसे नाम हो स ....माहरे खातिर चिड़िया की आँख जाति स ..इस खातिर धर्म .....इसे इसे लिंक टोहे जागा जिनका कोई सर पैर नहीं , हकीक़त सबने बेरा स , गाँव में समाज में जो रह स उनने बेरा स के हिन्दू धर्म के ठेकेदार उनकी कितनी इज्जत करे स के मान सम्मान दे स ....यो बात करे स भगवान् की इज्जत की हाम बात करा सा जाट की इज्जत की मान सम्मान की .....
    bhai saab mai apki kuch baato se sehmatt nahi hu....upender bhai to bas RSS ki rally mai gaye hai.mai to RSS,VHP,bajrang dal n shiv sena mai gaya hu..mai isse buraa nahi maanta....agar aap kissi aur ki baato mai aa jaoo to pher aap admi ni...eek baat apki to mujhe achi nahi lagi wo thi jab apne upender bhai se poocha tha ki tera ram kaun se dharam ka tha.....agar mai apse poohchu ki apka guru nanak kaun se dharam ka tha to bhai saab apko kaisa feel hoga...aap kissi ko maano ya na maano but sabko respect deni chahiye...shri ram jab kuch the hi nahi to barr barr guru granth sahib mai unka jikar kyo aata hai?mujhe bhi ghoomne ka bahut shauk hai mai bhi harr biradari ke logo ne uthtaa baithta hu.....agar hum hindus ki baat kare to harr insaan eek hi baat bolta hai ki bhai admi ho to yaa to jaat ho yaa gujjar ho coz dono bahut veer kaum hai...mujhe nahi pata apko ye kisne bol diya ki hindus mai jaato ki kadar nahi hai....hindu n sikhishm mai eek sabse badi prob.. hai wo hai jaatii waddd.....kyo aaj sikh doosra dharam apna rehe hai ravidasi etc...aur bhi bahut se aa gee ibbb to.....mughal kaal mai bahmann ni aayee the dharam ki rakhsaa karne jaat aaye thee....tab se hi hamari khap panchayat bani hui hai.....n issi khap panchayatoo ki wajah see hi aaj harr jagah ka jaat eek doosre se baandha hua hai..n n hamaree iss bhaicharee ko deekh kee doosri jaati ke log humse jalte hai...

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    ashishsehrawat9 (April 18th, 2012), deshi-jat (April 18th, 2012), upendersingh (April 18th, 2012)

  10. #86
    Thanx for correcting my error...but bhai jaan ek baat ye kahunga k aisi baat nahi hai k jaat aur dharam ki le kar bado ko gussa aata hai choto ko nahi..vaise aapse chote hain but itne b nahi k sahi aur galat na samajh sake....baki vaad vivaad jitne b karne ho kar lo..but end mian phir kahunga k mil k chalo to bahut badiya hai..jo diffrences itne salo se hain pata nahi vo kuch logo ne apne fayade k liye banaye ya bade budoo ki sooch thi unhe kam kia ja sake...aagar aaj ek na hue to aaj se 100 saal baad jabhumari genration k b bacche bade ho jayenge aaj kal k modern time main pata nahi unhe ye b yaad rahe k jat rajpoot kya hote hain..mujhe hostory main itna vishwas nahi hai kyuki history likhne wale b kisi k gulam hote the,,raja maharaj unse apne hisaab se sab cheeze likhwate the..mera poora dhyaan humare aaj aur aane wale kal pe hai.....



    Quote Originally Posted by upendersingh View Post
    नमस्कार भाई.


    भाई, हिंदू धर्म के हिसाब से ऐसी कोई बात नहीं है कि मनु और शकुंतला से दुनिया शुरू हुई थी. शकुंतला तो खुद ऋषि विश्वामित्र और मेनका की पुत्री थी...( Link ). हां, जो तुम कहना चाहते हो, वो मैं समझ गया. इस दुनिया की शुरुआत एक ऐसे स्त्री-पुरुष के जोड़े से हुई थी, जिसका कोई धर्म नहीं था, जिसकी कोई जाति नहीं थी.



    भाई, अब मैं कहूंगा कि तुम्हारी उम्र, तुम्हारा अनुभव, तुम्हारा ज्ञान कम है, तो हो सकता है तुम्हें बुरा लग जाए, लेकिन किसी पब्लिक फोरम पर भूलवश कुछ गलत लिखोगे तो दूसरों का फर्ज है कि गलती सुधार किया जाए. ये जो आपने ब्रह्मा-विष्णु-महेश गिनवाए, पहली बात तो यह कि यह एक धार्मिक मत है, जबकि हकीकत से इसका कुछ लेना-देना नहीं है. ऐसे मत सभी धर्मों में मिलेंगे. रही बात ये कि इनमें जाट कौन था तो इसका जवाब है मेरे पास. महेश शिवजी को कहा जाता है. शिवजी जाट थे, इसका सबूत पौराणिक ग्रंथों में भी मिलता है. इस त्रिमूर्ति में एक ब्राह्मण है, जबकि 2 क्षत्रिय. इसके बावजूद मैं कहूंगा कि मैं इस त्रिमूर्ति की अवधारणा को महज एक धार्मिक मत मानता हूं. अब अगर महेश (शिवजी) के जाट होने पर आपको कोई संदेह है तो मैं वो संदेह दूर कर देता हूं. Link



    भाई, आपकी बात ठीक है कि इंसान ने धर्म बनाए, लेकिन जब इंसान को उन धर्मों से कुछ हासिल हो रहा हो तो यह उनका फर्ज बनता है कि धर्म की रक्षा की जाए. आपके पास अगर बातें बहुत हैं और मेरे हर सवाल का जवाब भी है तो आपसे निवेदन है कि आप अपनी सारी बातें यहां कह दो. मुझे ये हर्गिज फील नहीं होता कि मेरी बात कम कैसे रह गई, बल्कि मुझे यह फील होता है कि गलत बात कहकर मुझे चुप कराने का प्रयास किया जा रहा है, तब मुझे सही बात यहां लिखनी पड़ती है और चूंकि मैं अपनी जगह बिलकुल ठीक होता हूं तो सामने वाला निरुत्तर हो जाता है. अगर मैं कोई गलत बात यहां लिखूंगा तो लोग यहां सही बात का लिंक चेपकर मुझे चुप होने के लिए मजबूर करने में बस कुछ ही क्षण लगाएंगे.


    आप मंदिर भी चले जाते हो, चर्च भी चले जाते हो, पीर या दरगाह पर भी चले जाते हो और गुरद्वारे भी चले जाते हो...बहुत अच्छी बात है. हर धर्म एक विश्वास है, एक धारणा है, ये सब बातें भी ठीक हैं...लेकिन आप ऐसा सोचो, मैं ऐसा सोचूं, इतना ही पर्याप्त नहीं है...सभी ऐसा सोचें तब कुछ बात बनेगी. अब इस जालिम दुनिया का क्या करें? उनमें से अधिकतर ऐसा नहीं सोचते. जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ेगी, तब आपको पता चलेगा कि ये दुनिया कैसे एक-दूसरे को बात-बात में अपने से छोटा साबित करना चाहती है. तो मेरा कहने का मतलब बस यही था
    कि हम ऐसा धर्म क्यों अपनाएं, जिससे हमारे जाट भाई दूसरों के सामने सिर झुकाकर बैठने के लिए मजबूर हो जाएं? (राका भाई का कहना है कि सभी जाटों को सिख धर्म अपना लेना चाहिए). अगर आप कहो तो मैं इस बात का सबूत दे सकता हूं कि जो हमारे जाट भाई सिख धर्म को मानते हैं, उन्हें इस बाबत मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है कि सभी 10 सिख गुरुओं में कोई भी जाट नहीं था. ये केवल मेरी ही सोच नहीं है. मैंने कई मौकों पर ऐसा होते देखा है.


    आपकी कोशिश बहुत बढ़िया है, मैं तो पहले ही कह चुका हूं...


    भाई, आप इस साइट के हाल ही में सदस्य बने हो, इसलिए आपको ऐसा लगता है कि मुझे गुस्सा आ गया. ऐसे विषयों पर मेरी और राका की पहले भी चर्चा होती रही है. मेरी संबद्ध पोस्ट भी राका के लिए थी...आप तो बिना मतलब के बीच में आ गए. खैर, जब आ ही गए तो कोई बात नहीं. गुस्से में आने जैसी कोई बात नहीं है, न ही गुस्से में आने से कोई फायदा है...आखिर में तर्कों, सबूतों के मायने होते हैं. रही बात उकसाने की तो ये धर्म-जाति जैसे विषय ऐसे हैं, जिनसे बच्चों को नहीं, बड़ों को ही आवेश आता है. भाईचारा बढ़े, इससे बढ़िया और क्या बात होगी.
    You cannot change the circumstances, the seasons, or the wind, but you can change yourself"

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    ashishsehrawat9 (April 18th, 2012), prashantacmet (April 18th, 2012), upendersingh (April 19th, 2012)

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