भिवानी, 3 मई । पूर्व मुख्यमंत्री मा. हुकमसिंह ने कहा कि चौधरी सेठ छाजूराम लांबा देश के स्वंत्रता संग्राम में महान आर्थिक सूत्रधार थे। उन्होंने आजादी के लिए लगभग हर देशभक्त व क्रांतिकारी आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई ताकि वह देश को स्वतंत्रता दिलाने में खुलकर लड़ाई लड़ सके । देश की आजादी में उनके इस महा योगदान कभी भी नहीं भुलाया जा सकता।
पूर्व मुख्यमंत्री रविवार को राजीव गांधी महिला महाविद्यालय के समक्ष चौधरी सेठ छाजूराम लांबा की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। इस प्रतिमा की स्थापना अखिल भारतीय जाट आरक्षण संषर्ष समिति, हरियाणा द्वारा की गई थी। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि एक साधारण किसान परिवार में जन्मे चौधरी छाजूराम ने अपनी का बलियत व कठोर परिश्रम के बलबूते अपार धन संपनि अर्जित कि , लेकिन उन्होंने इसका सदुपयोग देश की आजादी, समाजसेवा व गरीब तथा जरूरतमंद लोगों के लिए किया। उन्होंने लोगों को सिखाया कि पैसे का सदुपयोग कैसे किया जा सकता है। उन्होंने अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष पूर्व कमांडेंट हवासिंह सांगवान तथा उनकी टीम की प्रतिमा स्थापना के लिए भूरी-भूरी प्रशंसा की । उन्होंने कहा कि जाट आरक्षण के लिए वे हर तरह का सहयोग देने को तत्पर हैं।
संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष भगतसिंह दलाल ने इस अवसर पर कहा कि जाट समाज इस समय आरक्षण की जंग छेड़े हुए हैं, जिसमें उसे जरूर कामयाबी मिलेगी। उन्होंने कहा कि जाट समाज को एक जुट होकर संघर्ष करने की जरूरत है क्यों कि आज कुछ ताकतें जाट एकता को तोडऩे में लगी हुई हैं। उन्होंने कहा कि आरक्षण के लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकार को 15 अगस्त तक का समय दिया गया है, इसके बाद आंदोलन का बिगुल बजा दिया जाएगा।
कार्यक्र म की अध्यक्षता करते हुए नगर परिषद् के चेयरमैन विजय पंचगांवां ने कहा कि जाट समाज को राजनीति के जाल में न उलझते हुए एक जुट होकर समाज की भलाई के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि चौधरी छाजूराम के बारे में हमें अपने बच्चों को अधिक से अधिक बताना चाहिए ताकि उन्हें उनके जीवन से प्रेरणा मिल सके ।
अपने स्वागत भाषण में संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष पूर्व कमांडेंट हवासिंह सांगवान ने कहा कि चौधरी छाजूराम ने आजादी की लड़ाई में आर्थिक योगदान देने के साथ-साथ समाज में भी शिक्षा तथा चिकि त्सा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया। उन्होंने कहा कि महापुरूष एक जाति के नहीं होते, लेकिन अफसोस इस बात का है कि उनके परलोक गमन कर जाने के बाद उन्हें याद केवल वही जाति करती है, जिसमें उनका जन्म होता है। जब कि हम सभी को हर जाति के महापुरूष की जयंती व निर्वाण दिवस पर उन्हें याद करना चाहिए व श्रद्धांजलि देनी चाहिए। उन्होंने सेवादेवी ढि़ल्लों की तारीफ करते हुए कहा कि उनके समय में ही इस चौक का नाम चौधरी छाजूराम के नाम पर रखा गया था।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथियों में शामिल नगर परिषद की पूर्व अध्यक्ष सेवादेवी ढि़ल्लों, सीएमओ डॉ. रमेश धनखड़, चौधरी छाजूराम के पौत्र एवं पूर्व विधायक पी के चौधरी, जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष देवेंद्र श्योराण सोढ़ी, जाट शिक्षण संस्थान, हिसार के प्रधान सुनील लांबा आदि ने भी अपने विचार रखते हुए जाट समाज की एकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि संगठित हो जाना बहुत बड़ी उपलब्धि है और आज जाट समाज को संगठित हो जाने की सख्त आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नेतृत्व चाहे किसी का भी हो, लेकिन एकता नहीं टूटनी चाहिए।
कार्यक्रम में चौ. छाजूराम के समय में तहसीलदार रहे तथा राव बहादुर का सम्मान पाए चौधरी घासीराम को भी याद किया गया। उनके पौत्र प्रेम धनखड़ ने अपने दादा के बारे में विस्तार से जनसमूह को बताया।
इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत पूर्व कमांडेंट हवासिंह के साथ-साथ रघुबीर सिंह बूरा, किताब कौर , सूबेदार उमेदसिंह बामला, जागेंद्र तालू, पूर्व ज्वायंट डायरेक्टर अजीत सिंह सांगवान, कपूर सिंह धनाना, ओमपाल आर्य व समिति के युवा प्रदेशाध्यक्ष मनोज दूहन आदि ने किया। इस अवसर पर बलदेव घणघस, राजसिंह धनाना, लीला राम सूबेदार, नफेसिंह पपोसा, सूबेदार वेदप्रकाश बामला, सूबेदार बलवान बामला, उमराव सिंह सांगवान, मास्टर करतार, दलजीत पंघाल, मनीराम मोर, जिलेसिंह धनखड़, हवासिंह लांबा, मास्टर करतार सहित अनेक लोग उपस्थित थे।
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