गधा और इंसान…..!
विज्ञान की महिमा थी,
tv रिपोर्टरों को
जानवरों की भाषा,
समझने की
ट्रेनिंग दी गयी थी.
और एक रिपोर्टर,
एक गधे का,
इंटरव्यू ले रही थी.
रिपोर्टर:- गधेजी आप टी वी पर हैं
मै आपसे कुछ सवाल करना चाहती हूँ,
आप जवाब देंगे…?
गधेजी:- क्यूँ नहीं, क्यूँ नहीं,
पूंछिये, पूंछिये
रिपोर्टर:- गधेजी, आपको गधा कहकर लोग बुलाते हैं,
आपको बुरा नहीं लगता.?
गधेजी:- जी नहीं, जी नहीं
हमें बुरा क्यूँ लगे ?,
हम तो खुश हैं.
इंसानों से तो हम बेहतर हैं
आज का इंसान तो दुनिया के लिए कलंक है,
आजकल इंसानों की हालत, शरारत, करतूत,
ख्यालात और क्रूरता देखकर,
हम सब को ऐसा ही लगता है,
असल में हमें गधा होने का गर्व है.
हम सब अच्छा काम ही करते हैं,
सेवा में रहते हैं,
आपस में नहीं झगड़ते,
प्रेम और भाईचारे से रहते हैं,
पर्यावरण नहीं बिगाड़ते,
उदार अंतःकरण रखते हैं
खुशी खुशी आपना जीवन जीते हैं,
और भगवान से दुआ माँगते हैं
की हमें गधा ही रहने दें
इंसान न बनाएं.
और आपके नेताओं जैसा भ्रष्ट तो कतई नहीं ....
रिपोर्टर:- दर्शकों आपने सुना,
ये हैं गधेजी के सुंदर अंदरूनी ख्यालात
और कैसा किया है उनने
इंसानों की दशा और करतूतों पर प्रहार….
इसपर जरूर करिए विचार,
क्या हो सकता है
मानव की प्रवृत्ति में सुधार ?.
रिपोर्टर:- गधेजी आपके इस साक्षात्कार के लिए
बहुत बहुत धन्यवाद.
अब एक आखरी प्रश्न
जो आया है याद…..
(शरमाके) क्या शादीशुदा हैं आप ?.
गधेजी:- देखिये आपकी ही भाषा में
ये बताते है आज,
हम इतने भी “गधे” नहीं हैं
कि शादी करें इंसानों सी,
जैसा आप लोगों का है रिवाज़….!.