मन में कुछ विचार आज्यां तें उन् ने एक छंद या दोहे क़े रूप में लिखण में एक न्यारा मजा स |इह क़े दो फेदे भी सें ,एक ,कोए छंद क़े रूप में कही होई बात तावाली याद हो जा स , दुसरा वो आपणा परभाव ऊँ वाक्य में कही होई बात ते कई गुणा घणा गेरे स | ते पर्स्तुत सें मेरे कुछ घड़े होए छंद :-
विशेष :- ये मन्ने अपणे विचाराँ क़े हिसाब तें लिखे सें कोए भाई पसंद ना करे ते गाल देण की जरूत ना स ( डिस्लैक बट्टन दाब क़े काम चला लिओ )
१)
ना टूणे में किम्मे धरया ,
ना पाथर में भगवान् ,
ना घाल घालें घले,
ना बुझा में किम्मे ज्ञान |---- रवि "अतृप्त "