Originally Posted by
dndeswal
.
जब चन्द्रवंशी पांडव ही जाट थे, तो अर्जुन क्या कोई और होगा ?
कुन्ती के पुत्र को कौन्तेय कहा जाता है । कुन्ती का एक नाम पृथा भी था, इसलिये उसके पुत्र को पार्थ भी कहा जाता था ।
अर्जुन के और भी दस नाम प्रचलित थे -
1. अर्जुन ने अनेक देश जीते और उनका धन लाकर राजकोष में जमा करवाया, इसलिए उसका नाम हुआ धनंजय ।
2. संग्राम में शत्रुओं को जीते बिना अर्जुन कभी नहीं लौटा, इसलिय उसका नाम हुआ विजय ।
3. उसके रथ में श्वेत अश्व जुते रहते थे, इसलिये उसका नाम पड़ा श्वेतवाहन ।
4. उसका जन्म हिमालय पर हुआ इसलिये उसका नाम हुआ फाल्गुन ।
5. इंद्र ने उसके सिर पर तेजस्वी किरीट (मुकुट) पहनाया था, इसलिए एक और नाम हुआ किरीट ।
6. युद्ध करते समय अर्जुन ने कोई भयानक काम नहीं किया इसीलिए उसका नाम पड़ा बीभत्सु ।
7. गांडीव को वह दोनों हाथों से खींच सकता था (आम तौर पर डोरी दाहिने हाथ से ही खींची जाती है) इसलिये उसका एक नाम हुआ सव्यसांची ।
8. उसका जैसा शुद्ध वर्ण था, वैसे ही वह शुद्ध कर्म करता था, इसलिये उसका नाम हुआ अर्जुन।
9. दुर्जय का दमन करने वाला, इसलिए नाम पड़ा जिष्णु ।
10. उसका एक नाम कृष्ण भी था क्योंकि उसके पिता उसको इसी नाम से बुलाते थे ।
.
आजकल हमें जो अंग्रेजी माध्यम से इतिहास पढ़ाया जा रहा है, उसी से सारी गड़बड़ होती है । अर्जुन के समय में अंग्रेजी नहीं थी । इसलिये 'Parthian' ’MassaGetae’ का मतलब अंग्रेजों से पूछो जिन्होंने ये सब उल्टी-सीधी थ्यूरी बनाई हैं !
.