यो चुटकला पुराना स... एर जीतू हूडा भाई का सुनाया ओड़ स.... लो फेर तें...
एक बे एक छोरा था... उसका ब्याह नहीं हों लाग रा था ( नाम लगा ल्यो भुंडू - पन्नू एब्ब तो राजी ?)... एर घर आल्याँ के कोए चिंता सी ए नहीं थी..... जद भी कोए डोगे आले आवें... सब न्यू कह दें आक भुंडू एब्बे तो बालक स..... कई दिन हो लिए भुंडू ने या देखते....... एक दिन उसके भूंडा छो उठ रा......सारे घर के चौक में बैठे एर यो बाहर तें आया ... एर फुफान्दा होया सीधा चोबारे में चढ़ गा.... एर सौड़ ले के उपर तें ए आंगण में बगा के मारी... एर बोल्या, "इस सौड़ में कोए सुसरा एकला सो के तो दिखा दयो..."
हा हा हा हा हा हा हा |