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Thread: 1965 WAR : Jat Regiment on 6 December...

  1. #1

    1965 WAR : Jat Regiment on 6 December...

    Jat Regiment in Lahore..
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    I find brothers in all castes , love in all religions. This whole world is my family .

  2. The Following 2 Users Say Thank You to saurabhjaglan For This Useful Post:

    anilphogat (September 6th, 2012), lrburdak (September 7th, 2012)

  3. #2
    सरफरोशी की तमन्ना ......

    आज ही के दिन भारत की सेना ने 1965 के युद्ध में लाहोर में तिरंगा
    फेराया था .. जानिए उन वीरों के शोर्य की वो दास्तान ..
    ============================
    भारत ने ६ सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखा कॉ पार कर पश्चिमी
    मोर्चे पर हमला कर युद्ध की आधिकारिक शुरूवात कर दी ।
    ६ सितम्बर को भारत की 15 वी पैदल सैन्य इकाई ने द्वितीय विश्व
    युद्ध के अनुभवी मेजर जनरल प्रसाद के नेत्रत्व मे इच्छोगिल नहर
    के पश्चिमी किनारे मे पाकिस्तान के बड़े हमले का सामना किया ।
    इच्छोगिल नहर भारत और पाकिस्तान की वास्तविक सीमा थी ।

    इस हमले मे खुद मेजर जनरल प्रसाद के काफिले पर भी हमला हुआ
    और उन्हे अपना वाहन छोड़ कर भागना पड़ा । भारत ने प्रति
    आअक्रमण मे बरकी गांव के समीप नहर को पार करने मे सफलता
    अर्जित कर ली । इससे भारतीय सेना लाहौर के हवाई अडडे पर हमला
    करने की सीमा मे पहुच गयी इसके परिणामस्वरूप अमेरिका ने अपने
    नागरिको को लाहौर से निकालने के लिये कुछ समय के लिये युद्ध
    विराम की अपील की ।

    इसी बीच पाकिस्तान ने लाहौर पर दबाव को कम करने के लिये
    खेमकरण पर हमला कर उस पर कब्जा कर लिया बदले मे भारत ने
    बेदियां और उसके आस पास के गावों पर हमला कर दिया ।
    6 सितम्बर कॉ लाहौर पर हमले मे भारतीय सेना के प्रथम पैदल
    सैन्य खन्ड (इनफैंट्री डिविजन) के साथ द्वितीय बख्तरबंद उपखन्ड
    (ब्रिगेड) के तीन टैंक दस्ते शामिल थे । वे तुरंत ही सीमा पार करके
    इच्छोगिल नहर पहुच गये पाकिस्तानी सेना ने पुलियाओं पर रक्षा
    दस्ते तैनात कर दिये जिन पुलो को बचाया नही जा सकता था उनको
    उड़ा दिया गया
    पाकिस्तान के इस कदम से भारतीय सेना का आगे बढना रुक गया ।
    जाट रेजीमेंट की एक इकाई 3 जाट ने नहर पार करके डोगराई और
    बातापोर पर कब्जा कर लिया । उसी दिन पाकिस्तानी सेना ने
    बख्तरबंद इकाई और वायुसेना की मदद से भारतीय सेना की 15 वे
    खन्ड पर बड़ा प्रतिआक्रमण किया हालाकि इससे 3 जाट को मामूली
    नुकसान ही हुआ लेकिन 15 वे खन्ड को पीछे हटना पड़ा और उसके
    रसद और हथियारो के वाहनो को काफी क्षती पहुची । भारतीय सेना के
    बड़े अधिकारियो को जमीनी हालात की सही जानकारी नही थी

    अतः उन्होने इस आशंका से कि ३ जाट को भी भारी नुकसान हुआ है
    उसे पीछे हटने का आदेश दे दिया इससे 3 जाट के कमान आधिकारी
    को बड़ी निराशा हुई और बाद मे उन्हे डोगराई पर फिर कब्जा करने के
    लिये बड़ी कीमत चुकानी पड़ी ।
    I find brothers in all castes , love in all religions. This whole world is my family .

  4. The Following 4 Users Say Thank You to saurabhjaglan For This Useful Post:

    deependra (September 8th, 2012), DrRajpalSingh (September 8th, 2012), lrburdak (September 7th, 2012), yogeshdahiya007 (September 7th, 2012)

  5. #3
    Quote Originally Posted by saurabhjaglan View Post
    सरफरोशी की तमन्ना ......

    आज ही के दिन भारत की सेना ने 1965 के युद्ध में लाहोर में तिरंगा
    फेराया था .. जानिए उन वीरों के शोर्य की वो दास्तान ..
    ============================
    भारत ने ६ सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखा कॉ पार कर पश्चिमी
    मोर्चे पर हमला कर युद्ध की आधिकारिक शुरूवात कर दी ।
    ६ सितम्बर को भारत की 15 वी पैदल सैन्य इकाई ने द्वितीय विश्व
    युद्ध के अनुभवी मेजर जनरल प्रसाद के नेत्रत्व मे इच्छोगिल नहर
    के पश्चिमी किनारे मे पाकिस्तान के बड़े हमले का सामना किया ।
    इच्छोगिल नहर भारत और पाकिस्तान की वास्तविक सीमा थी ।

    इस हमले मे खुद मेजर जनरल प्रसाद के काफिले पर भी हमला हुआ
    और उन्हे अपना वाहन छोड़ कर भागना पड़ा । भारत ने प्रति
    आअक्रमण मे बरकी गांव के समीप नहर को पार करने मे सफलता
    अर्जित कर ली । इससे भारतीय सेना लाहौर के हवाई अडडे पर हमला
    करने की सीमा मे पहुच गयी इसके परिणामस्वरूप अमेरिका ने अपने
    नागरिको को लाहौर से निकालने के लिये कुछ समय के लिये युद्ध
    विराम की अपील की ।

    इसी बीच पाकिस्तान ने लाहौर पर दबाव को कम करने के लिये
    खेमकरण पर हमला कर उस पर कब्जा कर लिया बदले मे भारत ने
    बेदियां और उसके आस पास के गावों पर हमला कर दिया ।
    6 सितम्बर कॉ लाहौर पर हमले मे भारतीय सेना के प्रथम पैदल
    सैन्य खन्ड (इनफैंट्री डिविजन) के साथ द्वितीय बख्तरबंद उपखन्ड
    (ब्रिगेड) के तीन टैंक दस्ते शामिल थे । वे तुरंत ही सीमा पार करके
    इच्छोगिल नहर पहुच गये पाकिस्तानी सेना ने पुलियाओं पर रक्षा
    दस्ते तैनात कर दिये जिन पुलो को बचाया नही जा सकता था उनको
    उड़ा दिया गया
    पाकिस्तान के इस कदम से भारतीय सेना का आगे बढना रुक गया ।
    जाट रेजीमेंट की एक इकाई 3 जाट ने नहर पार करके डोगराई और
    बातापोर पर कब्जा कर लिया । उसी दिन पाकिस्तानी सेना ने
    बख्तरबंद इकाई और वायुसेना की मदद से भारतीय सेना की 15 वे
    खन्ड पर बड़ा प्रतिआक्रमण किया हालाकि इससे 3 जाट को मामूली
    नुकसान ही हुआ लेकिन 15 वे खन्ड को पीछे हटना पड़ा और उसके
    रसद और हथियारो के वाहनो को काफी क्षती पहुची । भारतीय सेना के
    बड़े अधिकारियो को जमीनी हालात की सही जानकारी नही थी

    अतः उन्होने इस आशंका से कि ३ जाट को भी भारी नुकसान हुआ है
    उसे पीछे हटने का आदेश दे दिया इससे 3 जाट के कमान आधिकारी
    को बड़ी निराशा हुई और बाद मे उन्हे डोगराई पर फिर कब्जा करने के
    लिये बड़ी कीमत चुकानी पड़ी ।
    Beautiful narrative of heroic task accomplished!!!
    History is best when created, better when re-constructed and worst when invented.

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