महाबला महावीर्या, महासत्य पराक्रमाः
सर्वाग्रे क्षत्रिया जट्*टा देवकल्*पा दृढ़-व्रता:|| 15 ||
श्रृष्टेरादौ महामाये वीर भद्रस्य शक्तित:
कन्यानां दक्षस्य गर्भे जाता जट्टा महेश्वरी ।।16।।
deependra (October 6th, 2012)
सवाल स मुळे जाटों को लेकर और आप गाओ सो सभी गाड़ो की , अगर सभी गाड़े भले कोणी तो भले आपके सारे हिन्दू भी कोणी |
मन्ने कद कही स अक हिन्दू भले सें ? पर घणे कमीन तें थोड़ा कम कमीन चाल जाया करे | में ते खुद हिन्दू धरम ( जो की हे ही नहीं ) का विरोधी हूँ |
आपके हिन्दू भाइयों ने तो अपने शास्त्रों तक में जाटों को शुद्र लिखा हुआ हैं ,
तू इन् ने लिख दे शुद्र ,तेरे के किहे ने हाथ पकड़ राखे सें | में ते भाम्नां ने उन् के मुंह पे ए भीखारी कहया करूँ |
जाटों का सारा इतिहास खा गए आपके हिन्दू भाई |
जिस्से तेरे भाई ,उस्से मेरे भाई ,म्हारे के राशन कार्ड में नाम लिखवा राख्या स इनका |
देश में जितने घौटाले हो रहे हैं वो सब आपके हिन्दू भाई ही कर रहे हैं |
तू ते न्यू कहवे स अक घोटाले होए कोणी , केजरीवाल , रामदेव अर अन्ना सब झुट्ठे सें | अर मेरे हिन्दू भाई के मन्ने साझा देवेंगे घोटाले की कमाई का ,इस्सी ढाल चिड के ने लिखे स |
इन मुगलों व पठानों को भी भारत का रास्ता आपके लाडले हिन्दू भाइयों ने ही दिखाया था |
हाँ , मन्ने ते ये पालणे में झोट्टे दे-दे के ने बड्डे करे सें ना |
मैं यहाँ मुस्लिमो का पक्ष नहीं ले रहा मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हु की जब बात जाट की हो तो ये हिन्दू -मुळे एक तरफ छोड़ दिया करो |
या बात उन् मुले जट्टां ने भी सिखा दे ना , अक जब जाट की बात आवे ते मुसलमानी ने एक ओड ने गेर देवें ,कर के देख जब बेरा पाटेगा | वे पहलम आपने आप ने मुसलमान माने सें अर जाट पाछ:|सारी हाण राबड़ी पियें जावे स |
वैसे यह हिन्दू धर्म जाटों का कदिना धर्म नहीं हैं और ना ही हिन्दू धर्म की संस्कृति मूर्ति पूजा आदि जाटों की संस्कृति हैं तभी आये दिन जाट इस हिन्दू मर्रिज एक्ट का विरोध करते रहते हैं , अब आप यह और बता दो की जाट किन हालातों में हिन्दू बने ?
जब जाट , धरम भरसठ हो गे तो हिन्दू बणे | में ते कोणी | जो हिन्दू सें उन् पे बुझ ले |
वैसे इस साईट पर साफ़ तौर पर लिखा हुआ हैं की यह साईट हिन्दू जाटों के लिए हैं ,
में आपणे आप ने हिन्दू कोणी कंदा ,ते बेशक मेरे पे बेन ला दो | पर जाट सूं अर जाट धर्म का पालन करूँ सूं ,जो म्हारे पुर्ख्याँ ने सीखाया स |
अगर ऐसा हैं तो फिर जाटलैंड विकी में सिर्फ हिन्दू जाटों से सम्बंधित जानकारिया होनी चाहिए मतलब की जब से जाट हिन्दू बने हैं सिर्फ वहा से
या बात मोड़याँ ताहीं बता ,मन्ने कोए लेणा- देणा कोणी |
और चौधरी छोटूराम का नाम भी इस साईट से हटा देना चाहिए क्योंकि वो हिन्दू नहीं थे सिर्फ जाट थे |
मन्ने इह बात का कोणी बेरा ,जब ते मेरी नीम भी कोणी धरी गई थी | ज्यां तें इह में कोए टिप्पणी कोणी कर सकदा |
:rockwhen you found a key to success,some ideot change the lock,*******BREAK THE DOOR.
हक़ मांगने से नहीं मिलता , छिना जाता हे |
अहिंसा कमजोरों का हथियार हे |
पगड़ी संभाल जट्टा |
मौत नु आंगालियाँ पे नचांदे , ते आपां जाट कुहांदे |
anilphogat (October 10th, 2012), cooljat (October 7th, 2012), DrRajpalSingh (October 7th, 2012), JSRana (October 7th, 2012), rsdalal (October 7th, 2012), rskankara (October 7th, 2012), SandeepSirohi (October 8th, 2012), sanjeev1984 (October 8th, 2012), ssgoyat (October 8th, 2012), Sure (October 7th, 2012), vijaykajla1 (October 6th, 2012)
DrRajpalSingh (October 7th, 2012), rekhasmriti (October 6th, 2012), rskankara (October 7th, 2012), SandeepSirohi (October 8th, 2012), tarzon (October 8th, 2012), vicky84 (October 7th, 2012)
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हक़ मांगने से नहीं मिलता , छिना जाता हे |
अहिंसा कमजोरों का हथियार हे |
पगड़ी संभाल जट्टा |
मौत नु आंगालियाँ पे नचांदे , ते आपां जाट कुहांदे |
DrRajpalSingh (October 7th, 2012), raka (October 6th, 2012), rsdalal (October 7th, 2012), SandeepSirohi (October 8th, 2012), sanjeev1984 (October 8th, 2012), ssgoyat (October 8th, 2012), vijaykajla1 (October 9th, 2012)
DrRajpalSingh (October 7th, 2012)
deshi-jat (October 7th, 2012), raka (October 7th, 2012), ravinderjeet (October 7th, 2012), sanjeev1984 (October 8th, 2012), vijaykajla1 (October 9th, 2012)
" जाट हारा नहीं कभी रण में तीर तोप तलवारों से ,
जाट तो हारा हैं , गद्दारों से दरबारों से |"
" इस कौम का ईलाही दुखड़ा किसे सुनाऊ ?
डर हैं के इसके गम में घुल घुल के न मर जाऊँ || "
...........................चौ.छोटूराम ओहल्याण
DrRajpalSingh (October 7th, 2012), ravinderjeet (October 7th, 2012), rsdalal (October 7th, 2012), vicky84 (October 8th, 2012)
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DrRajpalSingh (October 7th, 2012), ravinderjeet (October 7th, 2012), rsdalal (October 8th, 2012), ssgoyat (October 8th, 2012), vicky84 (October 8th, 2012)
:rockwhen you found a key to success,some ideot change the lock,*******BREAK THE DOOR.
हक़ मांगने से नहीं मिलता , छिना जाता हे |
अहिंसा कमजोरों का हथियार हे |
पगड़ी संभाल जट्टा |
मौत नु आंगालियाँ पे नचांदे , ते आपां जाट कुहांदे |
rsdalal (October 8th, 2012)
" जाट हारा नहीं कभी रण में तीर तोप तलवारों से ,
जाट तो हारा हैं , गद्दारों से दरबारों से |"
" इस कौम का ईलाही दुखड़ा किसे सुनाऊ ?
डर हैं के इसके गम में घुल घुल के न मर जाऊँ || "
...........................चौ.छोटूराम ओहल्याण
vicky84 (October 8th, 2012)
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हक़ मांगने से नहीं मिलता , छिना जाता हे |
अहिंसा कमजोरों का हथियार हे |
पगड़ी संभाल जट्टा |
मौत नु आंगालियाँ पे नचांदे , ते आपां जाट कुहांदे |
raka (October 7th, 2012), sanjeev1984 (October 8th, 2012)
Raka Bhaisaab, Its not about Jats being Hindu or not but would like to ask you one simple question. Don't we Jats follow Hindu Customs and Rituals? Don't we celebrate Hindu Festivals mostly? Don't we worship Hanuman and Shiva?
If your answer is Yes, then why don't we agree to the fact that Hindu Jats are less relegious Hindus in a way. I'm not a relegious person myself or supporting Hinduism or like that but Fact is Fact!
Btw, I admire if a Sikh Jat or Muslim Jat take pride to call himself Jat first than Sikh or Muslim but I'm still against allowing non-hindu Jats here reason being their diffrent culture, custom and thought process.
Cheers
Jit
.. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..
DrRajpalSingh (October 10th, 2012), SandeepSirohi (October 8th, 2012), sanjeev1984 (October 8th, 2012), Sure (October 9th, 2012), vijaykajla1 (October 9th, 2012), ygulia (October 7th, 2012)
जीत मैंने इन सवालों का जवाब पहले भी एक थ्रेयड मे दिया हैं पढ़ लिए कहीं मिल जाएगा | ये हुनमान शिवा कौन थे याहे बता दे ?
जाट हिन्दू धर्म के रीति रिवाज आधे अधूरे माने स पूरे नहीं और आधे अधूरे क्यू माने स उसका जवाब वोहे स जो रविन्द्र्जीत भाईसाहब ने दूसरों के लिए कहा था | हिन्दू धर्म से हट कर जीतने भी छोटे छोटे नए पंथ बने उनमे जाटों की ही संख्या ज्यादा क्यों हैं ? इन पंथो मे कुछ को धर्म की मानता मिल गई व आर्य समाज जैसे पंथो को धर्म की मान्यता नहीं मिली तो इसको मानने वालों मे धोबी के कुते वाली बन गई |
हिन्दू धर्म पूरा मनुवाद पर हैं और जाट कभी पूरी तरह से मनुवादि नहीं हुआ |
पहले जाट मानने वाली बात अपने आप को पहले हिन्दू कहने वालों पर भी लागू होती हैं |
Last edited by raka; October 8th, 2012 at 12:04 AM.
" जाट हारा नहीं कभी रण में तीर तोप तलवारों से ,
जाट तो हारा हैं , गद्दारों से दरबारों से |"
" इस कौम का ईलाही दुखड़ा किसे सुनाऊ ?
डर हैं के इसके गम में घुल घुल के न मर जाऊँ || "
...........................चौ.छोटूराम ओहल्याण
jaisingh318 (October 8th, 2012), Moar (October 8th, 2012), op1955 (October 8th, 2012), vicky84 (October 8th, 2012)
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इस धागे का मुख्य मुद्दा थोड़ा सा हट कर एक दूसरी बहस में बदल गया लगता है। असली मुद्दा यह है कि इस वेबसाइट के मेंबर कौन हों - हिन्दू जाट ही या दूसरे भी (मुस्लिम/ सिख जाट)।
मैं खुद भी इस विचार का हूं कि सिख और मुस्लिम जाट भी अपने ही भाई हैं, हमारा उनसे न कोई विरोध है और न ही उनसे नफरत। रही बात इस बेवसाइट की। यह वैसे तो सभी के लिए खुला है - कोई भी सारी पोस्ट पढ़ सकता है, बिना मेम्बर बने भी। मेंबर के लिए कुछ फीचर ज्यादा हैं, बस। जो मेंबर नहीं है, वह पढ़ सब कुछ सकता है पर यहां लिख कुछ नहीं सकता।
अभी ऐसे ही चलने दिया जाये तो ठीक है। अगर हर कोई यहां मेम्बरशिप लेने लगा तो झगड़े ही बढ़ेंगे, फायदा कुछ नहीं होगा। अनुभव यही कहता है ज्यादा बड़ा कुनबा होने पर उनके घर अलग-अलग बन जायें तो ठीक हैं, इकट्ठे होने पर सिर्फ सिरफुटव्वल से ज्यादा कुछ नहीं! सिख-जाट और मुस्लिम जाट बेशक हमारे ही खून के हैं, पर रीति-रिवाज और मान्यतायें अलग होने के कारण वेबसाइट पर वे सब जो लिखेंगे, उससे एक खिचड़ी सी पक जायेगी, कुछ पुराने मेंबर भाग भी जायेंगे। सिख-जाट और मुस्लिम-जाट अगर एक अलग वेबसाइट बना लें और उसका लिंक यहां मेन-पेज पर दे दिया जाये तो कोई हर्ज नहीं।
अनुभवी लोगों का यह भी कहना है कि सिख-धर्म, जो कि एक क्रांतिकारी विचारधारा का परिणाम था और जिसने हिन्दू-धर्म की खोखली रीतिरिवाजों से छुटकारा पाया था, आज आहिस्ता-आहिस्ता एक नए रूप में प्रवेश कर रहा है। उसमें एक नया कट्टरवाद जन्म ले रहा है और अंधविश्वास भी बढ़ रहा है। भिंडरांवाला और सिमरनजीतसिंह मान जैसे कट्टरवादी लोग इसकी एक जीती-जागती मिशाल हैं। निरंकारियों से संघर्ष और डेरा सच्चा सौदा जैसे मुद्दे भी इसी नए कट्टरवाद का नतीजा हैं। खैर, इस पैराग्राफ में लिखी गई ये कुछ बातें एक अलग बहस का मुद्दा हैं जिनको इस धागे में आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिये।
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तमसो मा ज्योतिर्गमय
ashe (October 9th, 2012), deependra (October 9th, 2012), deshi-jat (October 8th, 2012), DrRajpalSingh (October 10th, 2012), jaisingh318 (October 9th, 2012), JSRana (October 8th, 2012), lrburdak (October 8th, 2012), op1955 (October 8th, 2012), ravinderjeet (October 8th, 2012), rsdalal (October 8th, 2012), rskankara (October 9th, 2012), SandeepSirohi (October 8th, 2012), sanjeev1984 (October 8th, 2012), tarzon (October 8th, 2012), vicky84 (October 8th, 2012), vijaykajla1 (October 9th, 2012), ygulia (October 8th, 2012)
.. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..
DrRajpalSingh (October 10th, 2012), ygulia (October 9th, 2012)
डा० साहब,
राजपूत, गुज्जर भी धर्म परिवर्तन के बाद अपना गोत्र इस्तेमाल करते है, जाट कोए अपवाद नहीं है इस मामले में तो. नए मुसलमानों को मुस्लिम समाज में वो दर्ज़ा हासिल नहीं होता था, जो ईरानी, दुर्रानी, तुर्रनियो को था. धर्म परिवर्तन करने वालो मै ज्यादातर निम्न जातियों के लोग होते थे. इसलिए जाट, राजपूत और गुज्जरों ने अपना पुराना गोत्र रखना वाजिब समझा, की चलो कम-से-कम नए मुसलमानों में तो कुछ इज्ज़त बनी रहेगी. ये सब उन्होंने अपने फायदे के लिए किया ना की हिन्दुओं पर अहसान करने के लिए.
सर छोटूराम;
फ्रॉम मुटिनी टू माउन्टबैटन (ज़ेबा जुबैर), हिस्टरी ऑफ़ इस्लामिक सोसाइटीज (इरा लपिडुस), इम्पायर एंड इस्लाम (डेविड गिलमारटिन), द पोलिटिकल इन्हेरीटांस आफ पाकिस्तान (डी. ए. लो), हिस्टरी आफ पंजाब (इकरम अली), इस्लाम एंड मुस्लिम सैपरैटिज्म (फ्रांसिस रोबिंसन), मोडर्न इस्लाम इन इंडिया (कान्वेल स्मिथ), इत्यादि किताबो को पढ़े तो ऐसा अहसास ये होता है की मुळों ने सर छोटूराम का फायदा खूब उठाया, लेकिन उनका, उनकी विचारधारा या उनके चेले (सिकंदर हयात्त) का साथ नहीं दिया. जब तक अँगरेज़ थे यूनिइनिस्ट के साथ रहने मै फायदा था, पाकिस्तान बनता दिखाई दिया तो उधर पल्टी मार गए.
Last edited by deshi-jat; October 9th, 2012 at 06:19 AM.
cooljat (October 9th, 2012), deependra (October 9th, 2012), DrRajpalSingh (October 10th, 2012), jaisingh318 (October 9th, 2012), JSRana (October 9th, 2012), lrburdak (October 9th, 2012), op1955 (October 9th, 2012), ravinderjeet (October 9th, 2012), rsdalal (October 10th, 2012), vicky84 (October 9th, 2012), vijaykajla1 (October 9th, 2012)
Last edited by swaich; October 9th, 2012 at 02:11 PM.
Pagdi Sambhal Jatta..!
jaisingh318 (October 9th, 2012), Moar (October 11th, 2012), vicky84 (October 9th, 2012)
देसवाल साहब बात आपकी ठीक हैं पर दूसरे जाट भाइयो को यहा अपने विचार साझा करने का मौका देने मे कुछ हर्ज नहीं हैं | आपका तर्क हैं की रीति रिवाज भिन्न होने से तकरार होंगी , साहब तकरार तो यहा वैसे भी होती रहती हैं , क्षेत्रवाद को लेकर यहा मैंने कई थ्रेयड मे लोगो को आपस मे भिड़ते देखा हैं | वैसे जट्ट्वर्ल्ड आदि साइट हैं वाहा धर्म के नाम से कोई पाबंधी नहीं हैं और ना ही वो लोग इस साइट पर आने के लिए आपके हमारे ऊपर कोई दबाव बना रहे हैं | मैं तो इस हिन्दू शब्द को हटकर सिर्फ जाट लिखने की वकालत इसलिए करता हु की शायद यह साइट जाटों के इतिहास आदि की जानकारी के लिए बनाई गई होगी यदि ऐसी सोच से बनाई थी तो फिर सबको अपने विचार साझा करने का मौका देना चाहिए उससे हमारी जाटों के बारे जानकारी बढ़ेगी नुकसान कुछ नहीं होगा | अगर सिर्फ टाइम पास के लिए बनाई थी तो फिर ऐसे ही रहने दो और इसमे जानकारी भी सिर्फ हिन्दू जाटों तक़ सीमित रखो | रही दूसरे जाटों के आने से पुराने मेम्बर्स के भागने की बात तो वैसे भी यहा गिनती के ही मेम्बर अकटिव रहते हैं और जो जाट होगा वो तो भागेगा नहीं भागेगा वही जो पहले हिन्दू मुल्ला सीख होगा | खामखा का रेवड़ जोड़ के क्या फायदा |
" जाट हारा नहीं कभी रण में तीर तोप तलवारों से ,
जाट तो हारा हैं , गद्दारों से दरबारों से |"
" इस कौम का ईलाही दुखड़ा किसे सुनाऊ ?
डर हैं के इसके गम में घुल घुल के न मर जाऊँ || "
...........................चौ.छोटूराम ओहल्याण
ashe (October 9th, 2012), dndeswal (October 10th, 2012), lrburdak (October 10th, 2012), narenderkharb (October 11th, 2012), neetu21 (October 10th, 2012), op1955 (October 9th, 2012), ravinderjeet (October 9th, 2012), SALURAM (October 22nd, 2012), vicky84 (October 10th, 2012)