एक बै दो पुरानी सहेली घनेये दिना पाछे सुनपत बस अड्डे पै फेट्गी | बस आवन में टैम था त बैठ कै बतलावन लाग गी |
पहली : आंहे घनेये दिना में फेटी सूना बालक बच्चे ठीक ठाक सें , ईब तै ब्याह ब्यूह दिए होंगे ?
दूसरी : हाँ बेबे बेटी अर बेटा दोनू ब्याह दिए | बेटी त दिल्ली रहवे स आपने घरआले गेल अर छोरा दिल्ली नौकरी करै स अर रोज घरा आज्या स |
पहली : किस्सा जमाई मिल्या बेटी त राजी स ना ?
दूसरी : हां जीजी वा त खुश स, बटेऊ बड़ा आछा स, बढ़िया नौकरी स, बड़ा ख्याल राखै स म्हारी बेटी का, काम आली अर खाना बनावन आली ला राखी सें | कोए रोक टोक ना जो मर्जी खाओ, जब मर्जी उठो अर कित्ते घूमो | रोज घुमा कै ल्यावेगा अर आये हफ्ते हाम ने फेटावन ले आवे स |
पहली : अर बेटा बहु ?
दूसरी : बस जीजी हाड़ेये गड़बड़ होगी | बेटा त बड़ा सुधा स पर बहु चाला आगी म्हारे त | छोरे की जिंदगी नरक बना राखी स | दोफारे ताही पड़ी सोयें जा स, छोरा आपे उठ कै चाह बानावे अर आपे तयार हो क दफ्तर चल्या जा स | भाईरोई रोटी बी ना पो कै दे, बेरा ना छोरा दिन में कुछ खावे बी स अक ना ? घणे निककम्मे खानदान की आगी म्हारे त, काम करण ने कत्ती जी नहीं करता उसका | हाम त राजी ना थे पर धिन्ग्ताने छोरे कै लठ दे क काम आली लगवा ली | बता हाम उस सांडनी का के करेंगे | छोरा थक हार कै सांझ ने आवे त आतेहे नु कह्वेगी अक ईब मंने सुनपत घुमा क ल्या | इब कई दिन त रुस्सी पड़ी स, नु कहवे स अक में त गाम में ना रहूँ दिल्ली मकान ले ले उड़े रहवेंगे | कत्ती मार कै छोड़ेगी म्हारे छोरे न या , राम जाने के होगा जीजी म्हारे छोरे का त ......
ईतने में बस आगी अर बात बीच में ऐ रहगी |