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Thread: काव्यात्मक व्यंग

  1. #1

    काव्यात्मक व्यंग

    यहाँ पर आप आजकल फैले भ्रष्टाचार ओर देश के हालात पर खुद के लिखे या अन्य व्यंग लिख सकते है | शुरुआत में कर रहा हू :


    चाहे कोई हो पार्टी, चाहे कोई भी हो सरकार
    सबने दिया है जनता को, केवल भ्रष्टाचार
    केवल भ्रष्टाचार, के आप आदमी है रोता
    हाय रे महंगाई, जो पास है वो भी खोता
    जो पास है वो भी खोता, के नए -२ नेता आए
    सोचे कैसे इस देश को, लूट के हम खा जाये
    लूट के हम खा जाये, कि नहीं इनका दीन ईमान
    भ्रष्टाचार में डूब के, बन् गए ये हेवान
    बन् गए ये हेवान, के छोड़ डी शर्म लिहाज सारी
    मेरा भारत महान, रहेगा ये खेल हमेशा जारी
    खेल हमेशा जारी, के कैसे आईना इन्हें दिखाए
    ताकि शर्म में डूबके, या तो सुधरे या मर जाये
    -सन्दीप

    महाबला महावीर्या महासत्यपराक्रमा: |
    सर्वांगे क्षत्रिया जट्टा देवकल्पा दृढ़व्रताः ||

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    amit_sheoran (December 7th, 2012), gsolanki9063 (February 24th, 2013), shivamchaudhary (December 7th, 2012), sivach (December 7th, 2012), sukhbirhooda (December 7th, 2012), Sure (December 9th, 2012)

  3. #2
    अच्छा धागा शुरू किया भाई

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    SandeepSirohi (December 7th, 2012)

  5. #3

    मैं नहीं कहता

    मैं नहीं कहता
    तुम पैसे मत खाओ
    तुम पैसे तो खाओ
    पर इतने तो मत खाओ
    पचा भी ना सको
    अपच से
    बीमार पड़ जाओ
    खाना है तो
    ऊँट के मुंह में जीरे
    जितना खाओ
    तुम तो इंसान हो
    हाथी के चारे जितना
    खा जाते हो

    मैं कतई नहीं कहता
    तुम झूठ मत बोलो
    तुम झूठ तो बोलो
    पर इतना तो मत बोलो
    बोलने से पहले ही
    पकडे जाओ
    जनता का विश्वास ही
    खो दो

    मैं बिलकुल नहीं कहता
    तुम घोटाले मत करो
    तुम घोटाले तो करो
    पर इतने तो मत करो
    गरीब का अनाज ही
    खा जाओ
    गरीब भूख से मर जाए
    सड़क दिखे ही नहीं
    पुल छ महीने में गिर जाए
    निर्दोष मारे जाएँ

    मेरे देश के नेताओं
    राजनीति तो करो
    पर ऐसी तो मत करो
    लोग तुमसे
    नफरत करने लगें
    तुम्हें चोर,डाकू समझने लगें
    तुम्हारा नाम सुनते ही
    मुंह से अपशब्द निकलें

    मैं नहीं कहता
    तुम किसी से डरो
    पर कम से कम
    भगवान् से तो डरो
    गरीब की बद्दुआ मत लो
    ऊपर जा कर
    क्या जवाब दोगे ?
    यह भी तो सोचो
    आम आदमी निरंतर
    विनती करता रहा तुमसे
    इन्सान हो
    कम से कम इंसान सा
    व्यवहार तो करो

    महाबला महावीर्या महासत्यपराक्रमा: |
    सर्वांगे क्षत्रिया जट्टा देवकल्पा दृढ़व्रताः ||

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    Bisky (December 9th, 2012), gsolanki9063 (February 24th, 2013), ravinderjeet (January 17th, 2013), rohtashbura (June 16th, 2013), sivach (December 9th, 2012)

  7. #4
    अपने पर ही यूं हंस लेता हूं।
    कोई मेरी इस हंसी से अपना दर्द मिटा ले,
    कुछ लम्हें इसलिये उधार देता हूं।
    मसखरा समझ ले जमाना तो क्या
    अपनी ही मसखरी में, अपनी जिंदगी जी लेता हूं।

    रोती सूरतें लिये लोग
    दिखने की कोशिश में जिंदगी गुजार देते हैं
    फिर भी किसी से हंसी उधार नहीं लेते हैं

    अपने घमंड में जी रहे लोग
    दूसरे के दर्द पर सभी को हंसना आता है
    उनकी हालतों पर रोने के लिये
    मेरे पास भी दर्द कहां रह जाता है
    जमाने के पास कहां है हंसी का खजाना
    इसलिये अपनी अंदर ही
    उसकी तलाश कर लेता हूं।
    जाट के ठाठ हैं .....

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  9. #5
    आडवाणी जी मंदिर बनवाओगे कब तक
    हिन्दुओं को यूँ ही बहलाओगे कब तक
    देश की जनता इतनी नादां नहीं है
    तुम अपनी रोटी पकाओगे कब तक

    मनमोहन जी कुछ अपनी मन की भी कर लो
    सोनिया जी की गाड़ी चलाओगे कब तक
    पवार जी आपकी हर पोल है खुल चुकी
    जनता कों चीनी खिलाओगे कब तक

    चिदंबरम जी जनता जवाब चाहती है
    आतंकवाद को जड़ से मिटाओगे कब तक
    परनब बाबू अर्थवयवस्था का गुणगान करते हो
    मंहगाई पर लगाम लगाओगे कब तक

    माया जी आप मूर्तियों की बहुत प्रेमी हो
    हाथियों की मूर्तियाँ बनवाओगे कब तक
    ममता जी और लालू जी रेल के अखाड़े में
    लाभ-हानि का किस्सा सुनाओगे कब तक

    नितीश जी आप बात करते हो सुशासन की
    बिहार से अफसरसाही मिटाओगे कब तक
    पासवान जी आप गीत गाते रह गए अल्पसंख्यक की
    अल्पमत की मार खुद खाओगे कब तक

    महाबला महावीर्या महासत्यपराक्रमा: |
    सर्वांगे क्षत्रिया जट्टा देवकल्पा दृढ़व्रताः ||

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    ravinderjeet (December 26th, 2012), sivach (December 10th, 2012), ssgoyat (December 13th, 2012)

  11. #6
    राजनीति के रंग निराले भैया
    चलते हैं तीर और भाले भैया

    बिन पेंदी के लोटा हैं सब
    रोज ही बदले पाले भैया

    फितरत की क्या बात करें हम
    दिल के हैं सब काले भैया

    सुबह शाम उड़ायें छप्पन भोग ये
    जनता के लिए महँगी है दालें भैया

    चुनाव भर घुमे ये घर-घर पैदल
    कार में भी मंत्रीजी को आये छाले भैया

    महाबला महावीर्या महासत्यपराक्रमा: |
    सर्वांगे क्षत्रिया जट्टा देवकल्पा दृढ़व्रताः ||

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    JSRana (December 10th, 2012), ravinderjeet (December 26th, 2012), sivach (December 10th, 2012)

  13. #7
    परमिट देकर होस्ट बन गया अपने देस का शासन,
    दूर देस का कोई बनिया बेचेगा अब रासन,
    मैं कहता हूँ छोटे बनियों तलवारे बनवा लो,
    गलवाकर के अपने घर के सारे खाली बासन
    !!

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    ravinderjeet (December 26th, 2012), SandeepSirohi (December 10th, 2012)

  15. #8
    जिसकी जेब थी भारी उसने जो चाहा वो ठूंस लिया,
    डिनर मे खाया मुर्गा और फिर सुबह को एप्पल ज्यूस लिया...

    जिसके जेब मे खिडकी थी वो कई दिनो से भूखा था,
    एक रोज़ वो भी थककर के उस खिडकी से कूद लिया...

    देश मे राशन मंहगा था जब सस्ती थी सब बंदूकें ,
    गेहूँ ना ले पाया तो फिर सस्ते मे बारूद लिया .....

    एक मुठ्ठी मे चाँदी थी तो वो निकला शापिंग पे ,
    इस्ट जर्मनी नब्बे मे ली नाइन्टी वन मे रूस लिया ....

    अपने मौसम और महीने थोप के हम पे चला गया,
    जनवरी फरवरी देकर अपना सावन भादौ पूस लिया ...

    चुल्लू भर पानी बाकी था कि हम कायर डूब मरें ,
    मिनरल वाटर कहकर उसने वो पानी भी चूस लिया ...



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    JSRana (December 12th, 2012), ravinderjeet (December 26th, 2012), SandeepSirohi (December 13th, 2012)

  17. #9
    आज की संसद में अपराधी और भ्रष्टाचारी,
    अत्याचारी गुंडों संग अनैतिक व्याभीचारी,
    ऐसे संक्रमण से ही लोकतंत्र बीमार हुआ है.
    आज हमारे संसद को लकवा मार गया है

    संसदीय समितियाँ भी राजनीति की शिकार,
    छोड़ चुकी मर्यादा और सन्चाई के विचार,
    भारतीय लोकतंत्र बेचारा शर्मसार हुआ है,
    आज हमारे संसद को लकवा मार गया है

    भ्रष्टाचार के खेल में अब पक्ष विपक्ष दोनों भाई,
    लूट रहे सब मिलकर जनता की गाढ़ी कमाई,
    कानून के आभाव में जन-गन लाचार हुआ है,
    आज हमारे संसद को लकवा मार गया है

    महाबला महावीर्या महासत्यपराक्रमा: |
    सर्वांगे क्षत्रिया जट्टा देवकल्पा दृढ़व्रताः ||

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    ravinderjeet (December 26th, 2012), sivach (December 13th, 2012)

  19. #10

    नेता

    चोर हुए बिंदास ओर लोग हुए बेहाल |
    नेता बनते ही देखो बदली प्यारे की चाल ||
    भूल गया जनता को ओर भूला अपना वादा |
    इसका पेट भरने में आम आदमी रह गया आधा ||
    -सन्दीप
    Last edited by SandeepSirohi; December 14th, 2012 at 11:03 AM.

    महाबला महावीर्या महासत्यपराक्रमा: |
    सर्वांगे क्षत्रिया जट्टा देवकल्पा दृढ़व्रताः ||

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    ravinderjeet (December 26th, 2012), sivach (December 14th, 2012)

  21. #11

    में भारत का नागरिक हु

    बम से मरने को तेयार हु
    में भारतीय नागरिक हु
    पड़ा लिखा फिरता बेकार हु
    में भारत का नागरिक हु

    आधी तनखा देकर अपनी
    टैक्स देश का भरता हु
    आतंकवादी गुंडे छोड़ो
    पुलिस से यारो डरता हु
    कस के गले लगा के बच्चे
    घर से रोज निकलता हु
    जान हथेली पर ले कर
    रास्तो पर यारो चलता हु
    नाव डूबती पे सवार हु
    में भारत का नागरिक हु
    बम से मरने को तेयार हु
    में भारत का नागरिक हु

    खून चुसवाता हु अपना में
    पुलिस और नेताओ से
    डर लगता नही मुझको अब
    त्रासदियों और घटनाओ से
    बाड़ महंगाई बिजली दंगे
    इनसे ही मेरा नाता है
    चुप रहना न कुछ कहना
    सब सहना मुझको आता है
    हर क्षेत्र में गया हार हु
    में भारत का नागरिक हु
    बम से मरने को तेयार हु
    में भारत का नागरिक हु
    पड़ा लिखा फिरता बेकार हु
    में भारत का नागरिक हु

    पर इस भारत के नागरिक को
    अब तो कुछ करना होगा
    पुलिस नेता मिलेट्री छोड़ो
    ख़ुद को ही लड़ना होगा
    लड़ के मरना बेहतर है
    चुप रहकर अब मरने से
    कुछ बदलाव नही आएगा
    चुप रहने और डरने से
    ढेर पड़ा है इस देश में
    गुंडों का आतंकवादियों का
    भ्रष्ट ऑफिसर भ्रष्ट प्रशासन
    भ्रष्ट पुलिस, नेताओ का
    इनसे लड़ने को तेयार हु
    में भारत का नागरिक हु
    भारत माँ पे मरने को तेयार हु
    में भारत का नागरिक हु

    महाबला महावीर्या महासत्यपराक्रमा: |
    सर्वांगे क्षत्रिया जट्टा देवकल्पा दृढ़व्रताः ||

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    JSRana (December 17th, 2012), ravinderjeet (December 26th, 2012), sivach (December 17th, 2012)

  23. #12
    रहिमन जूता राखिये, काखन बगल दबाय,
    ना जाने किस मोड़ पे, भ्रस्त नेता मिल जाय

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    ravinderjeet (December 26th, 2012), SandeepSirohi (December 18th, 2012)

  25. #13

    भ्रष्टाचार

    होली के दिन जनमा एक नेता का बेटा,
    मुसीबत बन गया चैन से नहीं लेता ?

    पैदा होते ही कमाल कर गया,
    उठा, बैठा और नेता की कुर्सी पर चढ़ गया !

    यह देख डॉक्टर घबराई, बोली – ये तो अजूबा है !
    इसके सामने तो साइंस भी झूठा है !!

    इसे पकड़ो और लिटाओ
    दुधमुंहा शिशु है, माँ का दूध पिलाओ ।

    दूध की बात सुनकर शिशु ने फुर्ती दिखाई,
    पास खड़ी नर्स की पकड़ी कलाई

    बोला – आज तो होली है, ये कब काम आएगी,
    काजू-बादाम की भंग अपने हाथों से पिलाएगी ।

    नेता और डॉक्टर के समझाने पर भी वह नहीं माना,
    चींखकर अस्पताल सिर पर उठाया, और गाने लगा ‘शीला’ का गाना !

    उसके बचपने में ‘शीला की ज़वानी’ छा गई,
    ‘मुन्नी बदनाम न हो इसलिए नर्स भंग की रिश्वत लेकर आ गई !

    शिशु को भंग पीता देख नेताजी घबराये और बोले -
    ‘तुम कौन हो और क्यों कर रहे हो अत्याचार ?’
    शिशु बोला – तुम्हारी ही औलाद हूँ
    और नाम है भ्रष्टाचार

    महाबला महावीर्या महासत्यपराक्रमा: |
    सर्वांगे क्षत्रिया जट्टा देवकल्पा दृढ़व्रताः ||

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    ravinderjeet (December 26th, 2012), sivach (December 18th, 2012)

  27. #14

    काले शीशे के पीछ जब कोई हरकत होती है

    काले शीशे के पीछ
    जब कोई हरकत होती है
    तब डर लगता है,
    इस शहर का हर चेहरा
    अब बर्बर लगता है।

    इंसानों की भीड़ में
    इंसानियत कहीं दिखती नहीं
    भीड़ का एक एक चेहरा
    पहले से बदतर लगता है।

    खौफ में है हर मासूम
    बेबस है सरकार
    सिर्फ कातिल ही इस शहर में
    बेफिक्र और निडर लगता है।

    रात के अंधेरे में तो
    डरते थे पहले भी
    दिन का उजाला भी बन गया दुश्मन
    अब तो सिसकियों और चीख से भरा
    हर पहर लगता है।

    हजारों मासूम आंखें
    पूछती हैं सवाल हमसे
    क्यों बेअसर हैं बाबुल की दुआएं
    क्यों बेजुबान है हमारी संसद
    जो मंदिर था लोकतंत्र का वही
    अब भूतों का खंडहर लगता है।

    हर आहट कातिलों के आने की सूचना देती है
    दर ओ दीवार पर उसकी तस्वीर दिखती है
    रहनुमा भी मुखौटों में कैद हैं
    अपना घर भी अब घर नहीं लगता।

    डंडे लाठी फांसी गोलियां
    हमें डराने को काफी हैं
    ‘शिकार’ पर निकले दरिंदों के लिए
    ये हथियार भी बेअसर लगता है।

    डरा सहमा सा है आज
    इस शहर का हर आदमी
    दहशत में सारा शहर लगता है।
    दो बेटियों का पिता हूं
    अब इस शहर में डर लगता है।

    महाबला महावीर्या महासत्यपराक्रमा: |
    सर्वांगे क्षत्रिया जट्टा देवकल्पा दृढ़व्रताः ||

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    navdeepkhatkar (May 10th, 2013), ravinderjeet (December 26th, 2012), sivach (December 26th, 2012)

  29. #15
    परदेशी रम्भा के आँचल की मोहक छाया में !
    बने नपुंसक कब तक गाओगे उसका गुणगान !
    रोज तमाचा खाकर भी प्रतिकार नहीं करते हो !
    ऐसी कायरता पर हँसता होगा पाकिस्तान !!

    क्रूर भेड़िया घर में घुस कर आग लगा देता है !
    संसद पर हमला करता है, ताज ढहा देता है !
    तुम संसद में बैठ लिया करते केवल संज्ञान !
    ऐसी कायरता पर हँसता होगा पाकिस्तान !!

    नीच पड़ोसी गुर्राता है, आँखें दिखलाता है !
    अपने अनुचर भेज यहाँ पर दंगे करवाता है !
    बिल में दुबके बैठे हो, सोये हो चादर तान !
    ऐसी कायरता पर हँसता होगा पाकिस्तान !!

    अस्त-व्यस्त घर की हालत, मँहगाई सिर चढ़ बोले !
    गलत नीति के कारण पूरी अर्थ – व्यवस्था डोले !
    जनता के अरबों रुपये का कर आते हो दान !
    ऐसी कायरता पर हँसता होगा पाकिस्तान !!

    लाल किले से झूठ बोलकर सबको भरमाते हो !
    सच्चाई स्वीकार नहीं करते हो, शरमाते हो !
    भारत के सरदार रखो कुछ तो पगड़ी की शान !
    ऐसी कायरता पर हँसता होगा पाकिस्तान !!

    सरबजीत-सुरजीतों की तुमको चिंता क्या करना !
    उनके हिस्से मिला कैदखानों में सड़ कर मरना !
    तुम कसाब-अफजालों का ही गाओ स्तुति गान !
    ऐसी कायरता पर हँसता होगा पाकिस्तान !!

    महाबला महावीर्या महासत्यपराक्रमा: |
    सर्वांगे क्षत्रिया जट्टा देवकल्पा दृढ़व्रताः ||

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    ravinderjeet (January 17th, 2013), sivach (January 11th, 2013)

  31. #16
    अब फिक्र यह नहीं कि अपनों ने हमें लूटा है,
    पर डर है कि रिश्तों का भांडा सरेराह फूटा है।

    ग़म पैसा जाने का नहीं, क्योंकि वह फिर आयेंगे,
    चिंता है कि कुनबे की नेकनीयती का दावा अब झूठा है।

    महाबला महावीर्या महासत्यपराक्रमा: |
    सर्वांगे क्षत्रिया जट्टा देवकल्पा दृढ़व्रताः ||

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    ravinderjeet (January 17th, 2013), sivach (January 17th, 2013)

  33. #17
    हादसा फिर एक घटा
    दिल्ली में फिर बम फटा
    वो अपना काम कर गए
    कितने घायल कितने मर गए

    नेता लोग फिर जागे
    अस्पतालों की और भागे
    पहले पहुँचने की दौड़ लग गयी
    नंबर बनाने की होड़ लग गयी

    टी वी पे फिर एक बहस छिड़ गयी
    एक पार्टी दूसरी पार्टी से भीड़ गयी
    एक ने दूसरी पे आरोप लगाया
    पलटवार में उसने भी दोष लगाया

    यूं ही सारा दिन चीखते चिल्लाते रहे
    अपने को ही पाक दामन बताते रहे
    असली मुद्दे से सभी दूर थे
    अपने ढपली पीटने पर मजबूर थे

    किसी को भी मृतकों का ख्याल न था
    परिजनों को मदद देने का सवाल न था
    बातों का कहीं कोई अभाव नहीं था
    किसी के पास कोई भी सुझाव नहीं था

    अस्पताल में घायल चीख चिल्ला रहे थे
    घर वाले उनसे मिल नहीं पा रहे थे
    क्योंकि नेता लोग आ जा रहे थे
    मानो बस उनका यही फ़र्ज़ बाकी था

    सभी अपनी पीठ थपथपा रहे थे
    फुर्सत किसको थी कि जो देखे
    कफ़न के भी पैसे वसूले जा रहे थे
    न यह पहली बार है , न यह अंतिम बारी है

    आतंकवादियों का कहर अभी जारी है
    कल हुआ , कल फिर दोहराया जायेगा
    पार्टियों को भिड़ने का अवसर फिर मिल जाएगा
    नेता फिर वाही पुराने बाते कहेंगे

    प्रशन यह है देशवासी यह कब तक सहेंगे !!!

    महाबला महावीर्या महासत्यपराक्रमा: |
    सर्वांगे क्षत्रिया जट्टा देवकल्पा दृढ़व्रताः ||

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    sivach (January 25th, 2013)

  35. #18
    मै भारत का संविधान हूँ लाल किले से बोल रहा हूँ
    जो भी सत्ता में आता है वो मेरी कसमे खाता है
    सबने कसमो को तोड़ा है मुझको नंगा कर छोड़ा है
    दागी चेहरों वाली संसद चम्बल घटी दीख रही है
    सांसदों की आवाजों में हल्दी घाटी चीख रही है
    मेरा सड़को से संसद तक चीरहरण जैसा होता है
    चक्र सुदर्शनधारी बोलो क्या कलयुग ऐसा होता है ?
    मै लोहू में लथपथ होकर जनपथ हर पथ डोल रहा हूँ
    मै भारत का संविधान हूँ लाल किले से बोल रहा हूँ
    (Hariom Panwar)

    महाबला महावीर्या महासत्यपराक्रमा: |
    सर्वांगे क्षत्रिया जट्टा देवकल्पा दृढ़व्रताः ||

  36. #19
    चेहरे का उनके , रंग, पहले से था काला
    कालिख लगा सका न कोयला घोटाला !

    सबक सिखा गया इमानदार अफसर को
    मुजरिम नहीं ,मंत्री जी का है साला !

    घोटाले करने वाले बरी हो जाएंगे सब
    हुआ है कभी साबित यहां पर कोई घोटाला !

    हुड़दंग करने की संसद में इजाज़त है
    लगा लो अदालत में मुहं पर मगर ताला !

    फ़िल्मी सितारों से डाकू लुटेरों तक
    सत्ता की राजनीती सब की हो गई खाला !

    भाई भाई पक्ष विपक्ष के सब नेता
    खंजर भी छिपा है ,हाथों में भी फूलमाला !

    वो भी बिके हुए ,ये भी बिके हुए
    दोनों को चलाता सदा इक ही पैसे वाला !

    महाबला महावीर्या महासत्यपराक्रमा: |
    सर्वांगे क्षत्रिया जट्टा देवकल्पा दृढ़व्रताः ||

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    sivach (February 5th, 2013)

  38. #20
    आओ बच्चों तुम्हें दिखाए
    झाकी घपलिस्तान की.
    इस मिट्टी पे सर पटको ये धरती है
    बेईमान की.
    बन्दे हैं बेदम, राडिया-
    विनायकयम्. बन्दे हैं बेदम, राडिया-
    विनायकम्.
    उत्तर में घोटाले
    करती मायावती महान है
    दक्षिण में राजा-
    कनिमोझी करुणा की संतान है. जमुना जी के तट
    को देखो कलमाडी की शान है
    घाट-घाट का पानी पीते
    चावला की मुस्कान है.
    देखो ये जागीर बनी है बरखा-
    वीर महान की इस मिट्टी पे सर पटको ये धरती है
    बेईमान की.
    बन्दे हैं बेदम, राडिया-
    विनायकयम्.
    ये है अपना जयचंदाना, नाज़ इसे
    गद्दारी पे. इसने केवल मूंग दला है
    मजलूमों की छाती पे.
    ये समाज का कोढ़ पल रहा,
    पूंजीवाद के नारों पे
    बदल गए हैं सभी अधर्मी भाडे के
    हत्यारे में . हिंसा-मक्कारी ही अब,पहचान
    है हिन्दुस्तान की
    इस मिट्टी पे सर पटको ये धरती है
    हैवान की.
    बन्दे हैं बेदम, राडिया-
    विनायकयम्. देखो मुल्क दलालों का, ईमान
    जहां पे डोला था.
    सत्ता की ताकत को चांदी के
    जूतों से तोला था.
    हर विभाग बाज़ार बना था, हर
    वजीर इक प्यादा था. बोली लगी यहाँ सारे मंत्री और
    अफसरान की.
    इस मिट्टी पे सर पटको ये धरती है
    शैतान की.
    बन्दे हैं बेदम
    जय भारत

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    op1955 (February 5th, 2013), sivach (February 5th, 2013)

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