Originally Posted by
upendersingh
भाई, तुम्हारा कहना है कि जाटों को खुद को हिंदू धर्म से जोड़ने की कोई जरूरत नहीं है। तुम्हारी ऐसी बातों से मुझे ऐसा लगता है कि या तो तुम कोई अपरिपक्व युवा हो, जिसे अभी इस दुनिया का ज्यादा अनुभव नहीं है या फिर तुम्हारे दिमाग में गलत विचार भरे गए हैं।
क्या तुम मुझे बताओगे कि जो जाट पंजाब में हैं, उनकी शादी गुरुद्वारों में क्यों होती हैं? जो जाट पाकिस्तान में हैं, उनकी शादी मुस्लिम पद्धति से क्यों होती हैं? जो बाकी जाट हैं, उनकी शादी हिंदू पद्धति से क्यों होती हैं?
क्या तुम मुझे बताओगे कि जो जाट पंजाब में हैं, उनके नाम अधिकतर बलजिंदर, कुलविंदर, हरदीप, मनदीप, जरनैल, करनैल टाइप के क्यों होते हैं? जो जाट पाकिस्तान में हैं, उनके नाम अधिकतर वकार, आकिब, इरफ़ान टाइप के क्यों होते हैं? जो बाकी जाट हैं, उनके नाम अधिकतर राजीव, संजीव, अंकित, देवेन्द्र, सुरेन्द्र टाइप के क्यों होते हैं?
क्या तुम मुझे बताओगे कि मुसलमान जाट के घर में अधिकतर क्यों रोजाना मांस पकता है, जबकि दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि के जाटों के घरों में तो अधिकतर रोज सब्जी की जगह मांस नहीं पकता। जाटों का कोई धर्म नहीं होता, तो क्यों वे पाकिस्तान में जाकर मोहम्मद के आगे अपना सिर झुकाने लग गए और क्यों सिख जाट गुरु नानक को अपना भगवान मानने लगे? दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि के जाटों ने तो ऐसा नहीं किया।
कुछ तो कारण होगा? कारण यह है कि इस दुनिया में धर्म के बिना जीना बहुत मुश्किल है। इसीलिए इस दुनिया में अधिकतर लोगों का कोई न कोई धर्म है। धर्म का दायरा जाति से बड़ा होता है और धर्म तभी बनता है जब कोई महामानव जन्म लेता है, क्योंकि यदि साधारण इंसान के नाम पर धर्म की स्थापना होगी तो वो धर्म दुनिया में हंसी का पात्र बन जाएगा और उस धर्म को मानने वाले भी। सुरक्षा कवच कमजोर होगा, सो अलग। यदि पाकिस्तान में जाट ये कहें कि वे तो मुसलमान नहीं हैं, बल्कि जाट हैं तो फिर वे बाकी मुसलमानों से अलग-थलग हो जाएंगे और नष्ट हो जाएंगे। बाकी मुसलमान खुद को उनके साथ भावनात्मक रूप से जोड़ ही नहीं पाएंगे।
कुछ लोग ऐसी भ्रांतियां फैला रहे हैं कि हिंदू तो ब्राह्मणों-बनियों का धर्म है। ऐसी बातों का कोई आधार नहीं है। मुझे बताओ कि कौन ब्राह्मण-बनिया किसी जाट के घर जाकर ये कहता है कि तुम्हें मंदिर में आकर पूजा करनी ही पड़ेगी। तुम्हें चढ़ावा देना ही पड़ेगा। तुम्हें हिंदू देवी-देवताओं को मानना ही पड़ेगा। कोई भी नहीं कहता। हिंदू धर्म तो इतना उदार है कि दुनिया में इतना उदार कोई धर्म ही नहीं है। इस धर्म को तो बेचारे को कोई भी ऐरा-गैरा भला-बुरा कह जाए, यह सब सह लेता है। ईश्वर करे कि यह धर्म इतना सक्षम हो जाए कि इसे ग्रहण करने के लिए लोग तरसें और हिंदू कहें कि हम पहले देखेंगे कि फलां शख्स हिंदू होने के लायक है भी या नहीं।
रही बात 'आकाश' तोमर तुम्हारी। जो यह तुम्हारा नाम है यह न तो मुस्लिम नाम है और न ही सिख। तुम जब अपना नाम किसी को बताते हो तो सामने वाला तुम्हें हिंदू समझ लेता है। तुम्हारे घर में रीति-रिवाज हिंदुओं वाले हैं। शादी- ब्याह हिंदू पद्धति से होते हैं। तुम हिंदुओं वाले त्यौहार मनाते हो। तुम्हारे घर में रोज मांस नहीं पकता। तुम ईद नहीं मनाते। गुरु पूरब, प्रकाश दिवस के दिन तुम सिखों में जाकर शामिल नहीं होते। तो फिर तुम कौन हो? तुमने हिंदू संस्कृति क्यों ओढ़ी हुई है? अगर ओढ़ी हुई है तो फिर उसे ही कोसते क्यों हो? तुम तो वो काम कर रहे हो कि मान लो तुम सीबीआई के विभाग के नहीं हो, लेकिन दूसरे लोगों को सीबीआई का आई कार्ड दिखाते हो और दूसरे लोग तुम्हें सीबीआई का आदमी समझकर तुम्हारा सम्मान करते हैं। सीबीआई को तुमने छोड़ दिया, समस्या इस बात से नहीं है, समस्या इस बात से है कि उसका आई कार्ड तुम अभी भी इस्तेमाल कर रहे हो। समस्या इस बात से नहीं है कि तुम हिंदू नहीं हो, समस्या इस बात से है कि दूसरे लोग तुम्हें तुम्हारे नाम, तुम्हारे परिवार के रीति-रिवाजों के कारण हिंदू समझ लेते हैं। एक बार ये सब बदल दो, फिर तुम्हें कुछ दिनों में ही पता चल जाएगा कि धर्म क्या होता है। अपना नाम ऐसा रख लो, जो हिंदू नाम न लगे। घर में शादी-ब्याह, रीति-रिवाज सब हिंदू धर्म से अलग कर लो, फिर समझेंगे कि तुम हिंदू नहीं हो। जहां 18 करोड़ पाकिस्तानियों ने, 15 करोड़ बांग्लादेशियों ने, लगभग 20 करोड़ भारतीयों ने हिंदू धर्म को त्यागा और 2 कौड़ी के होकर रह गए, वैसे ही यदि चंद करोड़ जाट भी ऐसा कर देंगे तो हिंदू धर्म पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, लेकिन ऐसा करने वाले जाट जरूर नष्ट होने की स्थिति में पहुंच जाएंगे, क्योंकि जिन्होंने ऐसा किया है, वे 2 कौड़ी के होकर रह गए हैं। बर्बाद, अपमानित, व्यथित, कुंठित।