पिछले कुछ अरसे से जाटलैंड पर सींग फसाई और खींचा तानी ने राजनैतिक चोगा पहन लिया है i परस्पर विरोधी राजनैतिक विचारधारा रखने वाले कुछ सदस्य सभ्य और शिष्ट वार्तालाप की सीमाएं लांघते हुए नज़र आये i खासकर उन धागों में जिनमे देश के दो प्रमुख दलों के संभावित प्रधानमंत्री उम्मीदवारों की तुलना की गई है और जिसमे cag की टिपण्णी इत्यादी पर बहस हुई है i हालात के पेशे नज़र एक छोटा सा तप्सरा यहाँ छाप रहा हूँ i आप लोग भी अपने अपने विचार यहाँ छाप सकते हो जब भी आपको ऐसा करने की तलब हो i
हम आह भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम ,
वो क़त्ल करते हैं और नाम नहीं होता i
हर बात बने तकरार यहाँ, हर लम्हा सींग फसाई है ,
बलम-केसरिया का तो हर गुनाह माफ़,
हम नज़र भी उठायें तो मोहब्बत-ए-कौम की रूसवाई है i
कहीं झूठ के पुलिंदे, कहीं कापी-पेस्ट,
कहीं मसाला-ऐ-तशहीर -ए- दुलार यहाँ
कहीं राणाओं की दमकती ओ ज़हर में बुझी शमशीर
तो कहीं नफरत की बारूद ओ कूल-जाटों की गर्म तक़रीर यहाँ i
वे जाट-एकता और भाईचारे के मसीहा अब कहाँ हैं
जिन्हें जाट रश्मो रिवाज़ ओ माज़ी पर नाज़ है वो कहाँ हैं
कोई उन्हें ढूंढ कर लाओ, महफ़िल के आकाओं को बुलाओ
भाईचारे और इंसानियत का कत्लेआम दिखाओ i
क्या यही है वीरों, आर्यों, ओ रणबांकुरों की महफ़िल
ऐसी महफ़िल में, एंट्री मिल भी जाये तो क्या है
बात बात पर जहाँ देशी माणसों की टांग खिंचाई है
उस महफ़िल से तो वी पी, अच्छी तेरी तन्हाई है i