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श्री मान राना साहब , अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करना भी तो उतना ही विदेशी है जितना उर्दू का ! नहीं ? हिंदी भाषा का समर्थन और वो भी अंग्रेजी में लिख कर ! उपदेश देना बहुत सरल कार्य है ! आप आगे से अपनी एक पोस्ट पूर्णतया हिंदी में लिख कर हम सबको एक उदारहण दे जिस से कम से कम कुछ नहीं तो एक जाटलैंड का सदस्य तो आपका अनुसरण अवश्य करेगा ! जो प्रश्न आपने पूछा है कि क्यूँ नहीं हिंदी को हिंदी की भांति बोला जा सकता ? तो महोदय आप बोलना तो छोडिये यहाँ लिखना ही शुरू कीजिये!