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Thread: आरटीआई में आने से डरीं पार्टियां

  1. #1

    आरटीआई में आने से डरीं पार्टियां

    राहुल गांधी और उनकीपार्टी अपनी हर सभा में आरटीआई को लाने का श्रेय लेती हैं, लेकिन अब अपनी पार्टी कोइसके दायरे से बाहर रखना चाहते हैं। जेडी(यू), एनसीपी और सीपीआई (एम) ने भीआरटीआईमें आने के विरोधी है। और तो औरअपने आप को दूध की धुली कहने वाली बीजेपी,जो भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दाबनाना चाहती है, लेकिन बतौर राजनीतिक पार्टी आरटीआई के दायरे में आने से नानुकर कर रही है। राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों को आरटीआई के दायरे में लाने केफैसले के खिलाफ करीब-करीब सभी प्रभावित पार्टियां खुलकर बोला हैं। इनको डर सता रहा है कि आरटीआई के दायरे में आने सेफंड को कर कई तरह के सवाल पूछे जाएंगे। राजनीतिक पार्टियों को कॉर्पोरेट घरानोंसे चंदे के नाम पर मोटी रकम मिलती है। सिर्फ 20 हजार से ज्यादा की रकम परपार्टियों को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को सूचना देनी होती है,परंतु असलियत यह है कि पार्टियां ज़्यादातर पैसा 20 हजार से कम की कई किस्तों में पैसा दिखाती हैं। ऐसेमें पता नहीं चलता है कि किसने कितनी रकम दी है और क्यों दी है।

    कांग्रेस : केंद्रीय सूचना आयोग का यह फैसला लोकतंत्र पर चोट है। और इस फैसले का विरोध करती है
    बीजेपी : शुरू में कुछ भी खुलकरबोलने से परहेज किया लेकिन जैसे ही कांग्रेस ने इसकाविरोध किया,तो बीजेपी ने कहा कि सीआईसी का यह फैसला लोकतंत्र केलिए अच्छा नहीं है
    क्या इस मुददे पर बीजेपी कांगेस के साथ है?

    जाट के ठाठ हैं .....

  2. The Following 4 Users Say Thank You to rskankara For This Useful Post:

    desijat (June 10th, 2013), RSKharb (June 10th, 2013), sivach (June 10th, 2013), sukhbirhooda (June 19th, 2013)

  3. #2
    Bhai Kankaraji, aapne apni post me swayam hi nichod nikal ke rakh diya dhaage ka. Ye sab ek hi thailli ke chatte-batte hai. Kam koi nahi hai. RTI me aane se inki bahot sari pol khul jayengi isliye ye RTI ke daayre me aane se darte hai. Inka to yaha tak vichar hai ki RTI ko hi khatam kar do. Abhi piche si ye baat uthi bhi thi. To janta sirf vote de aur ye fir unka khoon chuse par janta bole kuch na.

  4. The Following 2 Users Say Thank You to malikdeepak1 For This Useful Post:

    rskankara (June 10th, 2013), sivach (June 10th, 2013)

  5. #3
    All parties gets money/bribe from corporate house and then later make policies or accept tenders in their favour. Of course they would want to come under RTI scanner.
    जागरूक ती अज्ञानी नहीं बनाया जा सके, स्वाभिमानी का अपमान नहीं करा जा सके , निडर ती दबाया नहीं जा सके भाई नुए सामाजिक क्रांति एक बार आ जे तो उसती बदला नहीं जा सके ---ज्याणी जाट।

    दोस्त हो या दुश्मन, जाट दोनुआ ने १०० साल ताईं याद राखा करे

  6. The Following User Says Thank You to VirJ For This Useful Post:

    sivach (June 10th, 2013)

  7. #4
    Association of Democratic Reform (ADR) एक ऐसी संस्था है जो चुनाव खर्च और उम्मीदवारों की सम्पत्ति का ब्यौरा रखती है और उसी की अपील पर मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) ने ये आदेश दिया है | ADR के अनुसार राजनैतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे में लगभग 65% हिस्सा उस चंदे का है जो 20000 से कम की रकम के रूप में प्राप्त हुआ है और इस धन के स्रोत्र के बारे में ये पार्टियों नहीं बताना चाहती है क्योंकि सबसे ज्यादा घालमेल इसी में हो रहा है | काले धन के चंदे को बीस - बीस हजार के रूप में दिखा कर खपाया जा रहा है |
    मीठे बोल बोलिये क्योंकि अल्फाजों में जान होती है,
    ये समुंदर के वह मोती हैं जिनसे इंसानों की पहचान होती है।।

  8. The Following User Says Thank You to sivach For This Useful Post:

    rskankara (June 10th, 2013)

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