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Thread: जट्टू कवितायें ॥

  1. #121
    यारां का कुछ ना िबगडै ,तु अपणी अगत िवचार िलए ,
    आज तै आगै मेरे नाम का छाती मै मुक्का मार िलए,
    .
    तनै के सोची तेरे िबन , मेरा गुजारा ना होवै,
    खुद अपणा कर ख्याल बावळी, कूण मै बड़-बड़ तु रोवै,
    हमनै तो कुछ कसर ना छोडी, समझा-समझा हार िलए ,
    आज तै आगै...................
    .
    जो तनै अपणे लागैं सैं वे काल पराए हो ज्यांगे,
    तेरी राही मै वे दुख-दर्दां के कांटे बो ज्यांगे,
    कदम-कदम पै ठोकर खावै, िकतणी ए राह बुहार िलए,
    आज तै आगै................
    .
    याद तनै मेरी आवै पर वार घणी फेर होज्यागी,
    कोए राह ना पावै तु लाचार घणी फेर होज्यागी,
    िजनकी खाितर मै छोड्डा तनै उन्हे तै फेर सार िलए ,
    आज तै आगै..................
    .
    "भुप्पी"के तो तेरे नाम के बंद दरवाजे हो ग्ये रै,
    यारां की महिफल मै ना छोड्डे तनै बोलण जोगे रै,
    फेर पलट कै ना देखुं चाहे िकतणी ए बार पुकार िलए ,
    आज तै आगै...................

    ------------
    भुप्पी घनघस ।
    Last edited by ravinderjeet; August 26th, 2013 at 05:05 PM.
    :rockwhen you found a key to success,some ideot change the lock,*******BREAK THE DOOR.
    हक़ मांगने से नहीं मिलता , छिना जाता हे |
    अहिंसा कमजोरों का हथियार हे |
    पगड़ी संभाल जट्टा |
    मौत नु आंगालियाँ पे नचांदे , ते आपां जाट कुहांदे |

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    Sure (August 26th, 2013)

  3. #122
    ये छोरे चाह्वैं डांस कल्ब
    मैं ,डेली होज्या पार्टी,
    छोरी भी सरमावैं कोन्या ,दम िसगरेट
    के मारती,
    राजनीती मैं शािमल यो,
    गुंड्या का टोळ हो िलया ,
    अपणी अगली पीढी का भाई,
    भट्ठा गोळ हो िलया ,
    लाज-शर्म सब भूल गये, ईब कोए करै
    ना आरती,
    सुसरे आगै बहु बैठ कै अपणी जुल्फ
    सवांरती,
    छोरे चर्चा करैं जमीन का, चोखा मोल
    हो िलया ,
    अपणी अगली पीढी...........
    .............
    बीयर गेल्या छोरे देखो, िचकन
    तंदूरी खावैं सैं,
    बाईक कै पाछै ये "धाकड
    छोरा "भी िलखवावैं सैं,
    आपस मैं बतलावैं ईबकै मस्त "पटाका"
    टोह िलया ,
    अपणी अगली पीढी...........
    ...............
    डीजे आगै लत्ते काढ कै,
    नाचैं िफल्मी गाण्या पै,
    अपणी फरेंड का हाल पुछलें, खुद ये
    अपणी बाहणां पै,
    सोच कै देखो अपणी अगत मैं, कोण
    सा बीज बो िलया ,
    अपणी अगली पीढी...........
    .................
    "बालू जाट" कह ईब मुिस्कल
    होगी, खुद की बचाणी जात रै,
    क्युकर बदलैंगे दुिनया के, िबगडे ये
    हालात रै .
    फैसन के चक्कर मै हमनैं, अपणा देश
    डुबो िलया ,
    अपणी अगली पीढी का.............

    ---------राजबीर सिंह ।
    :rockwhen you found a key to success,some ideot change the lock,*******BREAK THE DOOR.
    हक़ मांगने से नहीं मिलता , छिना जाता हे |
    अहिंसा कमजोरों का हथियार हे |
    पगड़ी संभाल जट्टा |
    मौत नु आंगालियाँ पे नचांदे , ते आपां जाट कुहांदे |

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    Sure (August 26th, 2013)

  5. #123
    आपा धापी माच रही चारों कूट
    रोल्या पड़ग्या।
    एक दूजे का गल काटैं नाज गोदामां मैं
    सड़ग्या।।
    ये घर बणे तबेले लोगो रही माणस
    की खोड़ नहीं
    सोच तै परहेज करैं बात का टोहते औड़
    नहीं
    झूठ पै चालै पूरी दुनियां साच का जुलूस
    लिकड़ग्या
    मेहनत करी लोगां नै विज्ञान नै राह
    दिखाया
    या दुनिया बदल दर्इ घणा खून
    पसीना बाहया
    लालची नै डाण्डी मारी गरीब कै
    साहमी अड़ग्या।।
    न्याय की बात भूलगे नहीं ठीक
    करया बंटवारा
    पांच सितारा होटल दूजे
    कान्ही फूटया ढारा
    गरीब की कमार्इ
    का मुनाफा अमीर कै बड़ग्या।।
    टीवी पै सपने हमनै आज बूख दिखाये
    जावैं
    राजबीर तै लालच दे कै उल्टे प्रचार
    कराये जावैं
    सच्चार्इ नै भूल गए भोग मैं माणस
    बड़ग्या

    ---------राजबीर सिंह ।
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    Sure (August 26th, 2013)

  7. #124
    दुनिया रूक्के
    देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्य
    ||
    सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज
    का भर ग्या रै||
    जीरी गिन्हूं कपास अर इंख
    की खेती बढती जावै सै
    देश के सुब्याँ मैं नंबर वन
    यो हरयाणा का आवै सै
    सड़क पहोंचगी सारै गाम गाम
    बिजली लसकावै सै
    छैल गाभरू छोरा इसका लड़न फ़ौज के
    म्हें जावै सै
    खेतां के म्हें नया खाद बीज ट्रेक्टर
    घराटा ठावै सै
    फरीदाबाद सोनेपत हिसार पिंजौर
    मील सिटी लावै सै
    सारे भारत मैं भाइयो इंका सूरज शिखर
    मैं चढ़ग्या रै ||
    ये बात तो भाई हर रोज बता बता दिल
    डाटे जाँ रै
    इस चकाचौंध के पाछै सै घोर
    अँधेरा नाटें जाँ रै
    जो भी हुआ फायदा बेईमान आपस मैं बांटें
    जाँ रै
    भका भका जातां के चौधरी नाड़
    म्हारी काँटें जाँ रै
    अपनी काली करतूतां नै जात के
    तल्ले ढान्पें जाँ रै
    बोलै जो उनके खिलाफ वे झूठे केसां मैं
    फांसे जाँ रै
    कुछ परवाने भाइयो फिर भी इनके
    करतब नापें जाँ रै
    बिन धरती अर दो किल्ले आला ज्यां तैं
    मरग्या रै ||
    खम्बे मीटर गाम गाम मैं
    बिजली के इब तार गए
    ओवर सीयर एस सी सब कर बंगले अपने
    त्यार गए
    चार पहर भी ना बिजली आवै बाट देख
    देख हार गए
    बिना जलाएं बिजली के बिल कर
    कसूती मार गए
    ट्यूबवेल कोन्या चालै ट्रानस्फोर्मार के
    जल तार गए
    पैसे आल्यां के ट्यूबवेल थ्रेशर चल धुआं धार
    गए
    गरीबां की गालाँ मै दूना कीचड
    देखो आज भरग्या रै ||
    गाम गाम मैं सड़क बनाई
    फायदा कौन उठावैं सें
    बस आवै जावै कदे कदे लोग बाट मैं मुंह
    बावैं सें
    पैसे आल्यां के छोरट ले मोटर साईकिल धूल
    उड़ावें सें
    टरैक्टर ट्राली सवारी ढोवें मुंह मांगे
    किराये ठहरावै सें
    सड़क टूटरी जागां जागां साईकिल
    मैं पंकचर हो ज्यावें सें
    रोड़ी फ़ोडै पां गरीबां के जो मजबूरी मैं
    पैदल जावैं सें
    बस नै रोकें कोन्या रोकें तो भाडा गोज नै
    कसग्या रै ||
    बिन खेती आल्यां का गाम मैं
    मुश्किल रहना होग्या
    मजदूरी उप्पर चुपचाप
    दबंगा का जुल्म सहना होग्या
    चार छः महीने खाली बैठ पेट
    की गेल्याँ फहना होग्या
    चीजां के रेट तो बढ़गे प़र पुराने प़र
    बहना होग्या
    फालतू मतना मांगो नफे दबंग
    का नयों कहना होग्या
    गाम छोड़ शहर पडे आना घर एक
    तरियां ढहना होग्या
    भरे नाज के कोठे फेर भी पेट कमर कै
    मिलग्या रै ||
    खेती करणिया मैं भी लोगो जात
    कारगर वार करै
    एक जागां बिठावै गरीब अमीर नै
    ना कोए विचार करै
    किसान चार ठोड बँट लिया कैसे
    नैया इब पार तिरै
    ट्रैक्टर आले बिना ट्रैक्टर
    आल्यां की या लार फिरै
    इनकी हालत
    किसी होगी बिलखता यो परिवार
    फिरै
    बिना धरती आल्यां का आज नहीं कोए
    भी एतबार करै
    जात मैं जमात पैदा होगी बेईमान नै
    खतरा बधग्या रै ||
    घन्याँ की धरती लाल स्याही मैं बैंक
    के महां चढ्गी थी
    दो लाख मैं बेचे किल्ला चेहरे
    की लाली सारी झडगी थी
    चूस चूस कै खून गरीब का अमीर के
    मुंह लाली बढगी थी
    कर्जे माफ़ होगे एक ब़र तो फेर कीमत
    धरती की बधगी थी
    आगे कैसे काम चलैगा रै एक ब़रतो इसतैं
    सधगी थी
    आगली पीढ़ी के करैगी म्हारी तै
    क्यूकरै ए धिकगी थी
    हँसना गाना भूल गए जिन्दा रहवन
    का सांसा पड़ग्या रै||
    शहरों का के जिकरा करूँ मानस
    आप्पा भूल रहया यो
    आप्पा धापी माच रही आज पैसे के संग
    झूल रहया यो
    याद बस आज रिश्वत खोरी जमा नशे मैं
    टूहल रहया यो
    इन्सान तै हैवान बनग्या मिलावट में
    हो मशगूल रहया यो
    चोरी जारी ठगी बदमाशी सीख भूल
    सब उसूल रहया यो
    इसी तरक्की कै लगे
    गोली पसीना बह फिजूल रहया यो
    फेर भी रुके मारे तरक्की के
    राजबीर लिखना बंद करग्या रै ||

    ---------राजबीर सिंह ।
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  8. #125
    भई राम रूप एक कारीगर नै, राम
    रेल तैयार करी
    प्राण पसेन्जर त्यार करी, कल चलने
    की रफ़्तार करी
    नाड़ी तार शब्द की मीठी, साँस
    का पंखा हिलता है
    इजंन वाला ग़ज़ब मसाला, सर्व धात
    का ढलता है
    डूबे तै ना गलता पानी मै,
    नही अग्नि मे जलता है
    करनी के डिब्बे बदले जाते, इंजन
    एक बी चलता है
    हो ये भ्रम
    की पटड़ी बुद्धी का ड्राइवर,
    दुरजन कम दो चार करी
    पाप- पुण्य दो लाईन बिछाई,
    जहाँ गाड़ी बदली जाती है
    काम क्रोध दुख- सुख के पहिया,
    करम की कल चल जाती है
    प्रेम गति का प्लेटफार्म,
    जो गाड़ी को ठहराती है
    सत का सिग्नल जतन की ज़ंजीर
    तुरन्त झटका लाती है
    हो भक्ति भाड़ा भरो प्रेम से, ना एक पैसे
    उधार करी
    हो काल का गार्ड बेरहम की झण्डी,
    चाहे जब हिला देगा
    यम का चैकर टिकट का टीटी, सब
    सामान खुला देगा
    एक मनुमन नाम पीठ मैन
    कभी डौले कभी डूला देगा
    भगवत बाबू शरम सिपाही सब सामान
    तुला देगा
    एक लोभ क़ुली कंगाल मिला, एक पैसे
    पै तक़रार करी
    ज्ञान गैस जल रहा गाड़ी मै,
    जो विधा- बुद्धि तेज करै
    टेलिफ़ोन भावी का चक्कर, अचानक
    घण्टी मेज़ करै
    ना ना प्रकार रगं स्टेशन, ईश्वर
    नाम रंगरेज करै
    गुरू मानसिंह न्यू बोले जा, बैठ आज मत
    हेज़ करै
    श्री लखमीचदं रट हरिनाम,
    मिली रेल मेहर करतार करी
    प्राण पैसेन्जर त्यार करी, कल चलने
    की रफ़्तार करी
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  9. #126
    माटी के म्ह माटी मिलगी,
    मिलगी पवन, पवन के म्ह ।
    किसकी रह रूखाली माली,
    कोन्या फूल चमन के म्ह ।
    एक दीपक म्ह तै ल्यकड़ रोशनी, धुँआ
    ध्याण तेल जलग्या ।
    इन पाँचा मै तै एक लकड़ कै,
    बेरा ना कित सी रलग्या ।
    अन्धेरे म्ह होया अन्धेरा, चाँदण म्ह
    चाँदण खिलग्या ।
    वायु मै वायु मिलगी ओर पाणी मै
    पाणी मिलग्या ।
    जैसे जीव से ब्रह्म- ब्रह्म से
    माया न्यारी रह गवन के म्हा ।
    जहाँ रवि शशि ना पक्षपात रज-
    रक्त मझा मद म्ह मिलग्या ।
    एक अंश मात्र साँस स्वरूप बण्या बण छोटे
    से क़द म्ह मिलग्या ।
    जहाँ जीवता नाश ब्रह्म की शक्ति,
    उस घर की हद के म्हा मिलग्या ।
    सूक्ष्म सा असथुल छोड कै, परमपदी पद
    म्ह मिलग्या ।
    ना गलै नीर से ना कटे शस्त्र से ओर
    जलता नही अगन के म्हा ।
    कहे सुणे की ना मानै तेरी आपै
    ब्याधा मिट ज्यागी ।
    जब सड़ उठैगी लाश कँवर की तू आपै
    उलटी हट ज्यागी ।
    घर बार छोड कै चाल पड़ी तेरी न्यूँ के
    ज़िन्दगी कट ज्यागी ।
    यो जगत सराहना करै तेरी, तू
    दुनिया के म्हा छँट ज्यागी ।
    एक तुलसी की माला ले कर भक्ति-
    भजन भवन के म्हा ।
    हाँ बाग़ का माली न्यूँ कहरया सै,
    सुणती हो तै बोल बहु ।
    जिन्है टोहवै वो ना पावै चाहे
    कितनी ऐ लाश टटोल बहु ।
    बणी-बणी के सब साथी ओर
    ना बिगड़ी का मोल बहु ।
    तू चित करकै माटी सगंवाले मत
    हो डामाडौल बहु ।
    कहं लखमीचदं बण दासी भगवान
    की, फेर रहगा जगत नवन के म्हा ।
    किसकी रह
    रूखाली की माली कोन्या फूल चमन
    के म्हा ।
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  10. #127
    म्हारे बचपन के दिन

    तडके तडक उठ्या करते....
    जोहड पै घूमण जाया करते
    कुईं के पाणी मै नहाया करते
    उडै ए भाजम भाज रेस लाया करते
    नहर धोरै रेत मै लोटया करते
    फेर पुल पै तै ए नहर मै कूदया करते

    सरकारी सकूल मै जाया करते
    मास्टरां के नाम लकाडा करते
    सकूल का ओटडा कूद कै भाज जाया करते
    फेर बड के पेड पै खेलया करते
    सारी दोफारी हाण्डया करते
    आपै आप कुछ हो बाण्डया करते

    आज तो सब क्यम बदल गया
    कुईं का पाणी सूख लिया
    बड का पेड भी टूट लिया
    सरकारी सकूल की जगहा
    पराइवे्ट दफतर हो लिया
    इब तै शडयूल का तो
    नास तै बती उजाड हो लिया
    इब वो जिसे नही आ पाते
    काश म्हारे बचपन के दिन लोट आते
    --------बेरा कोणी ।
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  11. #128
    वो भी के टैम था जब एक रपये की बीस टाफी लाया करते
    करके सारे याराँ की कट्टा ऐकले ऐकले खाया करदे

    उन टोफियाँ म्य हमने सारा संसार नजर आया करदा
    वा भी खूब ख़ुशी थी जिसका ठिकाना ना पाया करदा
    रुस्सा करदे तो इसी डाल रस्से जनु खिला फूल मुरझाया करदा
    जिसा ले रे थे कति माँ बाप न्य भी अपने इशारा पै नचाया करदे

    वो भी के टैम था जब एक रपये की बीस टाफी लाया करते
    करके सारे याराँ की कट्टा ऐकले ऐकले खाया करदे

    ना अपना का बेरा था ना गैरां की पछान थी
    वा जिन्दगी की कसुती बड़ी उडान थी
    याराँ की गैला हाँसते खेलते की माहरी के शान थी
    माट्टी का बेरा था ना गार का इसी पागल सी वा जान थी
    कदे किसे के डला मारके भाजे पाछे हम ना किसे कै थाया करदे

    वो भी के टैम था जब एक रपये की बीस टाफी लाया करते
    करके सारे याराँ की कट्टा ऐकले ऐकले खाया करदे

    ----------भुप्पी घनघस ।
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  12. #129
    जड़े बचपन म्य धमाल मचाया करदे
    जिस माट्टी म्य मोज उड़ाया करदे
    जड़े माँ की डाण्ट खाई रोज स्याम म्य
    चालो रैय चालांगे आज अपने उस्से गाम म्य

    जड़े जाके हमने नींद सकुन की आ जागी
    एक बै फेर बचपन आली माँ की गोद थ्या जागी
    जड़े एक बै फेर यारा गैला किलकी मारके हांसांगे
    एक बै फेर भाभी गैला मस्करी की हदां न्य जांचांगे

    पर इबे एक डर कसुता लागन लाग्या
    जो भीतर सुता पड़ा था वो ज्वालामुखी जागन लाग्या

    के आन्दी हान आँसू आ जाँगे भुप्पी तेरी आँख म्य
    चालो रैय चालांगे आज अपने उस्से गाम म्य
    ----------भुप्पी घनघस ।
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  13. #130
    भोले भण्डारी इब कुछ ते करदे तू जुगाड़
    म्हारा
    टुट्या पङ्या स चढा दे चौबारे
    का किवाड़ म्हारा
    के म्हारे नाम की दुनिया मैं कोई
    गौरी ,काली ना
    कई दिनाँ तै चक्कर काटुँ देवै तू
    बाबा गोली ना
    अपना कर लिया तन्ने यो सुना पड़या सै
    पहाड़ म्हारा
    कोई तो म्हारे नाम की मांग
    तो काढ़ती होगी कडे
    कोए ते होगी म्हारे नाम के मुंह ते
    जिसके मोती झड़े
    कुछ तो करले ख्याल भोले क्यू
    दिया कालजा साड़ म्हारा
    25 साल का होगया इब तक
    ना आया सगाई आला
    नोटा आली मेरे गले मे बाबा .मेरे
    घलवा देने नै तू माला
    कुछ ते सुन ले मेरी बाबा इब दे नै
    पीपल पाड़ म्हारा

    --------बेरा कोणी ।
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    अहिंसा कमजोरों का हथियार हे |
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  14. #131
    रामफल और गुलाबो का वार्तालाप हरियाणवी में :
    (रामफल ने गुलाबो को Propose किया था पहले)
    गुलाबो का क्या जवाब था सुनिए :
    मैं हुशन टॉप का ले रही सूं, तूं मेरे काबिल कोन्या,
    या कंचन काया सोने बरगी, तेरे खातिर कोन्या,
    तूं अनपढ़ हाली, भैंस का पाली, तन्नै फैशन का के बेरा,
    मैं मोडर्न छोरी, लचकै पोरी, मैं एटम बम का गोला,
    तेरे बरगे आशिक घणे फिरैं, मेरा सारे गाम मैं रोला
    तूं नहीं माणस मेरी जोड़ी का मैं ढूँढू माणस क्लास्सी,
    तन्नै खाँण पीण का सूहर नहीं, तूं पीवै दूध आर लास्सीI
    बीयर , वाइन, आर कम्पारी का तनै बिलकुल ज्ञान नहीं सैI
    डिस्को कल्चर, कैसिनो मैं तेरा बिलकुल ध्यान नहीं सैI
    तूं पाक्का माणस, गेहूं का छानस, तेरे हुए बाल भी धोले,
    मैं काच्चा छोरा टोहूँगी, जो एक डाट पै आगे-आगे होलेI

    रामफल क्या कहता है, सुनिए :
    क्यों भरी घमंड मै फिरै गुलाबो, यो कुछ भी कोन्या तेरा,
    तेरी कंचन काया माटी हो ज्या, जब आवै काल का घेराI
    आवै सुनामी पाणी भर ज्या, खेल बिगड़ ज्या सारा,
    जब आवै भूचाल तो धरती हालै, तन्नै चाहिए कोए सहारा
    कोठी बंगले खंडहर बण ज्यां, ढह ज्यां महल अटारी,
    दौलत के अम्बार रहवैं ना सब की होज्या ढेरीI
    न्यूक्लिअर का प्रदूष्ण फ़ैल ज्या, मुश्किल हो ज्या जीणा
    तरह तरह के रोग फ़ैल ज्या, प्रदूषित पाणी पड़ ज्या पीणा
    जै तूं जल्दी सी हाँ कर दे तो, मै तेरे बाबू तैं बतलाऊ,
    खाप पंचायत तैं करूँ मशविरा, आग्गे बात बढ़ाऊंI
    देशी बाणा हुया पुराणा, पैरिस तैं अरमानी शूट मंगा ल्यूँगा,
    ओपियम का परफ्यूम लगा के सर के बाल रंगा ल्यूँगा।।

    ----------भुप्पी घनघस ।
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    हक़ मांगने से नहीं मिलता , छिना जाता हे |
    अहिंसा कमजोरों का हथियार हे |
    पगड़ी संभाल जट्टा |
    मौत नु आंगालियाँ पे नचांदे , ते आपां जाट कुहांदे |

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    prashantacmet (August 26th, 2013)

  16. #132
    मोटी मोटी आँख कटीली तयोर चटाके
    का, टापू के मैं एकला बाबा जी साके
    का
    परियां केसा रूप
    उसका पटरहया चाला, गल मैं नाद
    जनेऊ हाथ रुद्राक्ष की माला
    घर बार छूट रहया किस ढाला इस उत
    पाके का
    रूप हुस्न मैं चाला कट रहया ब्योंत
    खोटा सै, ना नज़र मिला कै बात करै
    यो दुःख मोटा सै
    गोल गोल मुहं छोटा सै किसा ब्योंत
    पटाके का,
    एक बात तन्नै कहरे सै अमृत कर घूँट
    ले, आड़े ना टापू मैं ठीक चाल
    म्हारी गेल्याँ उठ ले
    कोए चोर उचक्का लूट ले भय
    भारी डाके का..
    लख्मीचंद जीत कै चालै धरम रूप
    का जंग, इस बाबा जी नैं डोब
    गया किसे बाबा का सत्संग
    इस बाबा जी का रंग ढंग किसे छैल
    बांके का ......
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  17. #133
    ऊँचे सुर मैं गाँवण लागी नाच कै ताल
    बजादी,
    छननन छननन न्यूं होण लगी जणुं आग फूंस
    मैं लादी
    विश्वामित्र धोरै आकै नाच दिखावण
    लागी,
    कभी इधर कभी उधर न्यूं
    फिरती भागी-भागी
    तीन देवता रक्षा करते बदन मैं
    त्रिशना जागी,
    धूम धाम से चटक मटक कै मुनि के
    स्याहमी आगी
    सन्नाटा सा गया गात मैं
    इसी भैरवी गादी,
    मुरगाई की ढाल तिरै इसी छम-छम
    करती चाली
    दो नैना के तीर मार कै कतल कारन
    की सालै,
    मारै एड द्ल्कती धरती इसे दम दम
    पां डालै
    कामदेव नै जोर करया ऋषि बैठा-
    बैठा हालै,
    तिर्या रूप दिखा कै नै झाल गात मैं
    ठादी
    तिर्या रूप
    इसा फैला दिया तिरछा घूंगट करकै,
    नाचै गावै मटकी खूब प्रेम मैं भरकै
    विश्वामित्र कामदेव के मोह मैं
    बैठ्या घिरकै,
    जाण पटी जब आँख
    खुली इसी लागी चोट जिगर कै
    कामदेव नै जोर करया जब उठया खोल
    समाधी,
    लख्मीचंद कहै हुआ बावला जागी झाल
    बदन मैं
    अपने बस की बात रही न जोश फ़ैल
    गया तन मैं,
    सोचण लग्या या हूर कोण इसे घोर अँधेरे
    बण मैं
    चन्द्रमा सा रूप इसा रही चमक
    बिजली घन मैं,
    राम नाम गया भूल हाथ तै माला दूर
    ब्गादी
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  18. #134
    दादी का बोरला
    दादा का खंडका
    जुती की चरमराट
    बेरा ना कड़े चले गए ?

    ताऊ का सोंटा
    घास का भरोटा
    गाम का झोटा
    बेरा ना कड़े चले गए ?

    रासन का कोटा
    पंडित का चोटा
    पहलवान का लंगोटा
    बेरा ना कड़े चले गए ?

    गामा मै तै चील
    चपल की कील
    टैप रिकार्ड की रील
    बेरा ना कड़े चले गए ?
    ----------भुप्पी घनघस ।

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  19. #135
    माहरी बोली माहरी पछान सै
    माहरी बोली माहरी शान सै

    थारे समझ म्य ना आन्दी
    जो माहरी बोली म्य ज्ञान सै

    ऊँ खामखाँ कडवी बताओ सो
    ना तै माहरी बोली बरगा कित मान सै

    माहरे ताई कुछ कहले
    बोली ताई ना कहिये पुष्कर
    दुनिया ताई हरियाणे का योय पैगाम सै
    ----- pushkar sharma
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    sivach (September 1st, 2013)

  21. #136
    आ रै ओ भ्रष्टाचारी के बिमारो
    माहरे देश के गुनहगारो
    थारी तै उतर ली कती
    पर अपनी गैला माहरी न तारो

    कद तै पागलां न्य पाठ पढाओगे
    माहरे और कितने भाइयां न्य खाओगे
    एक बै दे दो मोका देख के के कर दांगे
    पकिस्तान न्य तो मूत क्य भरदांगे

    आ रय ओ बेशरमों
    कदे तो सोच विचारो
    माहरे शहीदां के कफना
    क्य लात तो ना मारो

    ----pushkar sharma
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  22. The Following User Says Thank You to ravinderjeet For This Useful Post:

    sivach (September 1st, 2013)

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