हिंदू न होने से तो बहुत काम अटकता है, भाई। भारत में जो हिंदू नहीं हैं, उनका हाल देख लो क्या है। जो जाट हिंदू नहीं रहे, उनका हाल देख लो क्या है। पाकिस्तान में लोग किस हाल में जी रहे हैं, देख लो। भारत में तो मुस्लिमों की हालत दलितों से भी बदतर है। तुम्हारी मानसिकता के लोग सभी वर्गों के जाटों के प्रति इतनी हमदर्दी रखते हैं तो फिर गिनवाओ न मुझे तुम्हारी कितनी रिश्तेदारियां मुस्लिम या गैर हिंदू जट्टों में हैं?
पहले तो तुम एक बात अपने दिमाग में बिठा लो कि हिंदू होने का मतलब ब्राह्मणवाद में विश्वास करना हरगिज नहीं है। छुआछूत, सती प्रथा, भेदभाव, पाखंडवाद, पित्रदान, ब्राह्मणों को दान जैसी बातों का विरोध करके भी कोई एक अच्छा हिंदू बना रह सकता है. इसमें कोई संदेह नहीं कि ब्राह्मणों ने हिंदू धर्म को जीवित रखने में योगदान दिया है तो इसे नुकसान उससे भी कहीं ज्यादा पहुंचाया है। अपने काल्पनिक ब्रह्मा को जबर्दस्ती शिव और राम जैसे महापुरुषों के साथ खड़ा कर दिया, लेकिन एक बात नोट करो कि हिंदुओं ने उस चीज को स्वीकार नहीं किया। ब्रह्मा को भगवान नहीं माना। हिंदू धर्म की नींव इतनी कमजोर नहीं है कि चंद कुटिल ब्राह्मण उसे भरभराकर गिरने पर विवश कर दें। ब्राह्मण हिंदू धर्म का हिस्सा हैं, लेकिन इसके स्वामी नहीं हैं। ब्राह्मण अधिकांशतः कभी शासक भी नहीं रहे।
ऐसी विभिन्नताएं तो तुम्हें दुनिया के हर धर्म में मिलेंगी। जाट तो कोई धर्म भी नहीं है, इसके बावजूद जाटों में ही ऐसी विभिन्नताएं मिल जाएंगी। हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के जाटों का मुख्य भोजन मांस नहीं है, लेकिन पाकिस्तानी जाटों का तो है। मैं नहीं मानता कि वे गौत्र व्यवस्था में भी हमारे जितना ही यकीन रखते हैं। ऐसे में तो फिर तुम्हें जाटों को भी कोसना शुरू कर देना चाहिए।
भाई तुम्हारा कहना है कि पंजाब और सिंध के जाटों को शूद्र कहा गया तो बाकी जाट भी खुद को शूद्र मानें और महान हिंदू धर्म को कोसना शुरू कर दें (जबकि उन्हें शूद्र एक मुस्लिम आक्रमणकारी ने कहा था, जो कि यहां साबित भी हो चुका है)। मेरी सोच यह है कि हम गैर सिंधी और गैर पंजाबी हिंदू जाट बहुत बड़े और इज्जतदार चौधरी हैं। तो वे शूद्र जाट भी खुद को बड़ा चौधरी मानते हुए हिंदू धर्म की प्रशंसा करना शुरू क्यों न कर दें? तुम इज्जतदार चौधरियों को शूद्रों में मिलने की बात कह रहे हो, जबकि मैं शूद्रों को इज्जतदार चौधरियों में मिलने पर बहस कर रहा हूं।
cooljat (July 30th, 2013)
भाईसाहब, बहस इस बात पर है कि किसी का नाम मेहर 'खान' है तो वो मुसलमान है और अगर वो मुस्लिम धर्म को ही नकारता है तो वो गद्दार है। ऐसे ही मेहर 'सिंह' को हिंदू धर्म को नहीं कोसना चाहिए। यदि मेहर अपने नाम के आगे कुछ भी नहीं लगाएगा तो फिर लोग उससे पूछेंगे कि मेहर क्या? फिर उससे उसका धर्म पूछा जाएगा। यदि वो धर्म नहीं बताएगा तो स्कूल में उसके बच्चों को परेशान किया जाएगा। उसके बच्चों के शादी-ब्याह होने मुश्किल हो जाएंगे। एक बार बिना धर्म के कोई जीकर तो देखे। उसे पता लग जाएगा कि धर्म होता क्या है। आपका नाम 'रविंदर जीत सिंह' मुस्लिमों में नहीं होता।
cooljat (July 30th, 2013)
anilphogat (July 30th, 2013), anilsangwan (July 30th, 2013), rekhasmriti (July 30th, 2013), sivach (August 1st, 2013), vijaykajla1 (July 30th, 2013), VPannu (July 30th, 2013)
1. What is wrong in being Shudra? Don't they belong to the great hindu religion?
2. Is there any community left in India that you have not talked about negatively? Forget other religions, within Hindus, you have shown everyone else in bad light or as enemies of Jats in your posts over the years – Bhappe, Rajput, Yadav, SCs, South Indian Hindus, Pande, etc etc. So the question arises – who are the Jats doing gaddari against?
sivach (August 1st, 2013)
राजपाल दुलार साहब की शोध के अनुसार तो तो गाँधी जी भी जाट थे और कुमारमंगलम बिरला भी जाट है i
राजपाल जी के इस सिद्दांत के अनुसार या तो सारे जाट बनिये हैं या सारे बनिये जाट हैं I अगर दोनों एक ही बाप की संतान हैं तो फिर इनकी प्रारंभिक जाति क्या थी यानि बाप की जाति क्या थी I हमारे इतिहासकार राजपाल जी की thesis पर टिप्पणी कर सकते हैं I
Last edited by singhvp; July 30th, 2013 at 04:29 AM.
anilphogat (July 30th, 2013), desijat (July 31st, 2013), kapdal (August 1st, 2013), ravinderjeet (July 31st, 2013)