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Thread: A Fistful Gaddar Jats

  1. #301
    Quote Originally Posted by amitd View Post
    Original poster - "doing something which can bring a bad name to the community"
    How interesting how amusing.....
    So I did a search on this web site and....
    Brother some of these same jats are doing or have done bad to their brothers, husbands, sisters, wives etc etc. and they have been on this web site giving guidance to young jats and some of you have taken photos alongside with them and some of you have made threads praising them...they are amongst us and since you have no information about them you do not know their kartoots how sad some of you praise them wolves...

    Gaddari ki ek aur kahani..kaun hai wo gaddar jaat..naam khollo unke
    Become more and more innocent, less knowledgeable and more childlike. Take life as fun - because that's precisely what it is!

  2. #302
    Quote Originally Posted by RavinderSura View Post
    काम तो आपका हिन्दू ना होंगे तो भी नहीं अटकता | बात होती हैं मान सम्मान की , समानता की |
    हिंदू न होने से तो बहुत काम अटकता है, भाई। भारत में जो हिंदू नहीं हैं, उनका हाल देख लो क्या है। जो जाट हिंदू नहीं रहे, उनका हाल देख लो क्या है। पाकिस्तान में लोग किस हाल में जी रहे हैं, देख लो। भारत में तो मुस्लिमों की हालत दलितों से भी बदतर है। तुम्हारी मानसिकता के लोग सभी वर्गों के जाटों के प्रति इतनी हमदर्दी रखते हैं तो फिर गिनवाओ न मुझे तुम्हारी कितनी रिश्तेदारियां मुस्लिम या गैर हिंदू जट्टों में हैं?

    Quote Originally Posted by RavinderSura View Post
    उपेंद्र भाई कहीं तो अपनी बात पर टिक अब जब बात खुद का वर्ण बताने कि आई तो आज़ादी को उठा लाये , अगर ऐसी ही आज़ादी थी तो फिर यह व्यवस्था का ढोंग क्यो था ? और इस धर्म से यह कुरीतिया दम क्यों तोड़ गईं ? जबकि इन कुरीतियों को जायज ठहराने के लिए शास्त्रों का हवाला दिया जाता था | इस हिसाब से तो फिर सभी शास्त्र झूठे हुए अगर नहीं तो फिर इनको कुरीति बता कर खत्म क्यों किया गया ?


    पहले तो तुम एक बात अपने दिमाग में बिठा लो कि हिंदू होने का मतलब ब्राह्मणवाद में विश्वास करना हरगिज नहीं है। छुआछूत, सती प्रथा, भेदभाव, पाखंडवाद, पित्रदान, ब्राह्मणों को दान जैसी बातों का विरोध करके भी कोई एक अच्छा हिंदू बना रह सकता है. इसमें कोई संदेह नहीं कि ब्राह्मणों ने हिंदू धर्म को जीवित रखने में योगदान दिया है तो इसे नुकसान उससे भी कहीं ज्यादा पहुंचाया है। अपने काल्पनिक ब्रह्मा को जबर्दस्ती शिव और राम जैसे महापुरुषों के साथ खड़ा कर दिया, लेकिन एक बात नोट करो कि हिंदुओं ने उस चीज को स्वीकार नहीं किया। ब्रह्मा को भगवान नहीं माना। हिंदू धर्म की नींव इतनी कमजोर नहीं है कि चंद कुटिल ब्राह्मण उसे भरभराकर गिरने पर विवश कर दें। ब्राह्मण हिंदू धर्म का हिस्सा हैं, लेकिन इसके स्वामी नहीं हैं। ब्राह्मण अधिकांशतः कभी शासक भी नहीं रहे

    Quote Originally Posted by RavinderSura View Post
    उत्तर भारत और दक्षिण भारत के इस धर्म को मानने वाले लोगो मे कहीं भी कोई समानता नहीं हैं , दक्षिण मे हिन्दू अपनी मामा बुआ कि लड़की से शादी को जायज मानते हैं जबकि उत्तर भारत मे इनको बहन भाई का पवित्र दर्जा दिया जाता हैं | दक्षिण मे ज़्यादातर हिन्दू मांसाहारी हैं यहा तक कि कुछ इलाको मे गाय का मांस तक खाया जाता हैं जबकि उत्तर भारत मे ज्यादातर लोग शाकाहारी हैं और गाय का मांस खाना तो दूर यहा गाय लोगो के लिए पूजनीय हैं | तभी मैंने कहा था कि यह एक जुगाड़ हैं |


    ऐसी विभिन्नताएं तो तुम्हें दुनिया के हर धर्म में मिलेंगी। जाट तो कोई धर्म भी नहीं है, इसके बावजूद जाटों में ही ऐसी विभिन्नताएं मिल जाएंगी। हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के जाटों का मुख्य भोजन मांस नहीं है, लेकिन पाकिस्तानी जाटों का तो है। मैं नहीं मानता कि वे गौत्र व्यवस्था में भी हमारे जितना ही यकीन रखते हैं। ऐसे में तो फिर तुम्हें जाटों को भी कोसना शुरू कर देना चाहिए।

    Quote Originally Posted by RavinderSura View Post
    इतिहास का पूरा ज्ञान ले पहले और चल तेरी बात बढ़ी की कि एक मुसलमान ने जाटों को शूद्र कहा , तेरे हिसाब से तो हिन्दू हमारे अपने हैं वो मुसलमान तो गैर था फिर तेरे इन हिन्दू भाइयों ने जाटों को कोर्ट मे शूद्र घोषित क्यू करवाया ? गैर तो अपनी करेगा तेरे इन अपनो को जाटों से क्या परेशानी हो गई थी ?


    भाई तुम्हारा कहना है कि पंजाब और सिंध के जाटों को शूद्र कहा गया तो बाकी जाट भी खुद को शूद्र मानें और महान हिंदू धर्म को कोसना शुरू कर दें (जबकि उन्हें शूद्र एक मुस्लिम आक्रमणकारी ने कहा था, जो कि यहां साबित भी हो चुका है)। मेरी सोच यह है कि हम गैर सिंधी और गैर पंजाबी हिंदू जाट बहुत बड़े और इज्जतदार चौधरी हैं। तो वे शूद्र जाट भी खुद को बड़ा चौधरी मानते हुए हिंदू धर्म की प्रशंसा करना शुरू क्यों न कर दें? तुम इज्जतदार चौधरियों को शूद्रों में मिलने की बात कह रहे हो, जबकि मैं शूद्रों को इज्जतदार चौधरियों में मिलने पर बहस कर रहा हूं।

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    cooljat (July 30th, 2013)

  4. #303
    Quote Originally Posted by ravinderjeet View Post
    उपेंदर तू नाम-नाम का रोला मचा रया था तन्ने दो-तीन उदाहरण दयूंगा :- तेरे फेर भी बात ना समझ में आई ते फेर भाम्ण तेरा रुखाला ।
    १) एक नाम स "मिहिर" जो हिन्दू रखते हैं ,इसका बिगड़ा हुआ शब्द स मेहर ,जो जाट और मुसलमान रखते हैं(मेहर सिंह ,मेहर खान ) आर इन् दोनुआ का मतलब स "सूर्य "। इरान का राजा शाह पहलवी अपने आप की आर्य मिहिर के नाम से लिखता था ,पर था वो शिया मुसलमान ।

    २) दुसरा नाम स"महताब " यु शब्द संस्कृत के महातप्त =महाताप =महाताब का अप्भारंश स । यु नाम भी मुसलमान आर जट्टों में परयोग होता हे पर हिन्दुओं में नहीं । महताब सिंह महताब खान ।
    ३) मुसलामानों का एक पैगम्बर हुआ हे "मोहमद " यु संस्कृत के महामत =महामति यानी महा बुद्धि वाला का अपभ्रंश स । अरब में अब भी मोहमद नहीं बोला जाँदा ,उनका उच्चारण "महमत" स। दक्षिन एशिया यानी भारत खंड के मुसलमान ही मोहमद बोलें सें ।

    ४) पैगम्बर भी संस्कृत का शब्द से इह का मतलब इश्वर का दूत ते । ऊँ ते न्यू कह देवें सें अक जो पैगाम ले के आया वो पैगम्बर होया । पर इह का शाब्दिक मतलब से जिसके पग अम्बर से आये । पग मतलब पाँव ,अम्बर मतलब आसमान ,अन्त्रिक्स । यानी जो आसामन से या अन्त्रिक्स से चल कर आया हो ।
    इससे इससे- अपवाद ना सें कड़े तू फेर न्यू कहवे अक ये ते एक आध होंगे । पुरे यूरोप, मध्य एशिया और भारतीय उपखंड की भाषाएँ ,बोलियाँ सब बहने हैं ,इनको भाषाविद "इंडो-युरोपियन लेंग्वेज फेमिली "कह्या करें । ये किहे पण्डे ,भमण आर हिन्दू की बपोती नहीं हैं ,तुमाहरी संस्कृत भी भारतीय भाषा नहीं हे ,ये भी मध्य एसिया से ही आरम्भ हुई थी जिसको जाट जेसी कोमें यहाँ तक लाइ हैं । इसलिए मेरा नाम किहे हिन्दू से या हिन्दू धरम से उधार नहीं लिया हे ये तुम्हारा हिन्दू पाखंडी धर्म हे जो जट्टों का भोत कुछ उधार लिया हुआ हे ।
    भाईसाहब, बहस इस बात पर है कि किसी का नाम मेहर 'खान' है तो वो मुसलमान है और अगर वो मुस्लिम धर्म को ही नकारता है तो वो गद्दार है। ऐसे ही मेहर 'सिंह' को हिंदू धर्म को नहीं कोसना चाहिए। यदि मेहर अपने नाम के आगे कुछ भी नहीं लगाएगा तो फिर लोग उससे पूछेंगे कि मेहर क्या? फिर उससे उसका धर्म पूछा जाएगा। यदि वो धर्म नहीं बताएगा तो स्कूल में उसके बच्चों को परेशान किया जाएगा। उसके बच्चों के शादी-ब्याह होने मुश्किल हो जाएंगे। एक बार बिना धर्म के कोई जीकर तो देखे। उसे पता लग जाएगा कि धर्म होता क्या है। आपका नाम 'रविंदर जीत सिंह' मुस्लिमों में नहीं होता।

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    cooljat (July 30th, 2013)

  6. #304
    Quote Originally Posted by rajpaldular View Post
    मेरे प्रिय जाट भाइयों एवं बहनों !

    जाट का वर्ण "वैश्य" है।


    मैंने तो कभी भी किसी से नहीं सुना कि जाट "शूद्र" वर्ण के होते हैं।


    जब वर्ण व्यवस्था आरम्भ हुई थी, तब की बात है।


    एक व्यक्ति के दो बेटे हुए।


    जब दोनों बेटे यौवनावस्था में पहुँचे तो बड़े बेटे ने खेती करना आरम्भ कर दिया तथा छोटे बेटे ने व्यापार।


    इस प्रकार बनिए एवं जाट एक ही पिता की संतान हैं।

    ओ तेरी, तो फेर अम्बानी से तो अपना भाईचारा हुआ?

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    anilphogat (July 30th, 2013), anilsangwan (July 30th, 2013), rekhasmriti (July 30th, 2013), sivach (August 1st, 2013), vijaykajla1 (July 30th, 2013), VPannu (July 30th, 2013)

  8. #305
    Quote Originally Posted by upendersingh View Post
    If some of the Jatland members' mindset is a indication, then it seems some Jats (though they are fistful) are dying to be traitor and doing something which can bring a bad name to the community. Jats (specially Hindu Jats) are supposed to be pride of India and they are not supposed to be traitor like Yadavs (pro Muslims) and Rajputs (Jaichands). It is very sad that some so called Jats' messiahs are trying to play fool with the Jats misguiding them. Some try to misguide the Jats saying in some book Jats are mentioned as 'Shudras', while it is quite false. No one talks about that Jats are mentioned as 'Jat ji' or 'Jat devta' in same book. Some say Jats don't have any religion. To have a religion just means that we have a association which will help us in bad time. A religion unites.
    If Jats don't have any religion, then why do they use other religion's customs, names, festivities and many more things? Do such fistful gaddars want to say Jats are thankless people? They will avail the various qualities of a particular religion, but they don't accept they belong to that religion.
    We the real Jats need to understand the ill intentions and rotten mind of such people. Others views are welcome.
    1. What is wrong in being Shudra? Don't they belong to the great hindu religion?

    2. Is there any community left in India that you have not talked about negatively? Forget other religions, within Hindus, you have shown everyone else in bad light or as enemies of Jats in your posts over the years – Bhappe, Rajput, Yadav, SCs, South Indian Hindus, Pande, etc etc. So the question arises – who are the Jats doing gaddari against?


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    sivach (August 1st, 2013)

  10. #306
    Quote Originally Posted by kapdal View Post

    ओ तेरी, तो फेर अम्बानी से तो अपना भाईचारा हुआ?
    राजपाल दुलार साहब की शोध के अनुसार तो तो गाँधी जी भी जाट थे और कुमारमंगलम बिरला भी जाट है i
    राजपाल जी के इस सिद्दांत के अनुसार या तो सारे जाट बनिये हैं या सारे बनिये जाट हैं I अगर दोनों एक ही बाप की संतान हैं तो फिर इनकी प्रारंभिक जाति क्या थी यानि बाप की जाति क्या थी I हमारे इतिहासकार राजपाल जी की thesis पर टिप्पणी कर सकते हैं I
    Last edited by singhvp; July 30th, 2013 at 04:29 AM.

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    anilphogat (July 30th, 2013), desijat (July 31st, 2013), kapdal (August 1st, 2013), ravinderjeet (July 31st, 2013)

  12. #307
    Quote Originally Posted by upendersingh View Post
    भाईसाहब, बहस इस बात पर है कि किसी का नाम मेहर 'खान' है तो वो मुसलमान है और अगर वो मुस्लिम धर्म को ही नकारता है तो वो गद्दार है। ऐसे ही मेहर 'सिंह' को हिंदू धर्म को नहीं कोसना चाहिए। यदि मेहर अपने नाम के आगे कुछ भी नहीं लगाएगा तो फिर लोग उससे पूछेंगे कि मेहर क्या? फिर उससे उसका धर्म पूछा जाएगा। यदि वो धर्म नहीं बताएगा तो स्कूल में उसके बच्चों को परेशान किया जाएगा। उसके बच्चों के शादी-ब्याह होने मुश्किल हो जाएंगे। एक बार बिना धर्म के कोई जीकर तो देखे। उसे पता लग जाएगा कि धर्म होता क्या है। आपका नाम 'रविंदर जीत सिंह' मुस्लिमों में नहीं होता।
    Brother, RELIGION IS A SOCIAL PHINOMINA AND IT IS MUST TO LIVE COMFORTABLY IN A PERTICULAR SOCIETY
    Last edited by RSKharb; July 30th, 2013 at 12:12 PM.

  13. #308
    Quote Originally Posted by rajpaldular View Post
    मेरे प्रिय जाट भाइयों एवं बहनों !

    जाट का वर्ण "वैश्य" है।


    मैंने तो कभी भी किसी से नहीं सुना कि जाट "शूद्र" वर्ण के होते हैं।


    जब वर्ण व्यवस्था आरम्भ हुई थी, तब की बात है।


    एक व्यक्ति के दो बेटे हुए।


    जब दोनों बेटे यौवनावस्था में पहुँचे तो बड़े बेटे ने खेती करना आरम्भ कर दिया तथा छोटे बेटे ने व्यापार।


    इस प्रकार बनिए एवं जाट एक ही पिता की संतान हैं।
    Brother, who are chhariyas,

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