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Thread: A Fistful Gaddar Jats

  1. #21
    Quote Originally Posted by Samarkadian View Post
    तुमने कोनसा हिंदू धर्म या हिंदू जाटो की शान में चार चाँद लगा दिए जो यहाँ महात्मा बन कर मुझे या किसी और गद्दार बता रहे ?
    भाई, अपनी पोस्ट में फूल कुमार नै तप और संयम की बात कही थी। मैंने पूछ लिया कि क्या आपने ऐसा कुछ किया है? अब मैंने ये थ्रेड शुरू किया तो उस तर्ज पर आपको मेरे से ये पूछना चाहिए था कि तुम दूसरों पर उंगली उठा रहे हो, क्या तुम खुद को हिंदू जाट मानते हो? मेरा जवाब है 'हां' तो मैं इस थ्रेड को शुरू करने का हकदार बस इसी बात से बन गया।
    खैर, जब आपने ये बात छेड़ ही दी तो सुनो : मैं जहां भी होता हूं, वहां मेरा प्रयास रहता है कि जाटों की शान बढ़े, चाहे वो मेरा पड़ोस हो, चाहे गांव हो और चाहे ऑफिस। मैं इसमें कामयाब भी रहा हूं। आज तक कोई भी ये नहीं कह सकता कि मैंने किसी का 1 रुपया भी मारा है। मेरा जो रोजगार है, उसमें मैं इतना बढ़िया काम करके देता हूं कि जिसके संपर्क में आ जाता हूं, वो फिर मुझे अपने साथ जोड़े रखने का प्रयास करता है, चाहे उसके लिए उसे मेरे पैरों में ही क्यों न गिरना पड़े। अपने चरित्र पर और अपनी ईमानदारी पर मुझे नाज है। मैंने कभी अपनी बेइज्जती नहीं होने दी। किसी ने ऐसा करने का प्रयास किया तो मैंने फिर उसकी दुगनी बेइज्जती कर दी। जहां मैं रहता हूं, वहां कोई कहता है कि हमने उपेन्द्र जैसा आदमी ही नहीं देखा। मैं ऑफिस में होता हूं तो वहां कहीं से मेरे कानों में सुनाई पड़ता है कि उपेन्द्र तो अपनी लाइन का मास्टर ब्लास्टर है, क्योंकि उन्होंने कोई मेरे जैसा बढ़िया और मेरे जितने काम करने वाला ही नहीं देखा। फिर कहीं से मुझे ये सुनने को मिलता है कि हमने उपेन्द्र जैसा चरित्रवान आदमी ही नहीं देखा। दुष्ट और पापी लोग तो मेरे से घबराने ही लग गए कि ये आदमी आने वाले समय में कहीं कुछ बड़ा बवाल न निकले।
    15 साल पहले जिस उपेन्द्र ने 2000 रुपए महीने की मामूली ड्राइवर की नौकरी पर टेंपो तक चलाया हुआ है, वो आज देश की नंबर 1 खेल पत्रिका का संपादक है (हालांकि मैं इससे संतुष्ट नहीं हूं और मेरा लक्ष्य कुछ और है)। अभी मेरी तपस्या जारी है, जैसे ही वो सिद्ध हो जाएगी तो बड़े स्तर पर भी हिंदुओं/जाटों का नाम रोशन कर दूंगा। अगर सिद्ध नहीं हुई तो कम से कम मैंने प्रयास तो किया। अब इससे ज्यादा और क्या शान बढ़ाऊं मैं हिंदुओं/जाटों की?

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    cutejaatsandeep (June 15th, 2013), rajpaldular (June 17th, 2013), ravinderjeet (June 16th, 2013), rohittewatia (June 16th, 2013)

  3. #22
    Quote Originally Posted by cooljat View Post
    I wonder why few one here deny the fact we are 'Hindu' Jats. I admit Jats always been Pragmatic, Hardworking, Rebellious clan but still we are Hindus .. not religious though.

    Very few Jats do daily 'Puja' or sculpture worship but still we are worshiper of 'Hanuman' and 'Lord Shiva' which are symbol of strength and rebelism, ain't we?

    We generally follow Hinduism customs from birth to death, we celebrate Hinduism festivals like Diwali, Holi, Sankranti etc then why don't we admit we are Hindus. Don't we use 'Ram-Ram' to greet each other? Isn't Ram a Hindu God?

    I believe Hinduism is more tolerant n' liberal religion. It's not at all strict like Islam and Sikhism. You publicly condem or discard hindu rituals and nobody will care whereas if you do the same with Islam, you know the result.

    I state I'm Hindu Jat, not ritual but spiritual. I seldom visit to Mandirs, perhaps not more than Dargah, Church or Gurudwara. I don't remember when I last lit 'Agarbati' in front of god or did some 'Puja'. But still I admire Hinduism and find it more spiritual n' peaceful.

    You agree to disagree but fact is fact!

    Cheers
    Jit

    These are some just and right lines. Brother, I am also spiritual and not ritual Hindu.

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    cooljat (June 16th, 2013), rajpaldular (June 17th, 2013)

  5. #23
    Quote Originally Posted by RavinderSura View Post
    हिन्दू कहते हैं की पहले हमारा धर्म सनातन धर्म था , जब सनातन धर्म था तो फिर इस नए हिन्दू नामकरण की क्या जरूरत पड़ गई थी ?
    कुछ का मानना हैं की मुसलमान लोग 'स' को 'ह' बोलते हैं इसलिए सिंधु के आस पास रहने वालों को लोग हिन्दू बोलते थे , इस कारण हिन्दू नाम पड़ा | माना की सिंधु इलाके वालों को हिन्दू नाम मिला फिर यह सारा देश हिन्दू कैसे कहलाने लगा ?
    शिव , राम , हनुमान ने कब कहा की वो लोग हिन्दू हैं ? अपने आप को हिन्दू कहने वाले लोगो ने इन्हे कब और कैसे गोद लिया ?

    लोग तर्क देते हैं की दूसरे धर्मो के मुक़ाबले हिन्दू धर्म लचीला हैं , बिलकुल हैं क्योंकि असल मे यह धर्म एक जुगाड़ हैं , 33 करोड़ तरह तरह की शक्ल वाले देवी देवता गोद ले रखे हैं लोगो को डराने के लिए , इस धर्म की मान्यताओ रीति रिवाजो मे पूरे देश मे तो क्या एक गाँव से दूसरे गाँव मे भी समानता नहीं हैं | जुगाड़ ज्यादा दिन नहीं चलता और यही कारण हैं की यह सदियों से पतन की ओर हैं |

    बड़ा ताज्जुब होता हैं उपेंद्र जैसे भाइयों को इस धर्म के खात्मे को लेकर चिंतित होते देख | धर्म को लोग भगवान से जोड़ कर देखते हैं , कमाल हैं 33 करोड़ देवी देवता होने के बावजूद भी आज लोग इसे बचाने मे लगे हैं लगता हैं 33 करोड़ देवी देवताओ के चमत्कार की करामात खत्म हो गई हैं इसलिए अब आम इंसान को उनके लिए लड़ना पड़ रहा हैं | और इन देवी देवताओ की दरबारी सरदारी के लिए यह लड़ाई आज कोई नई नहीं हैं सदियों से चली आ रही हैं बेचारा इंसान इन देवी देवताओ की इज्जत बचाने के लिए क्या क्या नहीं कर रहा , लोग इनकी जी हजूरी जारी रखे इसके लिए बेचारों ने इस धर्म के नाम तक़ बदल डाले पर ये देवी देवता आज तक खुद कभी आगे नहीं आए अपनी सरकार और दरबार बचाने , कोई स्वर्ग मे अप्सरा नचा रहा हैं तो कोई बीच समुन्द्र मे नाग की छाती पर आराम फरमा रहा हैं |
    भाई, हिंदू धर्म बहुत पुराना है। इसमें समय-समय पर असंख्य अच्छे लोग हुए हैं, इसलिए यह संख्या इतनी बड़ी है। यदि किसी धर्म का बस एक ही माईबाप हो तो गड़बड़ हो जाती है। अब आपने सिख धर्म अपनाया हुआ है। सिख धर्म गुरु नानक नामक एक खत्री (जिसे आप भाप्पे कहते हो) द्वारा शुरू किया गया था। इस धर्म के सभी अन्य गुरु भी खत्री थे। आप खत्री नहीं हो, बल्कि जाट हो। तो इस प्रकार आप खत्रियों के नीचे आ गए और एक तरह से उनके गुलाम बन गए। हिंदू धर्म में कोई ऐसा नहीं कह सकता। यदि कोई कहे कि तुम तो यूपी में जन्मे राम-कृष्ण के गुलाम हो तो कह दो नहीं हम तो शिवजी को मानते हैं, जिसके बारे में कोई बता ही नहीं सकता कि कहां उनका जन्म हुआ था। कोई शिवजी को लेकर भी ऐसी कुछ बात करे तो और 33 करोड़ हैं, लेकिन आप सिख जाट तो एक हिंदू खत्री पंजाबी के गुलाम हो गए।

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    cooljat (June 15th, 2013), cutejaatsandeep (June 15th, 2013), deependra (June 17th, 2013), rajpaldular (June 17th, 2013)

  7. #24
    Quote Originally Posted by upendersingh View Post
    [COLOR=#444444][FONT=arial]
    15 साल पहले जिस उपेन्द्र ने 2000 रुपए महीने की मामूली ड्राइवर की नौकरी पर टेंपो तक चलाया हुआ है, वो आज देश की नंबर 1 खेल पत्रिका का संपादक है (हालांकि मैं इससे संतुष्ट नहीं हूं और मेरा लक्ष्य कुछ और है)। अभी मेरी तपस्या जारी है, जैसे ही वो सिद्ध हो जाएगी तो बड़े स्तर पर भी हिंदुओं/जाटों का नाम रोशन कर दूंगा। अगर सिद्ध नहीं हुई तो कम से कम मैंने प्रयास तो किया। अब इससे ज्यादा और क्या शान बढ़ाऊं मैं हिंदुओं/जाटों की?
    Bhai kis magazine main sampadak hai aap?
    सच्चे शब्दों में सच के अहसास लिखेंगे ...
    वक्त पढे जिसको कुछ इतना खास लिखेंगे...
    गीत गजल हम पर लिखेंगे लिखने वाले...
    हमने कलम उठाइ, तो इतिहास लिखेंगे...!!

  8. #25
    Quote Originally Posted by Arvindc View Post
    Well said, the religion across the globe are dying as people are becoming aware to humanity and nature.

    In India, it continues to be a tool for people for diverging the masses from the "real governance" issues.
    In India, demographics are also changing:

    Non-Religious People on the Rise in India: Survey


    Bangalore: The number of non-religious people in India has risen as per the latest Global Index of Religiosity and Atheism. In India 81 percent people said they are religious in 2013, which is a drop by 6 percent in seven years. In 2005 the percentage was 87.

    It was also noted that there is a 1 percent drop in the number of people calling themselves as an atheist, reported Kounteya Sinha for TNN. 4 percent people said they didn't believe in God in 2005, as against 3 percent in 2012.

    The survey revealed that there was a similar trend around the world. Religiosity saw a decline of 9 percent, while atheism rose by 3 percent.

    On the other hand, Pakistan was noted to be among the few countries with an increase in the number of people calling themselves religious. The percentage increase was 6. Countries that witnessed a drop in those calling themselves religious include South Africa (19 percent), U.S. (13 percent), Switzerland and France (21 percent each) and Vietnam (23 percent). Argentina, which is home to the present Pope, witnessed 8 percent decline in people calling themselves religious.

    It was also revealed that China has the highest number of atheists (50 percent) living in a single country with the people describing themselves as non-believers in comparison with an average of 13 percent across the globe.

    The survey interviewed 51,927 persons from 57 countries across the globe. In each country around 1000 men and women were interviewed.

  9. #26
    Quote Originally Posted by upendersingh View Post
    भाई, हिंदू-मुस्लिम वाली तो कोई बात नहीं की मैंने। हां, अगर मुस्लिम तुष्टिकरण से अभिप्राय है तो उसे तो अधिकतर लोग गलत बताएंगे। मुझे अगर किसी पेड़ से छाया, फल और ईंधन वगैरह प्राप्त हो रहे हैं तो मेरा फ़र्ज़ है कि मैं उस पेड़ के प्रति अपना सम्मान जाहिर करूं और उसकी सेवा करूं। कम से कम उसे कोई नुकसान पहुंचाने की कोशिश करे तो विरोध जताऊं। हिंदू धर्म मेरे लिए एक ऐसे ही वट वृक्ष की तरह है।
    bhai aapne Rajputs aur Yadavon ko Gaddar bata diya, aur kuch jaat hain unko bhi kyonki unka koi view hai isliye?
    Last edited by vicky84; June 15th, 2013 at 05:31 AM.

  10. #27
    Quote Originally Posted by upendersingh View Post
    भाई, अपनी पोस्ट में फूल कुमार नै तप और संयम की बात कही थी। मैंने पूछ लिया कि क्या आपने ऐसा कुछ किया है? अब मैंने ये थ्रेड शुरू किया तो उस तर्ज पर आपको मेरे से ये पूछना चाहिए था कि तुम दूसरों पर उंगली उठा रहे हो, क्या तुम खुद को हिंदू जाट मानते हो? मेरा जवाब है 'हां' तो मैं इस थ्रेड को शुरू करने का हकदार बस इसी बात से बन गया।
    खैर, जब आपने ये बात छेड़ ही दी तो सुनो : मैं जहां भी होता हूं, वहां मेरा प्रयास रहता है कि जाटों की शान बढ़े, चाहे वो मेरा पड़ोस हो, चाहे गांव हो और चाहे ऑफिस। मैं इसमें कामयाब भी रहा हूं। आज तक कोई भी ये नहीं कह सकता कि मैंने किसी का 1 रुपया भी मारा है। मेरा जो रोजगार है, उसमें मैं इतना बढ़िया काम करके देता हूं कि जिसके संपर्क में आ जाता हूं, वो फिर मुझे अपने साथ जोड़े रखने का प्रयास करता है, चाहे उसके लिए उसे मेरे पैरों में ही क्यों न गिरना पड़े। अपने चरित्र पर और अपनी ईमानदारी पर मुझे नाज है। मैंने कभी अपनी बेइज्जती नहीं होने दी। किसी ने ऐसा करने का प्रयास किया तो मैंने फिर उसकी दुगनी बेइज्जती कर दी। जहां मैं रहता हूं, वहां कोई कहता है कि हमने उपेन्द्र जैसा आदमी ही नहीं देखा। मैं ऑफिस में होता हूं तो वहां कहीं से मेरे कानों में सुनाई पड़ता है कि उपेन्द्र तो अपनी लाइन का मास्टर ब्लास्टर है, क्योंकि उन्होंने कोई मेरे जैसा बढ़िया और मेरे जितने काम करने वाला ही नहीं देखा। फिर कहीं से मुझे ये सुनने को मिलता है कि हमने उपेन्द्र जैसा चरित्रवान आदमी ही नहीं देखा। दुष्ट और पापी लोग तो मेरे से घबराने ही लग गए कि ये आदमी आने वाले समय में कहीं कुछ बड़ा बवाल न निकले।
    15 साल पहले जिस उपेन्द्र ने 2000 रुपए महीने की मामूली ड्राइवर की नौकरी पर टेंपो तक चलाया हुआ है, वो आज देश की नंबर 1 खेल पत्रिका का संपादक है (हालांकि मैं इससे संतुष्ट नहीं हूं और मेरा लक्ष्य कुछ और है)। अभी मेरी तपस्या जारी है, जैसे ही वो सिद्ध हो जाएगी तो बड़े स्तर पर भी हिंदुओं/जाटों का नाम रोशन कर दूंगा। अगर सिद्ध नहीं हुई तो कम से कम मैंने प्रयास तो किया। अब इससे ज्यादा और क्या शान बढ़ाऊं मैं हिंदुओं/जाटों की?
    Upender good to hear about your progress but What is the contribution of Hindu religion in what you are doing or have achieved? we have people like in you all religion? I have not even seen a single beggar when it comes to sikhism but there are lot beggar who ask on name of Hindu GOD( koi shani ka tel/ koi pila chadata hai thursday ko) in hindusm so does that mean that sikhism teaches you to work but not Hinduism ?You were asked about your contribution in glory to Hinduism and you started boasting yourself.
    Khudi ko kar buland itna ke har taqder se pehle
    Khuda bande se ye poche bata teri raza kia hai

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    ravinderjeet (June 16th, 2013)

  12. #28
    Quote Originally Posted by upendersingh View Post
    If some of the Jatland members' mindset is a indication, then it seems some Jats (though they are fistful) are dying to be traitor and doing something which can bring a bad name to the community. Jats (specially Hindu Jats) are supposed to be pride of India and they are not supposed to be traitor like Yadavs (pro Muslims) and Rajputs (Jaichands). It is very sad that some so called Jats' messiahs are trying to play fool with the Jats misguiding them. Some try to misguide the Jats saying in some book Jats are mentioned as 'Shudras', while it is quite false. No one talks about that Jats are mentioned as 'Jat ji' or 'Jat devta' in same book. Some say Jats don't have any religion. To have a religion just means that we have a association which will help us in bad time. A religion unites.
    If Jats don't have any religion, then why do they use other religion's customs, names, festivities and many more things? Do such fistful gaddars want to say Jats are thankless people? They will avail the various qualities of a particular religion, but they don't accept they belong to that religion.
    We the real Jats need to understand the ill intentions and rotten mind of such people. Others views are welcome.
    धरम किसी इंसान की वैकतिगत निष्ठा हें. मेरे विचार से धरम से इंसान या तो धरम भीरु बन सकता हे या एक अछा इंसान वो महान तो सिर्फ अपने करम से ही बनता हे। धरम भीरु हर धरम में मिल जायेंगे। जैसे ५ समय नमाज पड़ने वाला और रोज मंदिर जाने वाला दोनों धरम भीरु हे। पर इससे वो किसी का नुकसान नहीं कर रहे तो मुझे उनके इस आचरण से कोई आपति नहीं हे हाँ उन लोगो पर तरस आता हे जो पंडितों के बहकावे में आकर अपना इतना समय और पैसा बर्बाद करते हे और इसका हे उनका कमजोर होना अपने करम पर विस्वास न होना या फिर वो जो मौलवियों के बहकावे में आकर मानव बम्ब बन जाते हे वो तो दया के पात्र भी नहीं हे। धरम के आधार पर किसी को छोटा या बड़ा सिर्फ अज्ञानी करते हें
    Last edited by VirJ; June 15th, 2013 at 08:44 AM.
    जागरूक ती अज्ञानी नहीं बनाया जा सके, स्वाभिमानी का अपमान नहीं करा जा सके , निडर ती दबाया नहीं जा सके भाई नुए सामाजिक क्रांति एक बार आ जे तो उसती बदला नहीं जा सके ---ज्याणी जाट।

    दोस्त हो या दुश्मन, जाट दोनुआ ने १०० साल ताईं याद राखा करे

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    cooljat (June 16th, 2013), prashantacmet (June 15th, 2013), ravinderjeet (June 16th, 2013), RavinderSura (June 15th, 2013), rohittewatia (June 16th, 2013), sivach (June 15th, 2013), ssgoyat (June 15th, 2013)

  14. #29
    Quote Originally Posted by upendersingh View Post
    भाई, हिंदू धर्म बहुत पुराना है। इसमें समय-समय पर असंख्य अच्छे लोग हुए हैं, इसलिए यह संख्या इतनी बड़ी है। यदि किसी धर्म का बस एक ही माईबाप हो तो गड़बड़ हो जाती है। अब आपने सिख धर्म अपनाया हुआ है। सिख धर्म गुरु नानक नामक एक खत्री (जिसे आप भाप्पे कहते हो) द्वारा शुरू किया गया था। इस धर्म के सभी अन्य गुरु भी खत्री थे। आप खत्री नहीं हो, बल्कि जाट हो। तो इस प्रकार आप खत्रियों के नीचे आ गए और एक तरह से उनके गुलाम बन गए। हिंदू धर्म में कोई ऐसा नहीं कह सकता। यदि कोई कहे कि तुम तो यूपी में जन्मे राम-कृष्ण के गुलाम हो तो कह दो नहीं हम तो शिवजी को मानते हैं, जिसके बारे में कोई बता ही नहीं सकता कि कहां उनका जन्म हुआ था। कोई शिवजी को लेकर भी ऐसी कुछ बात करे तो और 33 करोड़ हैं, लेकिन आप सिख जाट तो एक हिंदू खत्री पंजाबी के गुलाम हो गए।
    कितना पुराना हैं ?
    इन अच्छे लोगो के मुह इंसानों जैसे ही रखने मे क्या शर्म थी ? या फिर इन हिन्दुओ ने अच्छे जानवरो को भी इंसानों की श्रेणी मे ले लिया और भगवान का दर्जा दे दिया ?
    अगर हिन्दू सभ्यता हैं तो फिर इन हिन्दुओ का धर्म क्या हैं ?
    बिलकुल वैसे बाबा नानक एक संत था उसने किसी धर्म की नीव नहीं रखी थी , वो तो सिर्फ मोलवी पंडो की पोल खोलते थे समाज को जागरूक करते थे | हाँ माना की सिक्ख धर्म की नीव खत्रियों ने रखी परंतु उनके बनाए इस धर्म के मठो पर कब्जा जाटों का हैं चाहे वो दमदमी टकसाल हो या सिरोमानी गुरुद्वारा प्रबंदक कमेटी | आप बता दो की कौनसा जाट विश्व हिन्दू परिषद का मुख्या बना हो ? हिन्दू धर्म के चार मठो मे से किसी एक का मठाधीश बना हो ? प्रधान बनना तो दूर इन मठो मे प्रवेश भी नहीं कर सकते अगर मन मे कोई वहम हो तो निकाल लेना |
    जाट कभी इनका प्रधान बन भी नहीं सकता क्योंकि शूद्रों को ऐसा हक़ नहीं हैं और हिन्दू धर्म की वर्ण व्यवस्था के अनुसार जाट शूद्र वर्ण मे आते हैं | मैंने पहले भी बताया हैं की गाँव देहात मे ब्राह्मण कभी भी जाट को अपना हुक्का नहीं देते , हमेशा ब्राह्मण को दादा मानते हैं बड़ा मानते हैं , खाट पर बैठते वक़्त उसे सिराहना देते हैं | राजस्थान के जाट तो शायद अभी भूले नहीं होंगे उनके साथ इन हिन्दुओ का कैसे बर्ताव था ? राजस्थान मे हुक्का तो दूर बीड़ी भी जाति पूछ के देते हैं | पूरे इतिहास मे जाटों के इतिहास का कहीं कोई जिक्र नहीं हैं सिर्फ नकली लोगो के गीत गा रखे हैं | यह तो भला हो चौ छोटुराम व राजा महेंद्र प्रताप सिंह जैसे बुजुर्गो का जिन लोगो ने इतिहास लिखवा कर जाट संगठन बनवा कर इस कौम को फिर से जिंदा कर दिया | आज इस नेट के युग मे कौम मे थोड़ी जागरूकता आ रही हैं , लोगो को अपने इतिहास का ज्ञान हो रहा हैं नहीं तो यह आलम था की जब इतिहास के नाम पर किसी राजपूत से बहस होती थी तो ये पंडे बीच मे कहते की छाज तो बोले छालनी भी क्या बोले जाटों तुम्हारा क्या इतिहास हैं ? अब किसी धर्म मे शूद्र का दर्जा मिलने पर आपको गुमान हो सकता मुझे नहीं | अगर यह सब सच नहीं तो फिर जाट कभी भी दूसरे पंथो की तरफ नहीं भागते , बिशनोई समाज मे 80% जाट हैं , सिक्खो मे 67% जाट हैं , आर्य समाज को मानने वालों मे देख लो 70% जाट मिलेंगे | या उपेंद्र सयाना हैं या फिर हमारे बुजुर्ग बावले भटके हुए थे जो इन दूसरे पंथो की तरफ भागे |

    जाट हमेशा अपने बुज़र्गों को पूजता हैं इसलिए पाखंडी लोगो ने जाटों को इस धर्म जोड़ने के लिए हमारे बुज़र्गों शिव राम आदि को भगवान का दर्जा दे दिया और इन भगवनों के वंसजो को शूद्र का तमगा दे दिया |
    हनुमान जी देश मे अनेकों मंदिर बना रखे हैं परंतु कमाल की बात यह हैं की हर प्रांत मे इस बेचारे बाला जी के चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी करके अलग अलग रूप दे रखे हैं |
    इस हिन्दू धर्म मे इतने स्टाल लगा रखे हैं की ग्राहक को खाली जाने का मौका ही नहीं मिलता
    33 करोड़ देवी देवताओ के नाम इतना भय बैठा रखा हैं के बेचारा इंसान पैदा होते ही कायर बनना शुरू हो जाता हैं | हफ्ते मे कोई वार खाली नहीं जाने देते जिस दिन इनकी जी हजूरी न करनी पड़े अगर ना करी तो फिर ये रुष्ट हो जाते हैं इंका प्रकोप झेलना पड़ता हैं | बाल काटने कटवाने के वार , वीरवार को कपड़े न धोने के वार , आदि ऐसे खोखले कानून बना कर इंसान को कायर बनने पर मजबूर कर देते हैं |
    बाकी धर्म के नाम पर इन भगवानों के अस्तित्व की चिंता करने की जरूरत नहीं हैं वो लोग अपनी इज्जत खुद बचा लेंगे आप पहले अपनी खुद की इज्जत बचाओ |
    Last edited by RavinderSura; June 15th, 2013 at 10:08 AM.
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

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    prateekdhaka (June 15th, 2013), ravinderjeet (June 16th, 2013), rohittewatia (June 16th, 2013), sivach (June 15th, 2013), vijaykajla1 (June 16th, 2013)

  16. #30
    जिन लोगो ने इस धर्म शब्द का ईजाद किया , ये धर्म ईजाद किए वे लोग वाक्य मे महान बुद्धिमान लोग थे | उन्हे पता था की तलवार के बूते कुछ वर्षो तक़ राज किया जा सकता हैं परंतु धर्म एक ऐसी व्यवस्था हैं जिसके बूते इंसान को मानसिक रूप से गुलाम बना कर सदियों राज किया जा सकता हैं |
    वैसे देहात मे अक्सर सुनने को मिलता हैं की फलाना काम करने का धर्म नहीं मतलब के वाहा धर्म का अर्थ कर्तव्य से हैं कर्म से हैं और कर्म को ही भगवान मानते थे परंतु अंधविश्वासी मूर्ख लोगो के लिए इसके मायने कुछ और हैं | इन लोगो ने इसका अर्थ भगवान से जोड़ दिया और आम इंसान के अंदर इस भगवान के नाम का इतना भय बैठा दिया की इसके नाम के बगैर कोई काम शुरू ही नहीं कर सकते , भगवान न हो गया शैतान हो गया |
    पिछले हफ्ते की बात हैं मैं गुड़गाँव बस स्टैंड के सामने एक श्री राम होटल के आगे खड़ा था तो इतने मे 5-6 लोग लुगाई आ गए गड़िया लुहार या बंजारे जाति के होंगे शायद , बोले बाबू जी छोरी को गोहनों करनू स , छोरा वाला आवेंगे उनको रोटी टुको करनू स कुछ खर्चा दे दो आपको भगवान भलों करेगों | मक्का भाई मुझे बीच मे दलाल क्यों बना रहे हो तुम सीधा ही उस भगवान से क्यों नहीं मांग लेते या तुम्हारी उससे कुछ अनबन हो गई हैं तो वो मैं बात कर सकता हु अक इनते क्यू रूस गया , पहले मैं थारा भला करू फेर वो मेरा भला करेगा , या इतनी लंबी कड़ी बनान की के जरूरत स |अगर जरूरत हैं तो सीधा मांगो किसी दूसरे को बीच मे लाने की क्या जरूरत हैं जिसका पता ही नहीं कोई तसल्ली ही नहीं की जिसके नाम से तुम मांग रहे हो वो तुम्हारा उधार चुकता करेगा या नहीं | सीधा मँगोगे तो हो सकता आपको उधार चुकाना पड़े उसके नाम से तो कुछ चुकाना ही नहीं , उसके नाम से हरामखोरी की आदत और सीखा दी ठगो ने और यहा भी भेद भाव ये लोग उसके नाम से मांगे तो भीख और वे पंडे तौर तरीके से उसके नाम से मांगते हैं तो कर्म कांड धर्म | दोनों ही भीख के रूप हैं परंतु बुद्धिमान ने अपनी भीख को इज्जत का दर्जा दे दिया हक़ का दर्जा दे दिया और ये दूसरे भीखमंगे हो गए |
    इस भगवान के नाम की दुहाई दे कर खाने की आदत सिर्फ हिन्दू धर्म मे ही नहीं हर धर्म मे हैं परंतु हिन्दू धर्म मे तो इसकी हद हैं और मैं हिन्दू धर्म का नाम इसलिए लेता हु क्योंकि सवेरे से लेकर साँझ तक़ इनहि से वास्ता पड़ता हैं | जब देखो भगवान देगा भगवान भला करेगा जम्मा ठाली लगा लिया भगवान , ना न्यू बेरा कौन स वो कित रह स | अभी पीछे टीवी पर सुना था की विज्ञान ने भगवान का अंश खोज लिया हैं परंतु ये मूर्ख अंधविश्वासी फिर भी इन अजीबो गरीब चेहरो को भगवान मानेंगे |
    Last edited by RavinderSura; June 15th, 2013 at 10:01 AM.
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

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    ravinderjeet (June 16th, 2013), vijaykajla1 (June 16th, 2013)

  18. #31
    Quote Originally Posted by upendersingh View Post
    भाई, अपनी पोस्ट में फूल कुमार नै तप और संयम की बात कही थी। मैंने पूछ लिया कि क्या आपने ऐसा कुछ किया है? अब मैंने ये थ्रेड शुरू किया तो उस तर्ज पर आपको मेरे से ये पूछना चाहिए था कि तुम दूसरों पर उंगली उठा रहे हो, क्या तुम खुद को हिंदू जाट मानते हो? मेरा जवाब है 'हां' तो मैं इस थ्रेड को शुरू करने का हकदार बस इसी बात से बन गया।
    खैर, जब आपने ये बात छेड़ ही दी तो सुनो : मैं जहां भी होता हूं, वहां मेरा प्रयास रहता है कि जाटों की शान बढ़े, चाहे वो मेरा पड़ोस हो, चाहे गांव हो और चाहे ऑफिस। मैं इसमें कामयाब भी रहा हूं। आज तक कोई भी ये नहीं कह सकता कि मैंने किसी का 1 रुपया भी मारा है। मेरा जो रोजगार है, उसमें मैं इतना बढ़िया काम करके देता हूं कि जिसके संपर्क में आ जाता हूं, वो फिर मुझे अपने साथ जोड़े रखने का प्रयास करता है, चाहे उसके लिए उसे मेरे पैरों में ही क्यों न गिरना पड़े। अपने चरित्र पर और अपनी ईमानदारी पर मुझे नाज है। मैंने कभी अपनी बेइज्जती नहीं होने दी। किसी ने ऐसा करने का प्रयास किया तो मैंने फिर उसकी दुगनी बेइज्जती कर दी। जहां मैं रहता हूं, वहां कोई कहता है कि हमने उपेन्द्र जैसा आदमी ही नहीं देखा। मैं ऑफिस में होता हूं तो वहां कहीं से मेरे कानों में सुनाई पड़ता है कि उपेन्द्र तो अपनी लाइन का मास्टर ब्लास्टर है, क्योंकि उन्होंने कोई मेरे जैसा बढ़िया और मेरे जितने काम करने वाला ही नहीं देखा। फिर कहीं से मुझे ये सुनने को मिलता है कि हमने उपेन्द्र जैसा चरित्रवान आदमी ही नहीं देखा। दुष्ट और पापी लोग तो मेरे से घबराने ही लग गए कि ये आदमी आने वाले समय में कहीं कुछ बड़ा बवाल न निकले।
    15 साल पहले जिस उपेन्द्र ने 2000 रुपए महीने की मामूली ड्राइवर की नौकरी पर टेंपो तक चलाया हुआ है, वो आज देश की नंबर 1 खेल पत्रिका का संपादक है (हालांकि मैं इससे संतुष्ट नहीं हूं और मेरा लक्ष्य कुछ और है)। अभी मेरी तपस्या जारी है, जैसे ही वो सिद्ध हो जाएगी तो बड़े स्तर पर भी हिंदुओं/जाटों का नाम रोशन कर दूंगा। अगर सिद्ध नहीं हुई तो कम से कम मैंने प्रयास तो किया। अब इससे ज्यादा और क्या शान बढ़ाऊं मैं हिंदुओं/जाटों की?
    अपने मुँह मियाँ मिट्ठू

    आपके महान व्यक्तित्व पर रोशनी डालती आपकी ही एक पोस्ट

    http://www.jatland.com/forums/showthread.php?35818-Why-spurt-in-rape-cases&p=337177&viewfull=1#post337177


    मीठे बोल बोलिये क्योंकि अल्फाजों में जान होती है,
    ये समुंदर के वह मोती हैं जिनसे इंसानों की पहचान होती है।।

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    shivanidhama (June 16th, 2013)

  20. #32
    भाई साहब, डूंडा पाड़ दिया तौड़ की बात कर दी...salute to you!

    Quote Originally Posted by ravinderjeet View Post
    पहलम ते भाम्नां ने जाट शाशक राजपूत बणा के ने राजस्थान में जाट छित्वाये ,फेर भाप्प्याँ ने सीखी (शिख ) में जाट बहका के ने आपनी रक्ष्क्षा करवा ली आर फेर एक बे जट्टां में फुट गेर दी । इब्ब इन की बहकाई में ये ना आंदे फेर बचे-खुचे जट्टां ने बहकान लागगे । ये भामण ,बानिये जट्टां की भेयाँ / बढेरे पे कोणी आंदे माथा टेकण आर थारे बर्गे इनके भीख के अड्डे (मंदिर) में जावें रोज । आपणी गाढी कमाई की दोलत इन् भिखारियाँ की भेंट चढ़ावें रोज । इब्ब तेरे बर्गे ने देख ले जो आपने आप ने जाट कहवे स आर इन् भाम्नां के चक्कर में आपनी कौम ने गद्दार बतावे स । में ते भगवान् /अल्लाह /गॉड /ढीमका/ठीमका जो भी स ने मान्दा कोणी । जब ये मुसलमान इन् मंदिरां ने लूटन लागरे थे जब ये भामण अर ३ करोड़ देवी देवता आपणी इस्सी-तीशी कराण लागरे थे । जो मानस आज के दिन भी विशवास के नाम पे इन् मंदिरान में या मस्जिदान में या और किते भी जा के घंटी बजावे सें ,वे सब बेवकूफ अर डरपोक सें । जिन्न में आत्म विस्वास नहीं से वे सहारा टोहन्दे हांड्या करें । ---- सद भावनाओं सहित ।
    One who doesn't know own roots and culture, their social identity is like a letter without address and they are culturally slave to philosophies of others.

    Reunion of Haryana state of pre-1857 is the best way possible to get Jats united.

    Phool Kumar Malik - Gathwala Khap - Nidana Heights

  21. #33
    Quote Originally Posted by upendersingh View Post
    भाई, हिंदू धर्म बहुत पुराना है। इसमें समय-समय पर असंख्य अच्छे लोग हुए हैं, इसलिए यह संख्या इतनी बड़ी है। यदि किसी धर्म का बस एक ही माईबाप हो तो गड़बड़ हो जाती है। अब आपने सिख धर्म अपनाया हुआ है। सिख धर्म गुरु नानक नामक एक खत्री (जिसे आप भाप्पे कहते हो) द्वारा शुरू किया गया था। इस धर्म के सभी अन्य गुरु भी खत्री थे। आप खत्री नहीं हो, बल्कि जाट हो। तो इस प्रकार आप खत्रियों के नीचे आ गए और एक तरह से उनके गुलाम बन गए। हिंदू धर्म में कोई ऐसा नहीं कह सकता। यदि कोई कहे कि तुम तो यूपी में जन्मे राम-कृष्ण के गुलाम हो तो कह दो नहीं हम तो शिवजी को मानते हैं, जिसके बारे में कोई बता ही नहीं सकता कि कहां उनका जन्म हुआ था। कोई शिवजी को लेकर भी ऐसी कुछ बात करे तो और 33 करोड़ हैं, लेकिन आप सिख जाट तो एक हिंदू खत्री पंजाबी के गुलाम हो गए।
    bhai yee baat inke dimaag mai koni ghusse....in saab ka brain wash kar diya gaya hai by so called jat leader....apne girebaan mai koi nahi jhaaktaa bus doosro our ungli uthate rehte hai..

  22. The Following 2 Users Say Thank You to cutejaatsandeep For This Useful Post:

    rajpaldular (June 17th, 2013), upendersingh (June 16th, 2013)

  23. #34
    Quote Originally Posted by desijat View Post
    Bhai kis magazine main sampadak hai aap?

    http://www.magzter.com/IN/DEWAN-PUBL...Samrat/Sports/
    Last edited by upendersingh; June 16th, 2013 at 01:39 AM.

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    rajpaldular (June 17th, 2013)

  25. #35
    Isna circulation no,1 hai?
    Quote Originally Posted by upendersingh View Post
    सच्चे शब्दों में सच के अहसास लिखेंगे ...
    वक्त पढे जिसको कुछ इतना खास लिखेंगे...
    गीत गजल हम पर लिखेंगे लिखने वाले...
    हमने कलम उठाइ, तो इतिहास लिखेंगे...!!

  26. #36
    Quote Originally Posted by sivach View Post


    अपने मुँह मियाँ मिट्ठू

    आपके महान व्यक्तित्व पर रोशनी डालती आपकी ही एक पोस्ट

    Quote Originally Posted by upendersingh View Post
    If we get life only once, then what's wrong in it to go for maximum pleasure. Able people can buy the best women, but what about the 'have nots'. They will try to grab forcefully. Please someone prove to me also that we get life only once, I will also try to enjoy some 15-16 year old pieces howsoever. Mostly people say they are sure deeds matter nothing. If you do good deeds then no avail, result of life will be same. If you do bad deeds, then too result of life will be same.





    भाई, ऐसा लगता है कि आप मेरी उक्त पोस्ट का भावार्थ नहीं समझ पाए। खैर, मैं प्रयास करके देखता हूं।
    मैंने कहा कि यदि जीवन बस एक बार ही मिलता है तो ज्यादा से ज्यादा सुख भोगने का प्रयास करने में क्या बुराई है? धनी लोग सुंदरतम स्त्रियों को भोगते हैं, लेकिन जो निर्धन हैं, उनका क्या? वे जबरन ऐसा करने का प्रयास करेंगे। (यह एक कटाक्ष था और मेरे कहने का मतलब यह था कि बलात्कार जैसे घ्रणित कार्यों में लिप्त रहने वाले लोग संभवतः ऐसा सोचते हैं।)
    फिर मैंने कहा कि कृपया ऐसे लोग या कोई अन्य ज्ञानी पुरुष मुझे भी यह गारंटी दे दो कि जीवन बस एक ही बार मिलता है और अच्छे-बुरे कर्मों का सुख-दुःख से कोई मतलब नहीं है तो मैं भी मजा लूटने के लिए निकलूं और कैसे भी करके युवा लड़कियों को भोगने का प्रयास करूं। इसका मतलब यह था कि सुख-दुःख के लिए मैं अच्छे-बुरे कर्मों को जिम्मेदार मानता हूं और मेरा ख्याल है कि मरने के साथ ही सब कुछ ख़त्म नहीं हो जाता। यदि कोई मुझे गारंटी दे दे कि ऐसा नहीं है तो मेरी कई चिंताएं दूर हो जाएंगी।
    भाई, आप इस साइट से हाल ही में जुड़े हो। हालांकि मुझे अपने बारे में बताना पसंद नहीं है, लेकिन जब कोई मुझे उकसाता है तो फिर मुझसे बिना बताए नहीं रहा जाता। मैंने पहले भी कई पोस्ट में अपने बारे में बताया है। मेरी उम्र लगभग 40 साल है। मैं अविवाहित हूं और मेरे अभी तक के जीवन में किसी से भी मेरे कोई शारीरिक या अनैतिक संबंध नहीं हैं। 15 साल पहले के जीवन में कुछेक शरारतें जरूर हैं, लेकिन उन्हें संबंध नहीं कहा जा सकता। यही मेरी तपस्या है। 15 साल पहले तक मैं किसी लड़की से संबंध बनाना चाहता था, लेकिन मुझे अनुकूल परिस्थितियां नहीं मिलीं। जब मैं सक्षम हुआ तो मुझे एक लड़की से प्यार हो गया। इन 15 साल के दौरान वह कहानी आगे बढ़ी है, लेकिन सुलझी नहीं है।
    अब कोई कृपया मेरी निजी जिंदगी को न ही कुरेदे तो ठीक रहेगा, नहीं तो मेरा तो कुछ नहीं जाएगा, लेकिन जानने वाले जरूर परेशान हो जाएंगे

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    rajpaldular (June 17th, 2013)

  28. #37
    Quote Originally Posted by desijat View Post
    Isna circulation no,1 hai?
    In India, in sports segment 'yes'.

  29. The Following User Says Thank You to upendersingh For This Useful Post:

    rajpaldular (June 17th, 2013)

  30. #38
    Quote Originally Posted by ravinderjeet View Post
    पहलम ते भाम्नां ने जाट शाशक राजपूत बणा के ने राजस्थान में जाट छित्वाये ,फेर भाप्प्याँ ने सीखी (शिख ) में जाट बहका के ने आपनी रक्ष्क्षा करवा ली आर फेर एक बे जट्टां में फुट गेर दी । इब्ब इन की बहकाई में ये ना आंदे फेर बचे-खुचे जट्टां ने बहकान लागगे । ये भामण ,बानिये जट्टां की भेयाँ / बढेरे पे कोणी आंदे माथा टेकण आर थारे बर्गे इनके भीख के अड्डे (मंदिर) में जावें रोज । आपणी गाढी कमाई की दोलत इन् भिखारियाँ की भेंट चढ़ावें रोज । इब्ब तेरे बर्गे ने देख ले जो आपने आप ने जाट कहवे स आर इन् भाम्नां के चक्कर में आपनी कौम ने गद्दार बतावे स । में ते भगवान् /अल्लाह /गॉड /ढीमका/ठीमका जो भी स ने मान्दा कोणी । जब ये मुसलमान इन् मंदिरां ने लूटन लागरे थे जब ये भामण अर ३ करोड़ देवी देवता आपणी इस्सी-तीशी कराण लागरे थे । जो मानस आज के दिन भी विशवास के नाम पे इन् मंदिरान में या मस्जिदान में या और किते भी जा के घंटी बजावे सें ,वे सब बेवकूफ अर डरपोक सें । जिन्न में आत्म विस्वास नहीं से वे सहारा टोहन्दे हांड्या करें । ---- सद भावनाओं सहित ।

    बड्डे भाई, आप न्यू क्यूकर कह सको हो अक राजस्थान मैं जाट छितवाए अर भाप्यां नै सिखी मैं जाट बहकाए? ठीक सै अक राजस्थान के कुछ इलाकों मैं एक दौर इसा चाल्या अक राजपूत जाटों पर हावी हुए और कुछेक जाटों के गले भी काटे, लेकिन आप पुष्कर के नहाण पै जाटों और राजपूतों मैं जो युद्ध होया था, उसनै क्यूं भूलो हो? जाटों का जितना दबंग शासन राजस्थान मैं चाल्या किसे टैम, इसा होर कित्तै भी न चाल्या, ठीक सै। बेरा तो होगा क्यूकर जवाहर सिंह नै राजपूत शासक माधो सिंह का बक्कल तार्या था? सिखी मैं जाट अपणे आप गए न्यू सोच कै अक हिंदू रहोगे तो मुसलमान तम्नै ख़त्म कर देंगे। गुरु नानक उन्हां नै अपना पंजाबी भाई लाग्या।
    अर बड्डे भाई, न्यू कौन कह है अक हिंदू होण का मतबल मंदिरां मैं जाकै नै पंड्या नै भेंट चढ़ाना सै? गद्दार तै मैं न्यू कहूं हूं अक नाम हिंदुआं के धर राखे सै, सारे रीति-रिवाज हिंदुआं के मनावै सै, पर गीत होरां के गावै सै। हिंदुआं नै जरूरत ही ना सै इसे-इस्यां की। पर अपने नाम अर रीति-रिवाज तै बदल लेणे चहिए इसे-इस्यां नै।

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    cooljat (June 16th, 2013), rajpaldular (June 17th, 2013)

  32. #39
    Quote Originally Posted by upendersingh View Post
    15 साल पहले तक मैं किसी लड़की से संबंध बनाना चाहता था, लेकिन मुझे अनुकूल परिस्थितियां नहीं मिलीं। जब मैं सक्षम हुआ तो मुझे एक लड़की से प्यार हो गया। इन 15 साल के दौरान वह कहानी आगे बढ़ी है, लेकिन सुलझी नहीं है।
    आप तो १५ साल की उम्र मैं ही उस सीढ़ी पर पहुँच गए थे जहां अधिकांश लोग शादी तक नहीं पहुँच पाते . आप सममुच मैं महा पुरुष है
    सच्चे शब्दों में सच के अहसास लिखेंगे ...
    वक्त पढे जिसको कुछ इतना खास लिखेंगे...
    गीत गजल हम पर लिखेंगे लिखने वाले...
    हमने कलम उठाइ, तो इतिहास लिखेंगे...!!

  33. #40
    Quote Originally Posted by desijat View Post
    आप तो १५ साल की उम्र मैं ही उस सीढ़ी पर पहुँच गए थे जहां अधिकांश लोग शादी तक नहीं पहुँच पाते . आप सममुच मैं महा पुरुष है
    I think he meant 15 years ago, i.e. 40-15, when he was 25 years old.
    Pagdi Sambhal Jatta..!

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