यु तागा पूरा मजाक खातर बनाया स । जा किहे के दर्द हो किहे भी बात पे ते माफ़ बेशक मतना करिओ । आर बाकी भाइयां तें भी पराथ्ना स अक किम्मे छाप्पें । सुवाद ल्यो :-----
॥ देश का नेता ॥
मन मोहन कोहली ,
कोई तो बोलो बोली ,
तुम लगते बेजुबान हो ,
जेसे पुराना बंद मकान हो ॥
तेरे थोबड़े पे लागरे जाले ,
और होठों पर ताले ,
तुम किसी गूंगे का ,
धाँसू दिया बयान हो ॥
तुम लगते बेजुबान हो ,
जेसे पुराना बंद मकान हो ॥
नीली पगड़ी ,धवल दाडी ,
मूर्छित हो या चेतना आधी ,
तुम रोबोट की काया हो ,
खुद हो या किसीकी छाया हो ॥
तुम लगते बेजुबान हो ,
जेसे पुराना बंद मकान हो ॥
तुम अर्थशास्त्र के ग्यानी ,
राजनीति में आ के की नादानी ,
तुम सुब्रमन्यम की खोज हो ,
देश पर दाग हो ,या बोझ हो ?
तुम लगते बेजुबान हो ,
जेसे पुराना बंद मकान हो ॥
तुम मरघट के सन्यास्सी ,
ज्यूँ मुर्दा घर की उबास्सी ,
तुम सोनिया के तोते हो ,
या राहुल के प्राण हो ॥
तुम लगते बेजुबान हो ,
जेसे पुराना बंद मकान हो ॥ ------रवि "अतृप्त"