मुझे कौमी या जातिवादी बेशक समझो ,पर सच्चाई देखो :-
१) वहां पर फंसे /मरने वाले 80 % भाम्ण और बनिए हैं ।
२) वहां पर लंगर लगाने वाले ,फौजी सहायता देने वाले 80 % जाट हैं ।
३ ) जो वहां से बच कर आये हैं ,99 % कहते हैं की भगवान की किरपा से वे बच्च गए ।
४) केवल 1 % फोजिओं को धन्यवाद देते हुए सुने गए । ( जो की वास्तविकता हे,जिन्होंने इनको बचाया )
५)अब ये देखिये की जो इनकी रक्षा करते हैं ,इनके पेट भरते हैं ,और आपदा में सबसे पहले सहायता का हाथ पहुचाते हैं उनकी ये ही भाम्ण /बानिये टी वि ,अखबार पर और दुसरे हर सामाजिक स्थान पर मजाक उड़ाते हैं और तालिबानी बताते हैं ।
इनके पक्षधर कई "मुर्खानन्द सरस्वती " यहाँ जाटलैंड पर भी मौजूद हैं ।