सर, मुझे लगा की आपने ये कहावत उपर वाली कहावत के लिए लिखी है | लगता है मेरी ऊपर लिक्खी कहावत की उत्पत्ति भी टेढ़ी खीर ही है | "टेढ़ी खीर " के बारे में खूब ढूंढने पर केवल एक बात पता चली है :
२)
"टेढ़ी खीर"
दो दोस्त थे | उनमे से एक जन्मजात अँधा था | एक दिन एक दोस्त ने अंधे दोस्त को खाने पर बुलाया ओर अंधे दोस्त को खीर बहुत पसंद आई |
उसने पूछा ये क्या है ?
दोस्त ने कहा खीर |
उसने पूछा खीर कैसी होती है |
दोस्त ने जवाब दिया दूध जैसी सफ़ेद |
उसने पूछा दूध कैसा होता है ?
दोस्त ने जवाब दिया बगुले जैसा सफ़ेद |
उसने पूछा बगुला कैसा होता है ?
परेशान दोस्त ने अपने हाथो से बगुले की आकृति बनाकर कहा , छु कर देखो ऐसा|
उसने छू कर कहा दोस्त ये खीर तो बड़ी टेढ़ी होती है ?
मतलब : जो आराम से समझाई न जा सके या कोई काम जो आसानी से करा न जा सके उसे टेढ़ी खीर बोल देते है |
अब ये कहानी है या हकीकत पता नहीं |