बागड़ बकरे और धाकड़ शिकारी की टीमवर्क वाली कहानी
एक शिकारी था जिसका नाम धाकड़ था, उसका एक बकरा था जिसका नाम बागड़ था. शिकारी के पास एक बहुत बड़ी बंदूक थी जिससे वो शेर का शिकार करता था.
रोजाना बागड़ और धाकड़ जंगल में जाते थे, मचान बनाते थे.बागड़ नीचे खड़ा होता था और धाकड़ मचान में. जब शेर बागड़ को देख कर आता था तो धाकड़ दूर से ही देख लेता था और अपनी बंदूक से उसे मार देता था. इस प्रकार उन्होंने बहुत से शेर मारे.
हर बार शाम को धाकड़ जब शेर मार कर घर आता तो अपनी बीवी से बहुत डींगे मारता था, कि देखो मेरा बागड़ कितना बहादुर है, कैसे हमने मिलकर शेर मारा, वगैरह, वगैरह...
बागड़ रोजाना अपनी तारीफ सुनकर फूल जाता था.बागड़ भोला था, उसे बंदूक के असर का पता ही नहीं. वह सोचने लगा की शेर उसे देखकर ही गिर कर मर जाता है.
एक दिन बागड़ को जोश चढ़ा. उसने सोचा, मैं तो इतना बहादुर हूं, मैं तो आज अकेला ही जंगल जाउंगा, शेर मार कर लाउंगा. तो वह जंगल में चला, मचान पर पहुंचा. शेर बागड़ के सामने आया लेकिन हमेशा की तरह गिरा नहीं, उसने तो बागड़ को अपने पंजो के नीचे दबाया और उसे मार कर खा गया.
Moral 1: a) टीम के सदस्यों को अपना रोल और जगह पहचान कर जमे रहना चाहिये. बिना पूरी जानकारी के काम करने से नुक्सान होता है.
b) टीम को साथ लेकर चलो। और अपने टीम के सदस्यों का सही काम पहचानो. क्या पता कोई ऐसा कुछ कर रहा हो जो बहुत जरूरी हो और आपको पता न हो.
आगे की कहानी...
बिना बागड़ के धाकड़ परेशान. वह जंगल जाता, मचान पर बैठता लेकिन शेर आता ही नहीं.
उसका एक कुत्ता भी था, जिसका नाम टोमू था. उसने सोचा कि टोमू को ही बांध देता हूं. शेर आयेगा तो मैं मार दूंगा. तो उसने टोमू को मचान के नीचे बांध दिया.
जब शेर आता तो टोमू को पहले ही उसकी गंध आ जाती और वह जोर-जोर से भौंकने लगता, बागड़ तो चुप-चाप खड़ा रहता था. शेर सावधान हो जाता और पहचान जाता कि यह तो कुत्ता है. शेरों को भी पता है कि कुत्ते के आस-पास ही मालिक होता है. तो वह चला जाता.
धाकड़ ने बहुत दिन बिताये लेकिन कोई शेर हाथ नहीं आया.
Moral 2: a) टीम लीडर को हर सदस्य का स्पेशलाइजेशन पहचान कर उसे सही जगह लगाना चाहिये, वरना काम नहीं बनता.
b) प्रोजेक्ट की भलाई के लिये अगर को टीम का सदस्य जाये तो उसी की Expertise का नया बन्दा लाओ, किसी और Skill वाले को Appoint Nahin karo.