सुंडू सरकारी सकूल मैं तै नाम काट कै नै भजा दिया तै ऊह के बाबू नै वो पब्लिक सकूल मैं भर्ती करवा दिया न्यू सोच कै नै अक किम्मै सहूर आ ज्यागा इह नै। पर सुंडू का मन उड़ै भी अंघाई तारण मैं ही रहया करदा। एक दिन मैडम नै उह तै बूझया-"सुंडू, बताओ खरगोश को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?''
सुंडू नै बेरा हो तो बतावै। बोल्या-"मैडम, बता तो मैं द्यूंगा, पर पहलै आप मेरे कुछ सवालां का जवाब दो।"
मैडम बोली-"पूछो।"
"बताओ शेर नै फ्रिज मैं क्यूकर धर सकां सै?" सुंडू नै बूझया।
मैडम माड़ी हाण सोचकै-"पता नहीं।"
"बहुत आसान सै। फ्रिज का दरवाजा खोलो अर धर दो। खैर चलो न्यू बताओ एक जिराफ नै फ्रिज मैं क्यूकर धर सकां?"
मैडम-"फ्रिज का दरवाजा खोलो अर धर दो।"
सुंडू-"ना ना मैडम जी, कर गी ना गलती। फ्रिज मैं तो शेर सै। पहलै उसनै काढ़ो अर फेर जिराफ नै उसमैं धर सकां सै। खैर, चलो न्यू बताओ हाथी के जन्मदिन की पार्टी मैं एक जिनावर कोन्या गया। वो कूणसा जिनावर सै?"
मैडम-"खुद हाथी।"
सुंडू-"गलत जवाब। सही जवाब जिराफ, क्योंकि वो तो फ्रिज मैं बंद था। खैर चलो एक आखिरी सवाल होर। बताओ जो आपनै ऐसी नदी पार करणी पड़ जा, जिसमैं घणे ही मगरमच्छ रहंदे हों, तो आप के करोगी?"
मैडम-"मैं पुल से पार कर लूंगी।"
"कोई लोड ही ना सै पुल पै कै जाण की। मगरमच्छ तो हाथी के जन्मदिन की पार्टी मैं सैं। आप नदी नु ए ना पार कर लोगी।"
मैडम के दिमाग की दही हो ली थी। ऊह नै फेर पाछै सुंडू तै किम्मै भी ना बूझण मैं ए अपणी भलाई समझी।