तो हो जाइए सावधान?


Ac कोच में अथवा ठण्ड के दिनों में यदि आप रेल की यात्रा कर रहे हैं तो तनिक सावधान रहें क्योंकि रेलवे का कंबल आपको रोगी बना सकता है। बीएचयू चेस्ट विभाग के ओपीडी में रोज ऐसे रोगियों की संख्या में वृद्धि हो रही है, जो यात्रा के समय रेल में मिलने वाले कंबल को प्रयोग करते हैं।


बोगी में मिलने वाले अधिकतर कंबलों से 'माइट एलर्जी' हो सकती है। इसके कारण कभी-कभी दमा के अटैक भी पड़ जाते हैं,
वास्तव में 'माइट' एक जीवित कण होता है, जो मनुष्य की त्वचा में पाया जाता है। प्रायः रेल में यात्रा कर रहे लोग उस कंबल का प्रयोग कर लेते हैं जो पहले से किसी ने ओढ़ा हो।


माइट के कण शरीर की मरी हुए सेलों को खाते हैं, फिर शरीर से झड़ जाते हैं।जब कई लोग लगातार यात्रा के समय एक ही कंबल का प्रयोग करते हैं तो शरीर से झड़ा हुआ माइट का कण कंबल के धूल के कणों के साथ मिल जाता है।इससे अक्सर एलर्जी हो जाती है।


आप देखते अथवा आभास करते होंगे कि रेलवे के उन कंबलों को ओढ़ने से अधिक छींक, खांसी, सांस लेने में समस्या आती है,
जिसका प्रयोग सार्वजनिक रूप से होता है।


क्या है उपचार?


जब भी रेल में यात्रा करें तो कंबल को ध्यान से देख लें तथा हो सके तो कवर वाला कंबल ही प्रयोग करें।


मुँह पर प्लेन साफ कपड़ा रखकर सोएँ अथवा हो सके तो घर से लाये हुए कंबल को ओढ़ें।


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