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December 12th, 2013, 10:22 PM
#1
गम
गम कि गहराई में,डूब के देखो यारो
गम में रो तो लेते हो कभी हंस के भी देखो यारो
हर गम कि एक वजह है इसकी अलग ही फिज़ा है
इस फिज़ा में एक मजा है तो क्या गम एक सजा है
जाम जब भर जाता है छलकने को हो जाता है
गम में जो रम जाता है एक अलग ही दुनिया में बस जाता है
गमगीन माहौल में जब गम निकाल के आता है
एक अलग ही नशा छाता है जाने क्यू मजा आता है
सूख कम है दुनिया में गम ही गम है दुनिया में
फिर भी दुनिया जीती है गम में भी यारो पीती है
हार को जिसने ना देखा हो जीत कि वो क्यू बात करे
गम को जिसने झेला ना वह् क्या सूख का एहसास करे
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The Following User Says Thank You to yogesh For This Useful Post:
gsolanki9063 (January 28th, 2014)
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January 1st, 2014, 08:33 PM
#2
bhai nice one ... kisne likha hai ?
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