योग का व्यावहारिक रूप है संस्कृत भाषा के रहस्य।


संस्कृत बोलने मात्र से उक्त प्राणायाम अपने आप होते रहते हैं।


'' राम: फलं खादति।"


राम फल खाता है ,यह कहने से काम तो चल जायेगा,किन्तु राम: फलं खादति कहने से अनुस्वार और विसर्ग रूपी दो प्राणायाम हो रहे हैं।


यही संस्कृत भाषा का रहस्य है।


अत: कहा जा सकता है कि संस्कृत बोलना अर्थात् चलते फिरते योग साधना करना।


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