अपराध ...... नाम सुनते ही शरीर में कम्पन शुरू हो जाता है सिहरन सी होने लगती है। भय और घबराहट से शरीर ठंडा पङ जाता है, और आंखो के सामने घुमने लगते हैं वो विभत्स दृष्य जो अपराध के बाद एक ऐसी दहशत रह जाती है जो ना सोने देती ना चैन से रहने देती है। कहीं खुन से लथपथ पङी मासूम बच्ची की लाश तो कहीं इंतकाम की आग में किसी की दर्दनाक हत्या...जिससे सारे समाज में अराजकता का माहोल बना हुआ है। लोग इतने भयभीत हैं कि जब बेटी घर से निकलती है स्कूल जाये कालेज या फिर दफ्तर जब तक वो वापिस नही आती तब तक माता पिता को एक अंजाना भय लगा रहता है। पति बहार जाता है तो पत्नि बार बार फोन करके हाल चाल जानने की कोशिश करती है और पति उतना ही बैचेन है पत्नि के लिए कि कहीं कुछ घर में अनहोनी ना हो जाये, वृद्ध माता पिता भी घर में अकेले सुरक्षित नही हैं। आलम ये है कि हर व्यक्ति डरा हुआ है चाहे वह किसी समाज का हो, नोकर हो या मालिक. गरीब हो या अमीर चाहे वह किसी भी जाति, सम्प्रदाय या धर्म का हो सब असुरक्षित हैं। ऐसा नही है कि यह अपराध नाम की बिमारी अभी ही लोगो को अपना शिकार बना रही है। हर काल में समय समय पर अपराध अधर्म और पाप में वृद्धि हुई है लेकिन उस पर अंकुश भी लगा है।
भगवद्गीता में भी इस बात का स्पस्ट वर्णन है भगवान कहते हैं...... परित्राणाय साधूनाम विनाशाय च दुष्कर्ताम अर्थात
जब जब धरती पर अपराध बढेगा पाप बढेगा तो अपराध से लोगो की रक्षा के लिए हर काल में किसी न किसी रूप में किसी शक्तिशाली आत्मा के रूप में आकर रक्षा करता हुं। एक आम आदमी सीधे साधे व्यक्ति की रक्षा और अपराधियों पापियों को अपराधमुक्त करके समाज में शांति स्थापना करता हुं।
बढता अपराध एक बहुत बङी समस्या है सारे देश और दुनिया के लिए लेकिन हम लोगों ने बिजली पानी सङक मंहगाई और अपनी सुख सुविधाओं के चक्कर में फंसकर इस विकट समस्या को अनदेखा कर रहे हैं, और इस वात पर विचार नही करते की ये चीजे किसी की काम की नही अगर किसी अपराधिक वारदात का शिकार बन गये तो।
हमने भारत की बहुत सी जेलों, स्कूल में और गली मुहल्लें में घुम घुम कर बढते अपराध पर जानकारी हासील की और कारण को भी जानना चाहा। अपराध और नशा को आज की चकाचौंध भरी दुनिया में फलने फूलने का भरपुर मौका मिल रहा है। और मनुष्य को पता भी नही चलता कि उसके दिमाग में कैसे घर कर लिया और अंदर जाकर दीमक की तरह खोखला कर देता है।
हमने इस पर गहरा चिंतन और मंथन किया और उसके बाद अपराध मुक्त अभियान एक नई क्रांति के रूप में प्रारम्भ करने का निर्णय लिया। यह बहुत बङा काम है इसके कोई एक नही कर सकता इससे अकेला कोई नही लङ सकता। हमारा सभी का दायित्व है कि व्यक्ति घर परिवार और समाज की सुख, शांति, सुरक्षा और विकास के लिए इस अभियान का हिस्सा बनें।
बढता अपराध विस्व की समस्या बन गया है देश को आजाद कराने के लिए क्रांति की आवस्यकता पङी थी और आज समाज को अपराध से आजाद कराने में पहले से भी बङी क्रांति की जरूरत है और इसमें लाखों क्रांतिकारियों को आहुतियां देनी होंगी। यह संदेश जिसको भी प्राप्त हो वो समझे की प्रमात्मा का ही आदेश है और अपना यथायोग सहयोग दें। धन्यवाद