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Thread: हम किस रस्ते जा रहे है, उन्नति या पतन (आध्यात&

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  1. #1

    हम किस रस्ते जा रहे है, उन्नति या पतन (आध्यात&

    हम सभी को आत्म मन्थन करते रहना चाहए.

    क्या हमारा मन उन्नति के राते पर है (पवित्र विचारो का स्थान है) या पतन के रास्ते पर है (विकारों से ग्रस्त है) !!

    प्रेम, विनम्रता, निर्लोभ, ममता और स्वाभिमान को पवित्र विचार, और काम, क्रोध, लोभ, मोह और मद (घमंड) को विकार माना गया है !

    इन सभी में बहुत कम फासला होता है. तो हम ये कैसे जान पाए की हम कोंनसे विचार रखते है ?

    एक सरल तरीका है. हम इन विचारो के अध्ययन की बजाय इनके पूरे होने तथा टूटने की स्थति में हमारा मन का क्या होता है यह जानकार भी पता लगा सकते है.

    जैसे कुछ सवाल अपने आप से करे ...

    क्या हमें इन भावनाओ की पूर्ती होने पर आनंद, शांति, और संतुष्टि का अनुभव होता है; या भावना अतृप्त रहती है और हमें ज्यादा प्राप्त करने की लालसा बढती जाती है !!

    क्या इन भावनाओ के आहात होने, अपूर्त रहने पर हमें क्रोध आता है, हम अधीर हो उठते है, क्या हम कोई फैसला नहीं ले पाते (विवेक साथ नहीं देता). या क्या हम थोडा बैठ कर सोचते है की ऐसा कैसे हुआ, क्यों हुआ, और अगर हम किसी दूसरे तरीके से करते तो क्या अलग हो सकता था. क्या हम धीरज रख कर आत्म चिंतन करते है !!

    और सरल करने के लिए प्रेम और मोह को लेते है ....

    प्रेम की स्थिति में आप मिलन की स्थिटती में शांति, सुख का अनुभव करेंगे. आपका मन चिंता मुक्त होगा, मन में उल्लास होगा. मिलन नहीं होने के स्थिति में आप दुआ करेंगे, कुछ यादें ताज़ा करेंगे.
    इसके उलट काम की भावना कभी तृप्त नहीं होगी, और अपूर्ति क्रोध व आवेश को जन्म देगी. आप अपने आप को और सामने वाले को कोसेंगे.

    अब मोह की स्थिति में आप अपने (जिनसे मोह है) को, चाहे वो लायक हो या नहीं, सब कुछ देने का प्रयत्न करेंगे, और ये यत्न भी अतार्किक, तथा असंवधानिक, गैर-न्यायिक होगा. (वंशवाद) चाहे वो आपका ही अनादर क्यों न करे, सेवा न करे, सही बात ना माने, फिर भी आप बस बलिदान देने को उतारु हो.

    और ममता की स्थिति में आप प्यार के साथ-साथ अपने(जिनसे ममता, प्यार है) को ऐसा बनाने की कोशिस करेंगे की वो खुद सामर्थवान हो सके. बलिदान उस स्थिति में करेंगे जब समाज, देश को फायदा होता हो.
    Regards

    Shiv K. Chaudhary
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    The ultimate measure of a man is not where he stands in moments of comfort, but where he stands at times of challenge and controversy. .

  2. The Following 5 Users Say Thank You to shivamchaudhary For This Useful Post:

    Arvindc (December 7th, 2014), ayushkadyan (November 22nd, 2014), DrRajpalSingh (November 26th, 2014), narvir (February 17th, 2015), sukhbirhooda (November 27th, 2014)

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