एक बै एक चूहा जंगळ मैं घूमता-घूमता एक फौजियां के कैंप मैं बड़ जा सै। उड़ै एक फौजी अफसर अपणे जवानां नै मोटिवेट करण ताहीं कह रह्या हो सै अक दुश्मन ठाडा हो तै फेर भी उसतै घबराणा नी चहिए। खुद पै कॉन्फिडेंस हो तै बड्डे तै बड्डा दुश्मन भी हराया जा सकां सै अर कॉन्फिडेंस ना हो तै कमजोर दुश्मन तै भी हारना पड़ सकां सै। तै सारा सौद्दा कॉन्फिडेंस हो सै। चूहे नै या बात बहुत काम्मळ लाग्गै सै।
एक बै नु बणै सै अक एक बेफिक्री मैं लौटे हुए गादड़ की टांग पै एक हाथी का माड़ा सा पां पड़ जा सै। गादड़ नै बहुत छो आवै सै अर वो हाथी नै काटण भाजै सै। हाथी ऊह नै अपणी सूंड मैं लपेट कै एक ओड़ नै फेंक दे सै। गादड़ तगड़ी काल्ली मान जा सै अर हाथी नै सबक सिखाण की सोचै सै।
बदला लेण ताहीं वो गादड़ एक भेड़िया नै हाथी की सुपारी दे सै, पर भेड़िया कोनी तैयार होंदा। लकड़बग्घा भी हाथी गैल्ला रौळा करण तै पाच्छै हट जा सै। बात चूहे ताहीं भी पहुंचै सै। वो हाथी के नाम की सुपारी ले लै सै। गादड़, भेड़िया अर लकड़बग्घा बहुत हांसै सै, पर चूहा डिसअपोइंट कोनी होंदा। ऊह नै तै अपणे पै पूरा 'कॉन्फिडेंस' हो सै। तो वो पूरा प्लान बणा ले सै।
चूहा पेड़ पै चढ़कै हाथी पै कूदण की कोनी सोचदा। वो तै एक ऊंची पहाड़ी पै चढ़ जा सै। गादड़, भेड़िया अर लकड़बग्घा भी नु देखण नै एक कैन्ही लुक जा सै अक चूहा के करैगा। जद हाथी उस पहाड़ी के तळै तै गुजरै सै तै चूहा खागड़ की तरिया धरती मैं पंजे रगड़ कै नै सपीड बणावै सै अर हाथी की कमर पै कूदकै नै कह सै अक मेरी सासु के ल्या तन्नै आज मैं बताऊं। हाथी सोचै सै अक तेरी बेब्बे कै यो तै कोई घणा ई खतरनाक सौद्दा लाग्गै सै अर वो भाज्या नी थ्यांदा। चूहा उड़ै ई छिटक जा सै। गादड़, भेड़िया अर लकड़बग्घा भाज्जे-भाज्जे ऊह के धोरै पहुंचै सै अर उसतै पूछै सै अक रै यो चाळा तन्नै क्यूकर रप्या? चूहा कह सै अक सारी ना बुझ्या करै...अपणा-अपणा कॉन्फिडेंस हो सै...।