Izzazat ho to eek baat puchun?
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Hum se jo ishq sheekha tha tumne,
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Woh ab tum kis se karte ho
Izzazat ho to eek baat puchun?
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Hum se jo ishq sheekha tha tumne,
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Woh ab tum kis se karte ho
anilsangwan (November 29th, 2014), Arvindc (December 11th, 2014), Prikshit (December 11th, 2014), rajpaldular (December 15th, 2014), rekhasmriti (November 30th, 2014)
क्या फर्क है दोस्ती और मोहब्बत मे?
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रहते तो दोनो दिल मे हि है लेकिन,
फर्क बस इतना है...
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बरसो बाद मिलने पर.
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मोहब्बत नजर चुरा लेती है...
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और दोस्त सीने से लगा लेते है.
anilsangwan (November 29th, 2014), Prikshit (December 11th, 2014), rajpaldular (December 15th, 2014)
बड़ा अजीब होता है
ये मोहब्बत है खेल भी,
एक थक जाये
तो दोनों हार जाते है !
Last edited by vdhillon; December 11th, 2014 at 02:57 PM.
rajpaldular (December 15th, 2014)
मुझसे नफरत ही करनी है तो इरादे मजबूत रखना..
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जरा से भी चुके तो महोब्बत हो जायेगी.
rajpaldular (December 15th, 2014)
तेरे ते महोब्बत करनिया भी सोचेगा ……यो के होया मेरी गेल ........
The word "EQUAL" has no meaning in human life
Prikshit (December 12th, 2014), rajpaldular (December 15th, 2014), shivamchaudhary (December 12th, 2014), vdhillon (December 12th, 2014)
एक काम करना,थोड़ी सी मिट्टी लेना,
उससे दो प्यारे से दोस्त बनाना।
इक तुझ जैसा....एक मुझ जैसा....
फिर उनको तुम तोड़ देना।
फिर उनसे दोबारा दो दोस्त बनाना,
इक तुझ जैसा...एक मुझ जैसा...
ताकि तुझ में कुछ-कुछ मैं रह जाऊँ
और मुझ में कुछ-कुछ तुम रह जाओ।
कुछ तुम जैसा कुछ मुझ जैसा..
Arvindc (December 13th, 2014), ayushkadyan (December 13th, 2014), rajpaldular (December 15th, 2014), sjakhars (December 14th, 2014)
navdeepkhatkar (December 15th, 2014), vdhillon (December 13th, 2014)
-हरिवंशराय बच्चन की बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ--
"जब मुझे यकीन है के भगवान मेरे साथ है।
तो इस से कोई फर्क नहीं पड़ता के कौन कौन मेरे खिलाफ है।।"
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तजुर्बे ने एक बात सिखाई है...
एक नया दर्द ही...
पुराने दर्द की दवाई है...!!
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मंदिर में फूल चढ़ा कर आए तो यह एहसास हुआ कि...
पत्थरों को मनाने में,
फूलों का क़त्ल कर आए हम।
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गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने !
वहाँ एक और गुनाह कर आए हम !!
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जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन !
क्यूंकिएक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!.
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सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से..
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला !!!
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सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब....
बचपन वाला 'इतवार' अब नहीं आता |
जीवन की भाग-दौड़ में -
क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है ?
हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है..
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एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम
और
आज कई बार
बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है..
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कितने दूर निकल गए,
रिश्तो को निभाते निभाते..
खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते..
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"खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ,
लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह
करता हूँ..
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चाहता तो हु की ये दुनियाबदल दू ....
पर दो वक़्त की रोटी केजुगाड़ में फुर्सत नहीं मिलती दोस्तों
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युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे .
पता नही था की, 'किमत चेहरों की होती है!!'
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"दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं,
एक उसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'..
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" पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाताऔर दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।"
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किसी की गलतियों को बेनक़ाब ना कर,
'ईश्वर' बैठा है, तू हिसाब ना कर
rajpaldular (December 15th, 2014)
लोग कहते हैं की तुम्हारी आस्तीन में सांप है।
यारों मै क्या करूँ मेरा वजूद ही चन्दन का है।।
घुटन क्या चीज़ है, ये पूछिये उस बच्चे से,
"जो काम करता हैं, इक खिलौने की दुकान पर ।"
मैं बड़ो कि इज़्जत इसलिए करता हूँ
क्यूंकि उनकी अच्छाइयां मुझसे ज़्यादा है
और
छोटो से प्यार इसलिए करता हूँ,
क्यूंकि उनके गुनाह मुझसे कम है!!
वो धागा ही था जिसने छिपकर पूरा जीवन मोतियों को दे दिया...
और ये मोती अपनी तारीफ पर इतराते रहे उम्र भर.
rajpaldular (December 15th, 2014)
कैसे करूँ मुकदमा उस पर उसकी बेवफ़ाई का,
कमबख्त ये दिल भी उसी का वकील निकला !