भाई जी,
सच्ची बात तो ये है क़ि लोग हिन्दू धर्म में मिलने वाली छूट का भरपूर फायदा उठा रहे है| जिसकी जो मर्ज़ी है वो बोल देता है| कोई कहने सुनने वाला तो है नहीं| जिस धर्म का सम्मान उसके अनुयायी नही कर सकते और कोई क्या करेगा|
अगर तार्किक विश्लेषण करे तो हर धर्म में कुछ ना कुछ बुराइयाँ है| पर क्यो हम अपने धर्म को ही नीचा दिखाने पर तुले हुए है| अगर किसी को हिंदू धर्म में कुछ ग़लत दिखाई देता है तो आपको पूरी छूट है कि आप उस चीज़ को ना माने| कोई आपको किसी चीज़ को मानने के लिए बाध्य नही कर सकता| पर अफ़सोस है कि लोग हिंदू धर्म की हर ग़लत चीज़ का ठीकरा ब्राह्मणो के सर फोड़कर बच निकलने की कोशिश करते है|
ये तो वही हुआ जैसे हर घटना के पीछे आईएसआई का हाथ बताकर सरकार अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ ले|
क्या कभी हम अपने अंदर झाँककर देखेंगे| कि क्यो हम डेरो, बाबाओ के भक्त बन जाते है क्यूँ हम शिरडी तक पहुँच जाते है| यह हमारी व्यक्तिगत आस्था है| फिर इसका दोष धर्म को क्यों दिया जाए| कब तक हम अपनी ग़लतियो के लिए दूसरो को ज़िम्मेदार ठहराएंगे|
कभी तो जागेंगे हम हिंदू|