देहात का भी रिवाज न्यारा है।
गामां का जीवन हमने तेरे शहर तै प्यारा सै उल्टे
सीधे नाम निकलने
का भी स्वाद न्यारा है।
किसी कमजोर को पहलवान कहण का। दूसरे
की गर्ल फ्रैंड
को सामान कहण का। स्वाद न्यारा है। पहलवान
को माडू कहण
का। और फलों में आडू कहण का। स्वाद न्यारा है।
एक अन्धे को सूरदास कहण का। किसी लुगाई न
गंडाश कहण का।
स्वाद न्यारा है।
चादर को दुशाला कहण का। लंगड़े
को चौटाला कहण का। स्वाद
न्यारा है।
सब्जी को साग कहण का। और कालिए को नाग
कहण का। स्वाद
न्यारा है।
मसाला मुगंफली को नमकीन कहण का। और
बदसूरत को हसीन
कहण का। स्वाद न्यारा है।
मुनाफे को चाँदी कहण का गुंडे को गाँधी कहण का।
स्वाद
न्यारा है।
फूलों को झाड कहण का। रोडवेज को कबाड़ कहण
का।
झूठ को फराड कहण का। बणिये को करयाड कहण
का। स्वाद
न्यारा है।
पाकिस्तान को कायर कहण का अर 4 लेन लिख
क खुद न शायर
कहन का सुयाद न्यारा ह
By- anonymous