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Thread: दहेज रहित शादियों पर आपके विचार

  1. #1

    दहेज रहित शादियों पर आपके विचार

    कुछ समय से में यहाँ शादी कि लडके व लडकियों कि प्रोफाईलें पढ रहा हुँ और खुशी भी हो रही है कि बहुत से लडकों कि प्रोफाईलों पर दहेज न लेने के लिए लिखा है यह बहुत ही अच्छी बात है जबकि मेरे बच्चों कि शादी में अभी 5-6 वर्षों का समय है मेरी भी प्रबल इच्छा है कि मेरे लडके व लडकी कि शादी बिना दहेज लिए या दिए करुँ और उन्हे पुर्ण शिक्षित करके ही शादी करुँ, कृप्या मेरे इस विचार पर अपना वक्तव्य अवश्य दें
    It is better to remain silent at the risk of being thought a fool,
    Than to talk and remove all doubt of it .

    For success, attitude is equally as important as ability .

  2. The Following 14 Users Say Thank You to rakeshdhaka For This Useful Post:

    AryanPoonia (March 22nd, 2015), ayushkadyan (March 23rd, 2015), DrRajpalSingh (March 23rd, 2015), login4vinay (March 23rd, 2015), lrburdak (March 24th, 2015), ManjeetS (March 23rd, 2015), narvir (March 27th, 2015), Prikshit (March 23rd, 2015), RKhatkar (March 23rd, 2015), rohittewatia (May 2nd, 2015), rohtashbura (March 27th, 2015), rskankara (March 23rd, 2015), singhvp (March 23rd, 2015), sukhbirhooda (March 26th, 2015)

  3. #2
    Rakesh ji namste..
    Dowry system is a big problem in our community as it is already suffering from low sex ratio. Our social organizations and khaps should do something for abolition of dowry system . Your is a good step and it will be an inspiration for other Jats.
    जाट हमारा धर्म है, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार हमें UN Human Rights Charter व देश का संविधान देता है। नागपुरी डेरे के भक्तों के सस्ते ज्ञान की जरुरत नहीं हैं।.

  4. The Following 5 Users Say Thank You to AryanPoonia For This Useful Post:

    DrRajpalSingh (March 23rd, 2015), narvir (March 27th, 2015), rakeshdhaka (March 23rd, 2015), sukhbirhooda (March 26th, 2015), vijaypooniya (March 27th, 2015)

  5. #3
    दहेज की कुरीति अवश्य ही एक सामाजिक पिछड़ेपन और लिंगभेद की संकुचित सोच की उपज रही है ...जो हमारे समाज में और कहूँ तो जाटों के कुछ खास क्षेत्रों में नासूर की तरह फैली हुई है....पर पिछले कुछ समय में समाज की भौगोलिक, बौद्धिक और आर्थिक दशा और दिशा मे समय के साथ बदलाब आया है और आ रहा है...... आजकल हर जागरूक व्यक्ति शिक्षा पर ज़ोर दे रहा है, अगर खासकर हमारी बेटिया शिक्षित हो रही है...जैसे जैसे शिक्षा का प्रसार होगा इसके साथ ही साथ अवश्य ही इस कुरीति के खात्मा भी होगा.... साथ ही साथ समाज के खासकर पड़े-लिखे तबके में अपनी आडंबर और दिखाबे वाली मानसिकता में भी, धीरे धीरे ही सही, पर परिवर्तन हो रहा है ....आपके विचार बहुत अच्छे है, आपकी इच्छा अवश्य ही वास्तविकता का मूर्त रूप लेगी, ऐसी उम्मीद है ...
    जाट के ठाठ हैं .....

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    AryanPoonia (March 23rd, 2015), narvir (March 27th, 2015), Prikshit (March 23rd, 2015), rakeshdhaka (March 23rd, 2015), RKhatkar (March 23rd, 2015), sukhbirhooda (March 26th, 2015), ygulia (March 30th, 2015)

  7. #4
    आपकी सोच बिलकुल सही है i दहेज़ लेना और देना दोनों ही ओछापन, लालच, झूठी शान और संकुचित विचारधारा को दर्शाते हैं i पैसा बच्चों की पढाई लिखाई पर खर्च करो i ब्याह शादी में ज्यादा से ज्यादा अपने रिश्तेदारों, मित्रों और सगे सम्बन्धियों के लिए मेल मिलाप के इरादे से एक रात्रिभोज का प्रबंध कर दो और लड्डू जलेबी और पेठे की सब्ज़ी खिला दो तो काफी है i इस कुरीति के खिलाफ तो हमारी सामाजिक संस्थाओं को एकजुट होकर प्रस्ताव पास करना चाहिए i इस खामखाँ के लोग दिखावे में गरीब आदमियों की बिगड़ी हुई अर्थव्यवस्था ठप्प हो जाती हैं और उसे कर्ज़े में डुबो देती है i क्या फायदा ऐसी झूठी शान का i

  8. The Following 11 Users Say Thank You to singhvp For This Useful Post:

    Arvindc (March 23rd, 2015), AryanPoonia (March 23rd, 2015), ayushkadyan (March 23rd, 2015), DrRajpalSingh (March 23rd, 2015), lrburdak (March 24th, 2015), ManjeetS (March 23rd, 2015), narvir (March 27th, 2015), Prikshit (March 23rd, 2015), rakeshdhaka (March 23rd, 2015), rohittewatia (May 2nd, 2015), sukhbirhooda (March 26th, 2015)

  9. #5
    श्री राकेश ढाका जी द्वारा दहेज बारे सदस्यों के विचार आमंत्रित किए है | यह हमारी सामाजिक कुप्रथा के बारे आंकलन की सही कोशिश है | मेरी सभी प्रभागियों से विनती है कि पहले दहेज की सामाजिक व कानूनी परिपेक्ष मे परिभासित जरूर करनी चाहिये कि क्या क्या चीजे दहेज के दायरे मे आती है ओर क्या क्या चीजे गिफ्ट मे आती है क्योंकि कानूनी परिभाषा मे व सामाजिक परिभाषा मे दोनों मे अंतर है

    सधन्यवाद

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    DrRajpalSingh (March 23rd, 2015), lrburdak (March 24th, 2015), ManjeetS (March 23rd, 2015), narvir (March 27th, 2015), rakeshdhaka (March 23rd, 2015), sukhbirhooda (March 26th, 2015)

  11. #6
    Quote Originally Posted by rakeshdhaka View Post
    कुछ समय से में यहाँ शादी कि लडके व लडकियों कि प्रोफाईलें पढ रहा हुँ और खुशी भी हो रही है कि बहुत से लडकों कि प्रोफाईलों पर दहेज न लेने के लिए लिखा है यह बहुत ही अच्छी बात है जबकि मेरे बच्चों कि शादी में अभी 5-6 वर्षों का समय है मेरी भी प्रबल इच्छा है कि मेरे लडके व लडकी कि शादी बिना दहेज लिए या दिए करुँ और उन्हे पुर्ण शिक्षित करके ही शादी करुँ, कृप्या मेरे इस विचार पर अपना वक्तव्य अवश्य दें
    Not only Dowry, Maan-Taan lena dena etc etc is a root cause of all family problems. Ek aur problem hai, morality ki batien har koi karta hai par jab mile kise ne bhunda na laagta, aur na mille se jarur lag ja hai :P
    -- Freedom is not worth having if it does not include the freedom to make mistakes.
    -- When you talk, you are only repeating what you already know. But if you listen, you may learn something new.

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    ayushkadyan (March 23rd, 2015), narvir (March 27th, 2015), rakeshdhaka (March 23rd, 2015), rekhasmriti (March 26th, 2015), sukhbirhooda (March 26th, 2015), vijaypooniya (March 27th, 2015)

  13. #7
    Quote Originally Posted by singhvp View Post
    आपकी सोच बिलकुल सही है i दहेज़ लेना और देना दोनों ही ओछापन, लालच, झूठी शान और संकुचित विचारधारा को दर्शाते हैं i पैसा बच्चों की पढाई लिखाई पर खर्च करो i ब्याह शादी में ज्यादा से ज्यादा अपने रिश्तेदारों, मित्रों और सगे सम्बन्धियों के लिए मेल मिलाप के इरादे से एक रात्रिभोज का प्रबंध कर दो और लड्डू जलेबी और पेठे की सब्ज़ी खिला दो तो काफी है i इस कुरीति के खिलाफ तो हमारी सामाजिक संस्थाओं को एकजुट होकर प्रस्ताव पास करना चाहिए i इस खामखाँ के लोग दिखावे में गरीब आदमियों की बिगड़ी हुई अर्थव्यवस्था ठप्प हो जाती हैं और उसे कर्ज़े में डुबो देती है i क्या फायदा ऐसी झूठी शान का i

    Thanks for writing good thought.

    dowry ki waja se hi Ladkiya kam hai smaaj main. sirf dowry hi nhi shaadi ke bad hone wale holi, diwali wale waane bhi. Or ye sab garib insaan ke liye bahut muskil hota hai. Bahut sari ladies itna pareshan kar diya jata hai wo suicide kar leti hai, Unhe pata hota hai wo unke maa-baap ke pass kuch nhi. kha se leke ayegi to wo kimmat aapni jaan se chuka deti.

    # I don't feel giving something is dowry. If I would have daughter then diffidently I would love to support her whole life.

    # 2nd Asking something is dowry. There are lot of bad people who ask for money after marriage.

    But supporting or giving something to your daughter, sister. Don't dowry.


    I am very agree. Marriage should be very simple and dowryfree. Apne jo expensive karne hai shaadi pe, In laws pe or Furniture etc pe. Ap pasie aap aapni beti ko de sakte hai shaadi ke settle hone per. taki uski ek strength bani rhi.

  14. The Following 6 Users Say Thank You to ManjeetS For This Useful Post:

    Arvindc (March 24th, 2015), rakeshdhaka (March 23rd, 2015), rohittewatia (October 18th, 2015), sanjeev1984 (March 25th, 2015), singhvp (March 24th, 2015), sukhbirhooda (March 26th, 2015)

  15. #8
    Quote Originally Posted by rakeshdhaka View Post
    कुछ समय से में यहाँ शादी कि लडके व लडकियों कि प्रोफाईलें पढ रहा हुँ और खुशी भी हो रही है कि बहुत से लडकों कि प्रोफाईलों पर दहेज न लेने के लिए लिखा है यह बहुत ही अच्छी बात है जबकि मेरे बच्चों कि शादी में अभी 5-6 वर्षों का समय है मेरी भी प्रबल इच्छा है कि मेरे लडके व लडकी कि शादी बिना दहेज लिए या दिए करुँ और उन्हे पुर्ण शिक्षित करके ही शादी करुँ, कृप्या मेरे इस विचार पर अपना वक्तव्य अवश्य दें
    Bhaishaab bahut badiya. Asie karne se aap or bhi bahut log ki soch badal sakte ho. Good move.

  16. The Following 2 Users Say Thank You to ManjeetS For This Useful Post:

    rakeshdhaka (March 23rd, 2015), sukhbirhooda (March 26th, 2015)

  17. #9
    मेरी मान्यता है कि शादि विवाह के पुराने रीति रिवाज ही आगे जाकर दहेज का रूप लेते गए | जाट समाज मे लड़की वालों से दहेज को रीतियों के रूप मे ही पिरोया जाता था | समान्यत: साधारण जाट परिवारों मे दहेज माँगने या चाहने का प्रचलन आम नहीं था; हाँ यदि कोई अच्छा खर्च करता था तो उसे मान बड़ाई जरूर मिलती थी व इसकी चर्चा आपस मे होती थी | बहुत पुराने समय की तो मुझे थोड़ी बहुत ही जानकारी है वह भी सुनी सुनाई लेकिन मैंने जो देखा वह सन 1965-70 के आसपास का है जब जाटों का शहरिकरण बहुत कम था | मुझे याद आता है उसमें लड़की का ताऊ/दादा आदि लड़की के लिए योग्य वर देखने जाते थे, योग्य लड़का व अच्छा घर मिलने पर लड़के के हाथ रुपया दे देते थे ओर सगाई के लिए घर जाकर विचार विमर्स के बाद दिन/तिथि की सूचना भिजवादेते थे | सगाई मे आमतौर पर चाँदी का एक रुपया या सामान्य करेंसी के 1,11;51;101; (कोई कोई-1100) रु व नारियल लड़के को दिये जाते थे | रीति रिवाजों के नाम पर लड़के के परिवार के सभी सदस्यों कि मान (गिफ्ट/भेंट) करनी होती थी जो 1 रु; 2 रु; 5 रु; प्रति सदस्य (बड़े नाते वालों को 5 रु सबसे छोटे नाते वालों को 1 रु) उस समय तक लड़की की गोद भराई का कोई विशेश रिवाज नहीं था लेकिन रीति अनुसार लड़की को पहनने के 2-3 जोड़ी कपड़े एकाध छोटा मोटा गहना आदि भेंट स्वरूप देते थे जिसमे लड़के की माता बहन चाचा/ताऊ अधिकतम 2-3 सदस्य जाते थे व ये लोग लड़की को 11/21/51 रु देते थे ओर लड़की वालों की तरफ से इसका दोगुना नगद कैश वापिस दिया जाता था तथा एक-एक सादी चद्दर आदमी को व सादा सूट जनानियों को |

    उस समय तीन मुख्य भेंटे थी जो लड़की वालो को लड़के या लड़के के परिजनो को नकद रूप मे दी जाती थी, 1-सगाई, 2-टेवा या लग्न, 3-विदा या दान; बाद मे इसमे कुछ ओर जुड़ती गयी जैसे जय माला, मिलनी आदि | यह मान्यता थी कि इन तीनों रिवाजो मे नकद राशि एक समान होगी जैसे 101,501,1100 (या कोई कोई-5100) उस समय समान्यता यह राशि रु 101 होती थी | बाद मे सामाजिक लेवेल के अनुसार यह 1100 रु तक देखी गयी | इस समय फ़र्निचर इलैक्ट्रिक आइटम या वाहन आदि शादी मे कुछ नहीं दिया जाता था | दहेज के स्टेटस सिम्बल मे शामिल हुई घड़ी-अंगूठी-रेडियो-साइकल, इतने को चर्चा मे कहते थे बहुत खूब ब्याह कर दिया | सभी बरातियों को भेंट स्वरूप एक रुपया व गिलास लड़की वालों की तरफ से दिया जाता था | बारात के समय लड़के वालों की तरफ से लड़की के लिए साड़ी सूट शाल व अन्य कपड़े दिये जाते थे | लड़की के लिए समस्त गहने लड़के वालों की तरफ से दिये जाते थे जो परिवार की आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता था | एक , दो या तीन साल बाद लड़के का मुकलावा (गोणा/लड़की को ससुराल भेजने) का समय आता था जिसका अंतराल लड़की की उम्र व लड़की वालों के खर्च यौग्य प्रबन्ध पर निर्भर करता था | इसमे दी जाने वाली वस्तुए व घरेलू सामान दहेज कहलाता था | इसमे लड़की के खुद के पहनने के सूट/कपड़े ननद सास ससुर व देवेरों के 1-2 कपड़े चादर शाल आदि | लड़के के दादा, दादी, बुवा, मामी, मामा आदि को भी इसमे शामिल किया जाता था जिनके भी एक जोड़ी कपड़े या चादर या दोनों लडकी वालों की तरफ से दहेज मे दी जाती थी | उस समय लड़की वालों कि तरफ से लड़की को कोई गहना नहीं दिया जाता था, कोई-कोई परिवार नाक का कोका या कानो की बाली कन्यादान के रूप मे लड़की को दे देते थे | घरेलू सामान मे सन्दुक/पेटी पिड्ढा, चरखा जरूरी घरेलू बर्तन जैसे परांत, थाली, गिलास, कटोरी, पतीली, कढ़ाई टोकनी, बाल्टी व रसोई के जरूरी बर्तन कुल संख्या 20-25 तक व एक-दो बिस्तर/यानि रज़ाई गदेला |

    मैंने बचपन मे इससे ज्यादा दहेज हिसार जिले के जाटों मे नहीं देखा था लेकिन सिरसा साइड मे कुछ इससे ज्यादा सुना जरूर था | यह भी सत्य है की साधारण जाट किसान परिवार को शादी व मुकलावे के इस खर्च के लिए भी बहुत जद्दोजहद व मेहनत करनी पड़ती थी | कई बार आकाल या कमजोर पैदावार के कारण शादी या मुकलावा आगे टहलाना पड़ता था |

    मैंने देखा उस समय के दूल्हा व दुल्हन मुकलावे के बाद संसारिक समस्याओं से बहुत दूर अपनी अल्हड़ जवानी मे मस्त रहते थे | वो मस्ती व बेफिक्री मुझे आजकल कहीं भी नजर नहीं आ रही है |
    क्रमश॥

    धन्यवाद |

  18. The Following 9 Users Say Thank You to RKhatkar For This Useful Post:

    anil_rathee (June 3rd, 2015), ayushkadyan (March 24th, 2015), harpaljulani (April 16th, 2015), lrburdak (March 24th, 2015), ManjeetS (March 23rd, 2015), narvir (March 27th, 2015), rakeshdhaka (March 23rd, 2015), ssgoyat (March 25th, 2015), sukhbirhooda (March 28th, 2015)

  19. #10
    आप सबके विचार जानकर बहुत प्रसन्नता हुई क्या एसा हो सकता है कि हम सब जाटलैंड के बैवसाईट एडमिनिस्ट्रेटर से प्रार्थना करके एक कालम दहेज...हाँ...ना.. का भी एड करवा सकते हैं
    It is better to remain silent at the risk of being thought a fool,
    Than to talk and remove all doubt of it .

    For success, attitude is equally as important as ability .

  20. The Following 3 Users Say Thank You to rakeshdhaka For This Useful Post:

    ManjeetS (March 24th, 2015), rohittewatia (May 2nd, 2015), sukhbirhooda (March 28th, 2015)

  21. #11
    Quote Originally Posted by rakeshdhaka View Post
    आप सबके विचार जानकर बहुत प्रसन्नता हुई क्या एसा हो सकता है कि हम सब जाटलैंड के बैवसाईट एडमिनिस्ट्रेटर से प्रार्थना करके एक कालम दहेज...हाँ...ना.. का भी एड करवा सकते हैं
    I think so it's possible. Admin can add poll option.

  22. The Following 3 Users Say Thank You to ManjeetS For This Useful Post:

    rakeshdhaka (March 28th, 2015), rohittewatia (May 2nd, 2015), sukhbirhooda (March 28th, 2015)

  23. #12
    यह एक अच्छा थ्रेड शुरू किया है। हमें यह स्वयं तय करना है कि हम दहेज नहीं लेंगे। आप तैयार होंगे तो आपके साथ और भी गाँव और समाज के लोग तैयार हो जाएंगे। मुखी समस्या आगे खड़े होने की है। हाँ इसमें शुरू में कुछ विरोध होगा पर विरोधी लोग भी धीरे-धीरे लाइन मैं आ जाते हैं। मैं यह कर चुका हूँ। मैंने बच्चों की शादी में दहेज नहीं लिया और नहीं दिया। मैनें गाँव में पिताजी के देहांत पर मृत्यु भोज भी बंद किया। कुछ विरोध के साथ मैं बंद करने में सफल रहा।अब लोगों को आराम हो गया। इसमें युवा और बुजुर्ग तथा समाज सबका सहयोग चाहिए। इससे सामाजिक बुराईयों को बंद करना आसान हो जाएगा।
    Laxman Burdak

  24. The Following 10 Users Say Thank You to lrburdak For This Useful Post:

    cooljat (March 25th, 2015), narvir (March 27th, 2015), Prikshit (March 25th, 2015), rakeshdhaka (March 28th, 2015), RKhatkar (March 25th, 2015), rohittewatia (May 2nd, 2015), shivamchaudhary (April 13th, 2015), singhvp (March 24th, 2015), ssgoyat (March 25th, 2015), sukhbirhooda (March 28th, 2015)

  25. #13
    जाटों मे शादी विवाह में लेन देन की शरूआत |

    मेरे हिसाब से जाटों मे शादी विवाह मे लेन देन की शरूआत जाटों के शहरीकर्ण तथा ग्रीन/कर्ज रेवोल्यूशन से शरू हुई यह समय 1975-80 का था | इसका असर सगाई से ही शरू हो गया | जहां पहले सगाई मे नकद राशी जो समान्यत: 101 रु या कहीं कहीं 1100 रु थी वह 1100 रु आम हो गयी व कहीं-2 5100 हो गई | सगाई के समय लड़की वालों की तरफ से लड़के व उसके बाप को सोने की अंगूठी की गिफ्ट आम तोर पर जुड़ गयी | लड़के के परिवार के न सम्मान की राशि 11-21-51-101 तक पहुंच गयी |

    लड़की की गोद भराई मे 2-3 कि बजाए 15-20 लोग जाने लगे तथा लड़की को कैश भेंट भी समान्यत: रु 5-11 की बजाय रु 101 देना शरू कर दिया व लड़के वालों को रु 201 वापिस मिलने लगे इस तरह गोद भराई का खर्च भी उसी अनुपात मे बढ़ गया | लड़के वालों को मिलने वाली चादर साधारण से गर्म चादर मे बदल गयी आदमियों के कपड़े सफारी सूट मे बदल दिये लेडिज के सूट कि क्वालिटी भी महंगी हो गयी | गोद भराई का फंकशन एक महंगे उत्सव मे बदल गया |

    इस दौर मे देखा गया कि जाट परिवार लड़की वालों द्वारा संभावित शादी के खर्च का जायजा लेने लगे व खोल बांद करने लगे | बरातियों की संख्या मे बहुत दिखावा होने लगा | बारात के खाने व सजावट पर खर्च की दौड़ शरू होने लगी | शादी की पुरानी तीन मुख्य भेटों को चार मे बदल दिया व कही कही ये पाँच मांगी जाने लगी जिनमे सगाई-लगन-मिलनी-जयमाला-दान (जयमाला खर्च कहीं-2 इस गिनती मे नहीं आता था) | इनकी भेंट राशियाँ भी बढ़ कर सगाई मैं 5100 से 11000 (पहले-1100), लगन मे 1100 से 2100 (पहले 1100), मिलनी 2100 से 5100 (पहले-1100), जयमाला 1100 से 2100 (पहले 0) दान 5100-11000 | इनके साथ शामील हुआ दहेज का घरेलू सामान जो मेज कुर्सी | डबल बेड | ड्रेससिंग टेबल | सकूटर | घरेलू बर्तन सटील के हो गए व इनकी संख्या 20-25 से बढ़ कर 40-50 हो गयी | जो समान पहले मुकलावा (गौणा) मे दिया जाता था वो अब शादी मे ही दे दिया जाने लगा उस सामान व कपड़ों बर्तन आदि की कीमत व संख्या दोनों बढ़ गयी |

    यहाँ दोनों परिवारों के संबंध के बीच मे लेन देन के उलहाने शरू हो गए ओर दूल्हा दुल्हन एक-दूसरे की बजाय पारिवारिक उलहानों मे फस गए | पुराने समय की मस्ती फीकी होने लगी |

    क्रमश..

    धन्यवाद
    Last edited by RKhatkar; March 25th, 2015 at 08:34 PM.

  26. The Following 5 Users Say Thank You to RKhatkar For This Useful Post:

    harpaljulani (April 16th, 2015), lrburdak (March 26th, 2015), op1955 (March 25th, 2015), Prikshit (March 26th, 2015), sukhbirhooda (March 28th, 2015)

  27. #14
    ऐसा नहीं है कि जाटों मे दहेज का भूत आराम से अपना काम करता रहा | बदले हालातों मे जाटों की सामाजिक पंचायतें होती रही | इस दानव को संगठित चुनौतियाँ भी दी गयी | हमारे गाँव मे विभिन्न सामाजिक उत्सवों पर एक हरियाणावी लोक गीत बहुत प्रचलित हुआ सारा गीत तो याद नहीं पर जो याद है वह इस प्रकार है :

    पब्लिक कि पंचायत हुई गाम सुसाने मे ..... पाँच बरती आ जायांगे अगले क दलिया खा ज्यांगे ...

    यह गीत उस समय सोनीपत जिले के सुसाणा गाँव मे हुई समस्त जाट खाप पंचायत मे विवाह शादियों के रीति रिवाजो के फैसलों पर आधारित था |

    ओर इस पंचायती फैसले के बाद शादि मे गिनती के पाँच बाराती जाने लगे व सादा खाना व सादा विवाह होने लगा | कोई दान दहेज लेन देन नहीं | यह रिवाज 1964-69 तक चला | में भी ऐसी दो शादियों मे गया | एक बार मेरे दो चाचों कि शादी 1964 मे थी जिसमे हम दूल्हो व बच्चों समेत 11 आदमी थे | हमारी चाची का ताऊ जो उस समय सेना मे कर्नल था उसने मज़ाक मे कहा बराती तो ग्यारह है | मेरे ताऊ ने कहा दो लड़को की शादी है ओर एक ड्राईवर है | दूसरी बार मै 1967 मे मेरे ताऊ के लड़को की शादी मे गया जिसमे भी दो लड़कों की शादी मे हम सभी 10 बराती थे |

    समय के साथ साथ ब्योंत वाले लोगो ने धीरे धीरे इस रिवाज को कमजोर कर दिया ओर माना जाने लगा कि यह रिवाज अब गरीबों की रह गयी | जाटों मे छोटा बनकर कोई नहीं रहना चाहता था अत: इस रिवाज का अंत हो गया | फिर भी पर्यास होने लगे कुछ खापों ने इसके बाद एक रूपया नारियल की शादी के रिवाज चलाने की कोशिश की कुछ समय तक यह चला भी | सतरोल खाप व बारह खाप (हिसार जिले के नारनोंद व राखी गढ़ी कि खापे) इस रिवाज के लिए लंबे समय तक पंचायतें करते रहे व यह रिवाज इस एरिया मे वर्ष 1980-85 तक चला | साउथ हरयाणा के कुछ ओर जिलों मे भी रुपया नारियल का सिस्टम इन्ही दीनो खूब चला लेकिन ब्योंत वाले व अकड़ू किस्म के जाटों के कारण यह रिवाज भी बैठ गया |

    लगता नहीं कोई ऐसी नई सोच किसी सामाजिक संगठन मे आजकल चल रही हो | लेकिन इसपर नए सिरे से पहल करने की जरूरत है | मै सिरसा डेरे के फ्लैट्स मे कुछ समय रहा हूँ | मै डेरे के किसी भी वाद-विवाद से अलग रहकर कहना चाहता हूँ कि मैंने वहाँ एक सौ रुपए से भी कम की शादी देखी एक नहीं अनेक ! शादी करने वाला जोड़ा व दोनों के परिजन सत्संग के दौरान सारी संगत के सामने शादि की वरमाला एक दूजे को पहनाते है व ये फूलों की वरमलाए भी डेरा उपलब्ध करवाता है तथा बाबाजी संगत के सामने जोड़े को विवाह का आशीर्वाद देते है |

    क्रमश...

    धन्यवाद

  28. The Following 4 Users Say Thank You to RKhatkar For This Useful Post:

    Arvindc (March 28th, 2015), harpaljulani (April 16th, 2015), rakeshdhaka (March 28th, 2015), sukhbirhooda (March 28th, 2015)

  29. #15
    Quote Originally Posted by rakeshdhaka View Post
    कुछ समय से में यहाँ शादी कि लडके व लडकियों कि प्रोफाईलें पढ रहा हुँ और खुशी भी हो रही है कि बहुत से लडकों कि प्रोफाईलों पर दहेज न लेने के लिए लिखा है यह बहुत ही अच्छी बात है जबकि मेरे बच्चों कि शादी में अभी 5-6 वर्षों का समय है मेरी भी प्रबल इच्छा है कि मेरे लडके व लडकी कि शादी बिना दहेज लिए या दिए करुँ और उन्हे पुर्ण शिक्षित करके ही शादी करुँ, कृप्या मेरे इस विचार पर अपना वक्तव्य अवश्य दें
    Rakesh Ji aapke vichar ache hain. Shadi to dehaj bina he honi chahiye per aajkal aise bot se case hote hain ki bolne me bolte hain ki hume dehaj ni chahiye lekin jab ladki dekhne jate hain to baat baat me bol dete hain ki humne apne ladke per itna kharch kiya, inke chacha k ladke ko gadi mili hai, hume kuch ni chahiye jo do apni ladki ko do etc etc, inse to saaf pata chalta hai ki inki incha h dehaj lene ki.

    Aur Delhi side me maine kuch frnds se suna h ki waha to direct he bolte hain ki "car to normal si baat hai, aap apni ladki ko kya doge"....ye to hadh he ho gyi


    Aajkal khul kar dehaj mangne wale bot kam hote hain leking indirectly unko dehaj chahiye.

    yaha jo profiles aap padh rahe hain unko call kr k dekhna to aapko pta chalega ki profile kisi k chacha ne to kisi k foofa ya mama ne bana rakhi hai, aur jab ladke k parents k contack me aaoge tab pta chalega ki actual scene kya hai.
    Regards

    VIKAS DHANKHAR





    THE MOST DANGEROUS THING IN THE WORLD IS AN IDEA.:rolleyes:
    THE MOST DANGEROUS PERSON IN THE WORLD IS ONE WITH AN IDEA....!!!!!!
    :rolleyes:

  30. The Following 6 Users Say Thank You to vikasJAT For This Useful Post:

    harpaljulani (April 16th, 2015), ManjeetS (March 27th, 2015), rakeshdhaka (March 28th, 2015), RKhatkar (March 26th, 2015), sukhbirhooda (March 28th, 2015), vijaypooniya (March 27th, 2015)

  31. #16
    Quote Originally Posted by rakeshdhaka View Post
    कुछ समय से में यहाँ शादी कि लडके व लडकियों कि प्रोफाईलें पढ रहा हुँ और खुशी भी हो रही है कि बहुत से लडकों कि प्रोफाईलों पर दहेज न लेने के लिए लिखा है यह बहुत ही अच्छी बात है जबकि मेरे बच्चों कि शादी में अभी 5-6 वर्षों का समय है मेरी भी प्रबल इच्छा है कि मेरे लडके व लडकी कि शादी बिना दहेज लिए या दिए करुँ और उन्हे पुर्ण शिक्षित करके ही शादी करुँ, कृप्या मेरे इस विचार पर अपना वक्तव्य अवश्य दें
    मेरे ख्याल मे बदलते वक़्त को देखते हुए आपको इस बात पर ज्यादा गौर फरमाना चाहिये की शादी से पेहले ऐसे क्या एहतियात बरते जाये की आप बाद भविष्य मे झूटे दहेज की धमकियो व केस से कैसे बचे।

    प्रोफाइल मे भी लिख लोगे, लोगे भी नहीं. गोद मे भी शादी करने का प्रस्ताव रख दोगे...परंतु फिर भी। आगे?

    .
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    .
    .
    .
    PS: Personal Experience
    If someone has to kill you, he has to beat you first.

  32. The Following 8 Users Say Thank You to ssgoyat For This Useful Post:

    anilsangwan (April 7th, 2015), Arvindc (March 28th, 2015), lrburdak (March 29th, 2015), ManjeetS (March 30th, 2015), narvir (March 27th, 2015), rekhasmriti (March 28th, 2015), RKhatkar (April 3rd, 2015), rohittewatia (October 18th, 2015)

  33. #17
    विकास भाई हम तिनों भाईयों कि शादी में भी हमने दहेज नहीं लिया था..
    It is better to remain silent at the risk of being thought a fool,
    Than to talk and remove all doubt of it .

    For success, attitude is equally as important as ability .

  34. The Following 3 Users Say Thank You to rakeshdhaka For This Useful Post:

    lrburdak (March 29th, 2015), ManjeetS (March 30th, 2015), RKhatkar (April 3rd, 2015)

  35. #18
    मेरा एक सवाल अपने आपमे बचा हुआ है दहेज नहीं॥ सही है ! तो फिर नव विवाहित जोड़े को उनकी नई ज़िंदगी की गृहस्थी शरू करने मे कौन सहायक हो |
    उधारण लड़का उम्र 26 वर्ष अपनी पढ़ाई पूरी करते ही दो साल से अपने घर से दूर नौकरी करता है बचत 2 लाख | उसकी मंगेतर उम्र 24 वर्ष अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एक साल से उसी शहर (जहां लड़का रहता है) या अलग शहर मे नौकरी करती है बचत 1 लाख | दोनों अपने अपने पीजी मे रहते है | अब सवाल आता है कि वे दोनों अपनी अपनी बचत शादी मे खर्च करे या दोनों अपने अपने माँ बाप से शादी का खर्च उठाने की कहे या सभी मिलजुल कर करें | आज के दिन सिम्पल शादी का लड़की के परिवार का व लड़के के परिवार का न्यूनतम खर्च बिना दहेज बिना गहने बिना लेन देन के कम से कम क्या हो सकता है यदि यह भी मान लिया जाए कि शादी प्रबंध इकट्ठा 50:50 कर लिया जाए तो भी 300 मेहमानो का खाने सजाने बंकेटहाल आदि का सारा खर्च कम से कम 3-4 लाख आयेगा | यदि बहन भाइयो आदि को गिफ्ट देवें, अपनी अपनी ड्रेस आदि बनवाए तो फुटकर मदों सहित दोनों परिवारों का खर्च 2-3 लाख | कुल 5-7 लाख रु | यानि दोनों बच्चे अपनी जमा पूंजी खर्च करके अपने अपने घरवालों का भी लगभग उतना ही खर्च करवा देगे |
    चलो, शादी से निपटे, अपना अपना सामान लेकर घर बसाने | उनकी ग्रहस्थी जचाने मे किसको उनकी मदद करनी चाहिए | लड़के के पिता को, जिसे अब अपने छोटे बेटे कि पढ़ाई व दाखले का प्रबंध करना है | यानि उसके पास अब जो बचा है या आगे होगा वह है छोटे बेटे का | लड़की के पिता ने भी अपनी जुम्मेवारी निभा दी है अब उसे भी अपने छोटे बेटी या बटे का कैरियर पर ध्यान देना होगा व उसे सेट करना होगा |
    मान लेते है कि दोनों परिवारों की वित्तीय स्थिति एक समान व ठीक ठाक है | दोनों के माँ बाप तो आराम दायक बेड पर कूलर के नीचे सोएगे अपनी पुरानी कार मे बाजार भी चले जाएंगे | फ्रिज का ठंडा पानी भी पी लेंगे पहले की तरह सब काम चलते रहेंगे लेकिन क्या ये दोनों बच्चे दोबारा अपने अपने पीजी मे जाएंगे या जमीन पर सो कर धीरे धीरे घर जरूरत की जरूरी वस्तुए इकठी करनी शरू करेंगे |
    मै दहेज समर्थक नहीं हूँ | दहेज के खिलाफ रहा हु | फिर भी माता पिता का अपने बच्चों के प्रति कुछ पारिवारिक/सामाजिक उत्तर दायित्व एवं जिम्मेदारियाँ होती है जिनको परिभाषित किया जाना जरूरी है | इसका मतलब यह नहीं है कि लड़की के माँ बाप यह तस्सल्ली न करें कि हमारी लड़की सेट हुई या नहीं ओर न ही लड़के के माँ बाप किनारा कर लें कि हमने तो कुछ लिया ही नहीं |
    दहेज रहित शादी तभी कामयाब है जब या तो लड़का अपनी आर्थिक दशा मजबूत करने के बाद शादी करे या लड़के के घर वाले दुल्हन के आने से पहले अपने बेटे का घर जरूरी समान के साथ तैयार करदे | लड़की के माता पिता को भी यह जान लेना चाहिये की शादी के बाद उनकी बेटी को रहने लायक जरूरी साजो समान के साथ ठीक जगह या घर मिल जाएगा |
    लेकिन सबसे आसान व कारगर रास्ता किसी भी मंदिर आश्रम या कोर्ट मे बच्चों की शादी करवा दो, नहीं तो फिर बुजुर्गों की तरह पाँच बराती व एक रुपया नारियल | फिजूल खर्च के पैसों से उनके लिए घरेलू जरूरी साजो सामान लेकर उनका घर जचवाए खुद भी मौज से रहे बच्चो को भी मौज करने दें | अपने रिसतेदारों को भी टेंशन फ्री रहने की कह दें |
    इति:

    धन्यवाद |

  36. The Following 6 Users Say Thank You to RKhatkar For This Useful Post:

    anil_rathee (June 3rd, 2015), harpaljulani (April 16th, 2015), lrburdak (March 30th, 2015), rakeshdhaka (April 2nd, 2015), rskankara (March 29th, 2015), shekharjat (April 19th, 2015)

  37. #19
    I am curious about one thing. Why woman don't have right to keep property?

    Husband don't dare to give them half property after marriage?
    Daughter don't take her father property share?

    This thought totally different from dowry. I just want to know. Where is the part of woman?

    Is there anyone who gave his property share to his wife within 2-3 year after marriage? I am really sorry but there are thousands woman who don't rises their voice because because they know that if they will try to move on. They wouldn't be able to survive financially.





  38. The Following User Says Thank You to ManjeetS For This Useful Post:

    RKhatkar (April 3rd, 2015)

  39. #20
    In 1961 I guess IG has passed law that Daughters would also have right to inherit parental property .
    This is their personal choice .....daughters let their right transfer to their brothers .......

    Even in Marriage in case things go south ......wife can claim rights of spouse property or money or any other assets .

    Above as per Law .....now IMO :
    Parental Property need to be given only to that child who support his/her Elderly Parents .....for rest Make Their Own .
    In marriage .....this is tricky .....I believe if wife in financially independent then no such claims need to be processed . If there is any child ....only child should have right to claim so .

    Trust .....world is mix of people some would let go theirs .....and some would kill for which is not rightful theirs .

    Money / Assets / Property ......necessary evils they kill the Essence of Any relationship .

  40. The Following User Says Thank You to rekhasmriti For This Useful Post:

    RKhatkar (April 3rd, 2015)

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