5 मई के दैनिक ट्रिब्यून में एक खबर पढ़ी जो की पंजाबी सभा की तरफ से थी | पंजाबी सभा के प्रदेशाध्यक्ष मनमोहन आज़ाद ने कहा कि जाट आरक्षण के हकदार नहीं हैं , सरकार को जाटों के आरक्षण की सिफ़ारिश नहीं करनी चाहिए अगर सरकार ने ऐसा किया तो उन्हे मजबूर हो कर आंदोलन करना पड़ेगा |
मुझे आजतक हरियाणा में इस पंजाबी सभा के मायने समझ नहीं आए की यह कौन से पंजाबी हैं ? और इन पजाबियों में कौन कौन सी बीरदारी के लोग हैं ? जहां तक मैंने देखा हैं इस सभा के नाम से जितनी भी खबर लगती हैं उसमें किसी पंजाबी जाट का , कंबोज का , लुभाने का या पंजाबी मजहबी सिक्ख का नाम नहीं देखा ! जो नाम आते हैं उनमे मनचन्दा , खन्ना , अरोड़ा , बत्रा , सहगल , भल्ला आदि जैसे नाम होते हैं , जो की ना तो जाटों के गोत्र हैं और ना ही मजहबी सिक्खों के , फिर ये कौन से पंजाबी हैं ? हरियाणा में ये जीतने भी अपने आप को पंजाबी बताते हैं पंजाब में इनको भाप्पा बोलते हैं और पंजाब में इन पर एक कहवात भी हैं ' एक भाप्पा सो स्यापा ' , यह सब भाप्पे झंग , मूलतान , लाहौर , सियालकोट से आए हैं और अरोड़ा-खत्री जाति के लोग हैं | यह लोग जब से हरियाणा में आए हैं तब से ही अपनी जाति छुपा रहे हैं और इस पंजाबियत की आड़ लिए हुए हैं ! जाति छुपाना और पंजाबियत की आड़ लेना इनकी मजबूरी हैं और उसके पीछे इतिहास हैं | यह लोग जाटों के विरुद्ध आज कोई नया जहर नहीं उगल रहे , ऐसा ही जहर यह लोग चौधरी छोटूराम के वक़्त भी उगलते थे | चौधरी छोटूराम को यह लोग हिटलर कहते थे , जवाब में चौधरी छोटूराम इन्हे यहूदी कहते थे | एक बार लाहौर में चौधरी छोटूराम की सभा थी इन लोगों ने योजना बनाई की जैसे ही छोटूराम बोलना शुरू करें तो हल्ला शुरू कर देना हैं और छोटूराम को बोलने नहीं देना हैं | इनकी इस योजना का यूनियनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं को पता लग गया और उन्होने चौधरी छोटूराम को इनकी इस नापाक योजना के बारे में बताया और कहा कि आप यह सभा कैन्सल कर दें | चौधरी छोटूराम बोले सभा किसी भी सूरत में कैन्सल या स्थगित नहीं होगी , और अपने कार्यकर्ताओं को हुकुम दिया कि लाहौर के जितने भी अखाड़ों में अपने पहलवान हैं सबको बोलो कि हाल में चारों तरफ ईंट-लठ ले कर तैयार रहेंगे | जब मैं बोलना शुरू करूँ और जैसे ही यह अरोड़ा - खत्री हुटिंग शुरू करें तो इनकी हजामत कर दें | सभा के तय दिन हाल में जैसा चौधरी छोटूराम ने कहा था वैसे ही सारे पहलवान हाल मे जमा भीड़ के चारों तरफ ईंट-लठों से लैस हो कर बैठ गए | हाल में मौजूद पहलवानों को देख अरोड़ा खत्री चौधरी छोटूराम की योजना क्या हैं समझ गए , बताते हैं कि उस सभा में चौधरी छोटूराम तीन घंटा बोले और ये सारे अरोड़े खत्री चुप चाप चौधरी साहब का भाषण सुनते रहे , किसी ने चूँ भी नहीं की |
जाटों के विरुद्ध यह लोग आज से ही नहीं बोल रहे , चौधरी छोटूराम के वक़्त भी जाटों के प्रति इनका नजरिया ऐसा ही था | एक बार पंजाब एसम्ब्ली में मंडी बिल पर बहस करते हुए बोखलाहट में डॉ गोकुलचंद नारंग ने कहा था - चौधरी छोटूराम ने बड़ा अन्याय किया हैं कि एक धेलाशाही जाट को करोड़पति सेठ के बराबर कुर्सी पर बैठा दिया हैं | " इन लोगों के ऐसे रवैये से ही तंग आ कर चौधरी छोटूराम को कहना पड़ा था " पंजाब में या तो जाट - गक्खड़ रहेंगे या फिर अरोड़े - खत्री " | पर आज अफसोस होता हैं कि बँटवारे के वक़्त जाटों ने भावनाओं में बहकर इन लोगों के प्रति रहमदिली दिखाई , इनको अपने यहाँ पनाह दी | इतना सब करने के बाद भी चौधरी छोटूराम के कहने अनुसार इन यहूदियों के मन और सोच में कोई बदलाव नहीं आया | पहले इन लोगों ने अपना यह गंदा खेल पंजाब में खेला जिस कारण पंजाब में भिण्ड्रेवाला का जन्म हुआ और अब काफी दिनों से इन लोगों ने यह गंदा खेल हरियाणा में भी शुरू कर रखा हैं | सिर्फ आरक्षण का विरोध ही नहीं , 1994-95 में इनके अखबार पंजाब केसरी ने ' जाट बनाम अन्य जातियाँ ' पर धारावाहिक लेख लिखे थे , परंतु उस वक़्त भी जाटों ने इनकी इस साजिश को ना तो समझा और ना ही कोई आवाज़ उठाई , हरियाणा में आज जो जाट--गैर जाट का बीज बोया हुआ हैं वह सब उन लेखों का असर हैं | कभी भूखे नंगे आए थे और आज जिन्होने कभी इन्हें सहारा दिया उनके ही खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया , इनकी फितरत में कोई बदलाव नहीं आया | इनकी ऐसी हरकतों को देखते हुए ही स्यानों ने अपने माथे पर हाथ मार कहा था ' गाड़े गए उघाड़े आ गए ' |
" जिनको अता कि थी हमने धड़कने ,
उनको जुबान मिली के हमीं पे बरस पड़े "
पंजाबी सभा के प्रदेशाध्यक्ष मनमोहन आज़ाद से मेरा कहना हैं कि अगर वह अपनी माँ का लाल हैं तो 11 तारीख के बाद से पंजाबी सभा जाटों के विरुद्ध यह आंदोलन शुरू कर के दिखाए , फिर हम भी वादा करते हैं कि हम जाट अपने आरक्षण आंदोलन को नहीं छेड़ेंगे , उसके बाद हम सिर्फ उसी आंदोलन को चलाएँगे जो चौधरी छोटूराम अधूरा छोड़ गए थे '' पंजाब में या तो जाट--गक्खड़ रहेंगे या फिर अरोड़े--खत्री " और यकीन दिलाते हैं कि पंजाब का वो जट्ट सूरमा भिण्ड्रेवाला तो तुम्हें सिर्फ हरियाणा की हद तक छोड़ कर गया था पर हम हरियाणा वाले तुम्हें बाइज्जत नागपुर की हद तक छोड़ कर आएंगे !
" तुम से मुहब्बत तेरी औकात से ज्यादा की थी ,
अब बात नफरत की हैं सोच तेरा क्या होगा "
' जय योद्धेय '