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Thread: ' जैसे को तैसा '

  1. #1

    ' जैसे को तैसा '


    प्रजातन्त्र में दबाव की ही राजनीति काम करती हैं | कुछ ऐसा ही दबाव की राजनीति का रास्ता हरियाणा के गेस्ट टीचरों ने निकाला हैं ! " नौकरी बचाने के लिए करनाल में पांच दिन से महापड़ाव डाले प्रदेशभर के अतिथि अध्यापकों ने अब धर्मांतरण की चेतावनी दी है।"
    जो नेता धर्म की आड़ लेकर गद्दी तक पहुंचे हो उन पर दबाव के लिए इससे बढ़िया तरीका क्या हो सकता हैं ?
    कल मेरे पास दिल्ली से एक जाट भाई का फोन आया , आरक्षण को लेकर काफी जज़बाती हो रखा था , उसने भी बिलकुल ऐसी ही बात कहीं , बोला भाई एक तरफ तो ये हिन्दू हिन्दू करते हैं और दूसरी तरफ हम जाटों का विरोध भी करते हैं ! भाई अगर ऐसे ही हमारा विरोध होता रहा और आरक्षण ना दिया तो मैं यह धर्म छोड़ सिख धर्म अपनाऊंगा !

    :- ये नेता और धर्म के ठेकेदार सत्ता हथियाने के लिए धर्म को हथियार बना इस्तेमाल तो कर गए पर शायद इन्हे ध्यान नहीं रहा होगा की बाद में जनता भी इसी हथियार को तुम्हारे ऊपर इस्तेमाल करेगी ! इसे कहते हैं जैसे को तैसा ! लगता हैं अब जाटों को भी धर्म के इन ठेकेदारों की इस रग पर चोट करनी पड़ेगी !
    " जो अक्ल राह रोक दे तो उसका दामन छोड़ दो ,
    जो मजहब आके टोक दे तो उसकी कैद छोड़ दो "

    ' जय योद्धेय '
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

  2. The Following User Says Thank You to RavinderSura For This Useful Post:

    login4vinay (May 13th, 2015)

  3. #2
    Quote Originally Posted by RavinderSura View Post

    प्रजातन्त्र में दबाव की ही राजनीति काम करती हैं | कुछ ऐसा ही दबाव की राजनीति का रास्ता हरियाणा के गेस्ट टीचरों ने निकाला हैं ! " नौकरी बचाने के लिए करनाल में पांच दिन से महापड़ाव डाले प्रदेशभर के अतिथि अध्यापकों ने अब धर्मांतरण की चेतावनी दी है।"
    जो नेता धर्म की आड़ लेकर गद्दी तक पहुंचे हो उन पर दबाव के लिए इससे बढ़िया तरीका क्या हो सकता हैं ?
    कल मेरे पास दिल्ली से एक जाट भाई का फोन आया , आरक्षण को लेकर काफी जज़बाती हो रखा था , उसने भी बिलकुल ऐसी ही बात कहीं , बोला भाई एक तरफ तो ये हिन्दू हिन्दू करते हैं और दूसरी तरफ हम जाटों का विरोध भी करते हैं ! भाई अगर ऐसे ही हमारा विरोध होता रहा और आरक्षण ना दिया तो मैं यह धर्म छोड़ सिख धर्म अपनाऊंगा !

    :- ये नेता और धर्म के ठेकेदार सत्ता हथियाने के लिए धर्म को हथियार बना इस्तेमाल तो कर गए पर शायद इन्हे ध्यान नहीं रहा होगा की बाद में जनता भी इसी हथियार को तुम्हारे ऊपर इस्तेमाल करेगी ! इसे कहते हैं जैसे को तैसा ! लगता हैं अब जाटों को भी धर्म के इन ठेकेदारों की इस रग पर चोट करनी पड़ेगी !
    " जो अक्ल राह रोक दे तो उसका दामन छोड़ दो ,
    जो मजहब आके टोक दे तो उसकी कैद छोड़ दो "

    ' जय योद्धेय '
    Wah kya nayaab tariqa sujhaya aapke dost ne !!!

    Kya sikh jaats ko reservation alag se mil rahi hai, apne dost se puchhana chahenge !
    History is best when created, better when re-constructed and worst when invented.

  4. #3
    Quote Originally Posted by DrRajpalSingh View Post
    Wah kya nayaab tariqa sujhaya aapke dost ne !!!

    Kya sikh jaats ko reservation alag se mil rahi hai, apne dost se puchhana chahenge !
    उनको अलग से जो मिल रखा हैं वह आपको समझ नहीं आएगा |
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

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