" हमने ये माना मजहब जान हैं इंसान की ,
कुछ इसके दम से कायम शान हैं इंसान की ,
रंगे-क़ौमियत मगर इससे बदल सकता नहीं ,
खून आबाए-रग तन से निकल सकता नहीं "


12 मई को मैंने एक पोस्ट लिखी थी ' जैसे को तैसा ' उसमें धर्मातरण की बात कही थी | जिसमें कई तरह के तर्क पढ़ने को मिले , तो कुछ जाट भाइयों को तकलीफ भी हुई | जिन भाइयों को तकलीफ हुई उसका कारण था जाति के बजाए आस्था में अंधविश्वास | चौधरी छोटूराम कहा करते थे कि इंसान चाहे तो दिन में तीन बार धर्म बदल सकता हैं पर जाति नहीं बदल सकता , जाति का संबंध खून से हैं और दुनिया में खून का रिश्ता सबसे गाढ़ा माना गया हैं | " पर कुछ भाई इतने कमजोर होते हैं कि उनके लिए उनकी आस्था पहले जाति बाद में होती हैं | और ये धर्म के ठेकेदार पंडित -मौलवी आदि सब सबसे पहले हमारे इन कमजोर भाइयों को ही पकड़ कर बहकाते हैं | इन शातिर ठेकेदारो की वजह से ही हमने पहले 1947 भुगता फिर 1984 भुगता और अब 2013 में मुजफरनगर भुगता | ये ठेकेदार कितना ही ज़ोर लगा लेना पर जब तक हमारी कौम में फिरोज बालियाण जैसे भाई हैं तब तक यह कौम जिंदा हैं | हमारी रगों में एक खून बह रहा हैं | मेरी उस पोस्ट पर अनेक तर्क आए पर जो सबसे दमदार शानदार तर्क आया वो हैं फिरोज भाई का और फिरोज भाई का यह तर्क करारा जवाब हैं उन बहके हुए भाइयों के लिए जो कहते हैं कि मुस्लिम जाट अलग हैं ये अपने आप को मुस्लिम पहले मानते हैं जाट बाद में , हालांकि मुझे पता हैं वे बहके हुए जाट फिरोज भाई के इस तर्क में भी कुछ ना कुछ बहाना खोज निकालेंगे | फिरोज भाई का तर्क हैं ....
" मैं धरम परिवर्तन करके हिन्दू बन सकता हू । पर मुझे 5 लाख रूपये नहीं। जाटो का हक चाहिए । जाट आरक्षण वापस दो। हैं कोई भगत देख लो 2020 तक सबकी वापसी भी तो आपको करानी है । ये एक जाट का वादा है। कृपया कमेनट कर दे फोन नंबर उसी टाईम लिख दूँगा । Rakesh Sangwan @sunny Inoliya जी हम भी अपनी जाति के लिए ये सब कर सकते है। हैं कोई जो ये बात RSS BJP BAJRANGDAL SHIV SENA तक पहुंचा दे "

फिरोज भाई यूपी के जिला मुजफरनगर के गाँव तावली से हैं , फिलहाल फिरोज भाई दुबई में अपने भाई कामिल की कंपनी में काम करते हैं | फिरोज जी के दो भाई आमिल और इसराईल फौज से सेवानिर्वित हैं | जाट चाहे किसी धर्म मजहब को मानता हो पर उसके अंदर से देश भक्ति का जज्बा मिट नहीं सकता |

जाट की पहचान उसके खून से हैं ना कि धर्म मजहब से | शर्तिया बात हैं कि जब तक जाट धर्म के नाम पर बिखरा रहेगा तब तक धर्म के ठेकेदारो की मौज रहेगी और जिस दिन जाट धर्म नाम की इस दीवार को तोड़ एक होगा उस दिन धर्म के ये ठेकेदार जाट के मजदूरी करेंगे | आस्था इंसान का निजी मामला हैं सो इसे निजी स्तर तक ही रखो , इसे दूसरों पर थोपो मत और ना ही इसके लिए आपसी एकता तोड़ो | कौमी मुद्दे पहले बाकी सब बाद में और जो कौम का नहीं वो काम का नहीं |

' जय योद्धेय '